scorecardresearch

Jagdeep Dhankhar Resigns: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने दिया इस्तीफा, रेज‍िग्‍नेशन लेटर में क्‍या लिखा, मॉनसून सेशन के पहले दिन अचानक क्यों छोड़ा पद, यहां जानिए

Jagdeep Dhankhar Resigns As Vice President Of India: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मॉनसून सेशन के पहले दिन अचानक पद छोड़ दिया. उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लिखे पत्र में स्वास्थ्य संबंधी कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा देने की बात कही है. आइए जगदीप धनखड़ के बारे में जानते हैं सबकुछ. 

Jagdeep Dhankhar (File Photo: PTI) Jagdeep Dhankhar (File Photo: PTI)
हाइलाइट्स
  • जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य संबंधी कारणों का हवाला देते हुए छोड़ा उपराष्ट्रपति का पद

  • साल 2022 में 14वें उपराष्ट्रपति बने थे जगदीप धनखड़  

भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई 2025 को अपने पद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने इसके पीछे स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया है. जगदीप धनखड़ ने राष्ट्रपति  द्रौपदी मुर्मू को भेजे गए त्यागपत्र में प्रधानमंत्री, मंत्रिपरिषद और सांसदों के सहयोग के लिए आभार जताया है. उन्होंने कहा कि भारत की असाधारण प्रगति और वैश्विक उभार का साक्षी बनना उनके लिए गर्व की बात रही. जगदीप धनखड़ ने साल 2022 में भारत के 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी.

जगदीप धनखड़ ने इस्तीफा क्यों दिया
जगदीप धनखड़ ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को संबोधित एक पत्र में स्वास्थ्य संबंधी कारणों और चिकित्सा सलाह का हवाला देते हुए संविधान के अनुच्छेद 67(a) के तहत अपने इस्तीफे की घोषणा की.

धनखड़ ने क्या लिखा है अपने इस्तीफे में 
उपराष्ट्रपति, भारत गणराज्य
21.07.2025
माननीय राष्ट्रपति जी,
चिकित्सा सलाह का पालन करते हुए और स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता देने के लिए, मैं संविधान के अनुच्छेद 67(क) के अनुसार, तत्काल प्रभाव से भारत के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देता हूं.मैं आपका हृदय से आभार प्रकट करता हूं. आपके निरंतर समर्थन और हमारे कार्यकाल के दौरान बनी सौहार्दपूर्ण, सहयोगपूर्ण और शांतिपूर्ण कार्यशैली के लिए आपका धन्‍यवाद. मैं माननीय प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद का भी गहन आभार व्यक्त करता हूं. प्रधानमंत्री का सहयोग और समर्थन अत्यंत मूल्यवान रहा है, और मैंने इस पद पर रहते हुए बहुत कुछ सीखा है. संसद के सभी माननीय सदस्यों से जो स्नेह, विश्वास और अपनापन मिला, वह मेरी स्मृतियों में सदा बना रहेगा.
मैं उन अनमोल अनुभवों और समझ के लिए भी अत्यंत आभारी हूं, जो मुझे इस महान लोकतंत्र में उपराष्ट्रपति के रूप में प्राप्त हुए. यह मेरे लिए सौभाग्य और संतोष की बात रही है कि मैंने भारत की अद्भुत आर्थिक प्रगति और ऐतिहासिक विकास को निकट से देखा और उसमें भाग लिया. हमारे राष्ट्र के इस परिवर्तनकारी युग में सेवा करना मेरे लिए एक सच्चा सम्मान रहा है. जैसे ही मैं इस गरिमामयी पद से विदा लेता हूं, मैं भारत की वैश्विक स्थिति और असाधारण उपलब्धियों पर गर्व से भर जाता हूं, और उसके उज्ज्वल भविष्य में मेरा विश्वास अटूट है.
सादर और कृतज्ञतापूर्वक,
(हस्ताक्षर)
जगदीप धनखड़

धनखड़ ने कब ली थी उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ
1. जगदीप धनखड़ ने साल 2022 में भारत के 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी. 
2. 6 अगस्त 2022 को हुए उपराष्ट्रपति चुनाव में धनखड़ ने विपक्षी उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को हराया था. 
3. जगदीप धनखड़ को कुल 725 में से 528 वोट मिले थे, जबकि मार्गरेट अल्वा को 182 वोट मिले थे. 

उपराष्ट्रपति के इस्तीफे के बाद क्या होता है?
भारत में उपराष्ट्रपति ही राज्यसभा के सभापति भी होते हैं. यदि किसी वजह से राष्ट्रपति का पद खाली होता है, तो ऐसे में उपराष्ट्रपति ही इसकी जिम्मेदारी भी संभालते हैं. जगदीप धनखड़ उपराष्ट्रपति के साथ ही राज्यसभा के सभापति भी थे. ऐसे में अब उनके इस्तीफे के साथ ही ये दोनों पद भी रिक्त हो गए हैं.

भारतीय संविधान को देखें तो उपराष्ट्रपति के अपने पद से इस्तीफा देने की स्थिति में उनके पद को भरने के लिए नए उपराष्ट्रपति का चुनाव पद रिक्ति होने की तारीख से 6 महीने के भीतर हो जाना चाहिए. जब तक यह चुनाव संपन्न नहीं हो जाता, तब तक उपराष्ट्रपति के कर्तव्यों, विशेष रूप से राज्यसभा के सभापति के दायित्व का निर्वहन राज्यसभा के उपसभापति या राष्ट्रपति की ओर से प्राधिकृत राज्यसभा के किसी अन्य सदस्य की ओर से किया जाता है. आपको मालूम हो कि भारत के उपराष्ट्रपति का कार्यकाल आमतौर पर शपथग्रहण के बाद से पांच साल की अवधि का होता है. हालांकि, इस दौरान वे कभी भी राष्ट्रपति को संबोधित करते हुए अपना पद छोड़ सकते हैं.

क्या उपराष्ट्रपति के इस्तीफे का असर राज्यसभा के मॉनसून सत्र पर पड़ेगा?
उपराष्ट्रपति के इस्तीफे का असर राज्यसभा के मॉनसून सत्र पर क्या पड़ेगा, तो इस सवाल का जवाब है नहीं. दरअसल, उपराष्ट्रपति किसी कारण से अपने पद से इस्तीफा दे देते हैं तो ऐसी स्थिति में राज्यसभा के उपसभापति तब तक राज्यसभा में कार्यकारी सभापति की भूमिका में रहते हैं, जब तक नए उपराष्ट्रपति का चुनाव नहीं हो जाता. मौजूदा समय में राज्यसभा के उपसभापति का पद हरिवंश नारायण सिंह के पास है. ऐसे में वे ही राज्यसभा के कार्यकारी सभापति के तौर पर जिम्मेदारी निभाएंगे. ऐसे में राज्यसभा के मॉनसून सत्र का नेतृत्व हरिवंश नारायण सिंह करेंगे.

उपराष्ट्रपति पद के लिए क्या होनी चाहिए योग्यता
1. भारत का नागरिक.
2. उम्र कम से कम 35 साल. 
3. राज्यसभा का सदस्य चुने जाने की होनी चाहिए योग्यता.
4. उम्मीदवार को ₹15 हजार की जमानत राशि जमा करनी होती है.
5. 1/6 वोट न मिलने पर जमानत राशि जब्त हो जाती है.

कैसे होता है उपराष्ट्रपति का चुनाव
1. उपराष्ट्रपति के चुनाव में लोकसभा और राज्यसभा के सांसद हिस्सा लेते हैं. 
2. संसद के उच्च सदन यानी की राज्यसभा के मनोनीत सदस्य भी इसमें हिस्सा लेते हैं.
3. उपराष्ट्रपति चुनाव में लोकसभा के 543 सांसद और राज्यसभा के 245 सदस्य भाग लेते हैं.  राज्यसभा सदस्यों में 12 मनोनित सांसद भी इसमें शामिल होते हैं.
4. उपराष्ट्रपति का चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली से होता है.
5. वोटिंग में सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम अपनाया जाता है.
6. हर सांसद एक वोट देता है. बैलेट पेपर पर प्राथमिकता के आधार पर उम्मीदवारों को 1, 2, 3 के क्रम में दिखाया जाता है. मान लीजिए कि A, B और C तीन उम्मीदवार हैं तो एक वोटर बैलेट पर A के सामने 1, B के सामने 2 और C के सामने 3 लिख सकता है.

ऐसे होती है वोटों की गिनती
1. उपराष्ट्रपति चुनाव का एक कोटा तय होता है. 
2. जितने सदस्य वोट डालते हैं, उसकी संख्या को दो से भाग देते हैं और फिर उसमें 1 जोड़ देते हैं. 
3. मान लीजिए कि चुनाव में सभी 787 सदस्यों ने वोट डाले, तो इसे 2 से भाग देने पर 393.50 आता है. इसमें 0.50 को गिना नहीं जाता, इसलिए ये संख्या 393 हुई. 
4. अब इसमें 1 जोड़ने पर 394 होता है. इस तरह से चुनाव जीतने के लिए 394 वोट मिलना जरूरी है.

जगदीप धनखड़ के बारे में जानिए 
1. जगदीप धनखड़ का जन्म 18 मई 1951 को राजस्थान के झुंझनू जिले के किठाना में हुआ था. पिता का नाम गोकल चंद और मां का नाम केसरी देवी है. 
2. जगदीप धनखड़ 11 अगस्त 2022 को भारत के 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी. 
3. जगदीप धनखड़ एक प्रख्यात वकील और पश्चिम बंगाल के पूर्व-राज्यपाल भी रह चुके हैं
4. जगदीप धनखड़ ने अपनी राजनीतिक करियर की शुरुआत जनता दल से की थी.
5. जगदीप धनखड़ साल 1989 में झुंझुनू से पहली बार सांसद बने थे. 
6. जगदीप धनखड़ 1989 से 1991 तक वीपी सिंह और चंद्रशेखर की सरकार में केंद्रीय मंत्री थे. 
7. लोकसभा चुनाव 1991 में जब जनता दल ने जगदीप धनखड़ का टिकट काट दिया तो वह पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे. 
8. अजमेर के किशनगढ से कांग्रेस पार्टी के टिकट पर 1993 में चुनाव लड़ा था और विधायक बने थे. 
9. साल 2003 में धनखड़ कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गए. 2019 में जगदीप धनखड़ को पश्चिम बंगाल का राज्यपाल बनाया गया था.