Water Conservation (Photo: Twitter)
Water Conservation (Photo: Twitter) कहते हैं कि अगर कोई सिद्दत से कुछ बदलना चाहे तो बदलाव आकर रहता है. ऐसा ही कुछ हुआ है महाराष्ट्र के सूखाग्रस्त उत्तरी हिस्से में. यहां पर कुछ साल पहले कुछ दोस्तों के एक समूह ने मिलकर पानी संरक्षण के लिए आंदोलन शुरू किया था. उनका मिशन सूखाग्रस्त उत्तरी महाराष्ट्र के छोटे गांवों में 500 करोड़ लीटर जल भंडारण का निर्माण करना था. इस मिशन के तहत नौ जिलों के 80 गांवों में 450 करोड़ लीटर जलाशय बनाया गया है.
दिलचस्प बात यह है कि मिशन को अब संयुक्त राष्ट्र में मान्यता मिल गई है. जलगांव जिले की चालीसगांव तहसील के 70 गांवों में 2010 बैच के आईआरएस अधिकारी उज्ज्वल कुमार चव्हाण ने 'मिशन 500 करोड़ लीटर जल भंडारण' शुरू किया था.
प्रशासन में काम करने वाले दोस्तों ने की मदद
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, सरकार में काम करने वाले चव्हाण के कुछ दोस्त भी इस मुहिम में जुड़ गए. उन्होंने अपनी छुट्टियों का इस्तेमाल जल संरक्षण के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए किया और 500 करोड़ लीटर पानी का भंडारण करने के मिशन को पूरा करने की कगार पर हैं. पहले के जमाने में, गांव जल प्रबंधन के लिए आत्मनिर्भर और टिकाऊ थे. भारत में अंग्रेजों के आने से पहले ग्राम नियोजन के प्रमुख को पाटिल कहा जाता था. अतः मिशन में पांच गांवों की कमान संभालने वाले स्वयंसेवकों को इस आन्दोलन में 'पाच पाटिल' कहा जाता है.
ऐसे 21 'पाच पाटिल' महाराष्ट्र के नौ जिलों में पिछले छह साल से काम कर रहे हैं. उनके काम ने लोगों को प्रेरित किया और उन लोगों में जागरूकता पैदा की जो डी-सिल्टेशन और चेक डैम के निर्माण के लिए जेसीबी और पोकलेन मशीन के लिए डीजल के खर्च को पूरा करते हैं.
ग्लोबल लेवल पर पहुंचा यह काम
'जोहड़ पैटर्न' मॉडल का पालन करके जल संरक्षण पर काम किया ज रहा है. इसे पहले राजेंद्र सिंह ने राजस्थान में लागू किया था. यह मॉडल दुनिया भर के सूखा और बाढ़-प्रवण क्षेत्रों में लागू किया जा रहा है. चव्हाण ने द न्यू इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि यह एक बड़े सम्मान की बात है कि हमारे मिशन - 500 करोड़ लीटर आंदोलन - को वैश्विक मंच पर सराहा गया, हमें न्यूयॉर्क में चार दिवसीय संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में भाग लेने का अवसर मिला.
यह आंदोलन 2017 में महाराष्ट्र के एक छोटे से गांव धामनगांव में शुरू किया गया था. यह मिशन छोटे चैक डैम और जल निकायों के निर्माण के लिए 'डीजल लगाओ और मशीन का उपयोग करो' के सिद्धांत पर काम करता है. ग्राम सभा में जनभागीदारी एवं योजना के माध्यम से ग्राम क्षेत्रों में बांधों एवं तालाबों का निर्माण कर नदी का गहरीकरण एवं चौड़ीकरण किया जाता है. अभी तक इस मिशन के तहत नौ जिलों के 80 गांवों में 450 करोड़ लीटर जलाशय बनाया जा चुका है. इसके अलावा, खेतों तक जाने वाली 30 किमी की सड़कों की मरम्मत की गई है और 45000 पेड़ लगाए गए हैं.