
एक ऐसा भी वक्त था, जब जंगलों पर बाघों का राज था. लेकिन तेजी से उनकी संख्या घटने लगी. 21वीं सदी के शुरुआत में बाघों की संख्या चार हजार के आसपास तक आ गई है. दुनियाभर में इसको लेकर मंथन हुआ और साल 2010 में बाघों को बचाने की मुहिम शुरू हुई. 29 जुलाई को इंटरनेशनल टाइगर डे के तौर पर मनाया जाने लगा. इस मुहिम का असर भी हुआ और दुनिया में बाघों की तादाद बढ़ने लगी. हालांकि बाघ आज दुनिया के 13 देशों तक सिमट गए हैं. वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ की रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ 13 देशों भारत, बांग्लादेश, भूटान, कंबोडिया, चीन, इंडोनेशिया, लाओ पीडीआर, नेपाल, रूस, थाईलैंड, मलेशिया, म्यांमार और वियतनाम में बाघ बचे हैं.
सबसे ज्याद टाइगर भारत में-
दुनिया में सिर्फ चार हजार के आसपास बाघों की संख्या है. प्रकृति के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ की एक रिपोर्ट के मुताबिक धरती पर सिर्फ 4500 बाघ बचे हैं. जिसमें से 2967 अकेले भारत में हैं. हालांकि बाघों की संख्या पिछले कुछ सालों मे बढ़ी है. रिपोर्ट के मुताबिक साल 2015 में 3200 बाघ थे. लेकिन 2022 में उनकी संख्या 4500 तक पहुंच गई है.
दुनिया में सबसे ज्यादा बाघ भारत में हैं. इसलिए टाइगर के इंसानों पर हमले के मामले उतने ही ज्यादा सामने आते हैं. कई बार ऐसे मामले सामने आते हैं कि टाइगर इंसानी बस्ती में घुस आए. कई बार बाघों के इंसानों पर हमले के मामले सामने आते हैं. कई बार ऐसा देखा गया है कि टाइगर आदमखोर हो गए हैं.
क्यों आदमखोर होते हैं बाघ-
माना जाता है कि सिर्फ जख्मी और बुजुर्ग टाइगर ही आदमखोर बनते हैं. माना जाता है कि इंसान उनके लिए आसान शिकार होते हैं. लेकिन कई बार देखा गया है कि युवा बाघ भी नरभक्षी हो जाते हैं. अगर टाइगर को शारीरिक तौर पर कोई दिक्कत है या उसके दांत टूट गए हैं तो वो इंसानों और मवेशियों का शिकार करने लगता है.
किसे नरभक्षी मानता है कानून-
सिर्फ टाइगर के आदमखोर होने को लेकर अलग से कोई कानून नहीं है. इंसानों के जीवन को खतरा होने पर किसी भी वन्यजीव के लिए सरकार ने कानून बनाए हैं. 'आदमखोर' शब्द बोलचाल की भाषा में प्रचलित है. वाइल्ड लाइफ एक्ट 1927 के सेक्शन 11 में इंसानों पर वन्यजीवों के हमले को लेकर जिक्र है. इसके मुताबिक जो जानवर इंसानों की जिंदगी के लिए खतरनाक होता है. उसे आमदखोर माना जाता है. कानून में उसके शिकार की इजाजत दी जाती है.
शिकार के लिए क्या कहता है कानून-
अगर कोई जानवर आदमखोर हो जाता है तो उसका शिकार किया जा सकता है. लेकिन उसका शिकार भी कोई नहीं कर सकता है. इसको लेकर भी कानून बनाया गया है. किसी जानवर को मारने का आदेश चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन देता है. इसका जिक्र वाइल्ड लाइफ एक्ट 1972 के सेक्शन 11(1) में किया गया है. हर राज्य में एक चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन होता है. उनके आदेश के बाद ही किसी जानवर को मारा जा सकता है. सबसे पहले ये बताना जरूरी होता है कि जानवर का शिकार क्यों जरुरी है. अगर चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन को कारण वाजिब लगता है तो वो जानवर को मारने का आदेश दे सकते हैं. पहले वन विभाग ये कोशिश करता है कि जानवर को पकड़ लिया जाए. लेकिन ये संभव नहीं होने पर उसे मारने की इजाजत दी जाती है.
ये भी पढ़ें: