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Pakistani Refugee: जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तानी रिफ्यूजियों को क्यों मिला मालिकाना हक, जानिए क्या मिलेंगे फायदे

Pakistani Refugee: जम्मू-कश्मीर सरकार ने पाकिस्तानी रिफ्यूजियों को जम्मू-कश्मीर में जमीन का मालिकाना हक देने का फैसला किया है. इन पाकिस्तानी रिफ्यूजी फैमिली की संख्या लगभग 41,844 है. जमीन का मालिकाना हक मिलने से पाकिस्तानी रिफ्यूजियों को कई फायदे मिलेंगे.

Jammu Kashmir LG Manoj Sinha (Photo Credit: PTI) Jammu Kashmir LG Manoj Sinha (Photo Credit: PTI)

Pakistani Refugee: जम्मू-कश्मीर में एक बेहद अहम फैसला लिया गया है. पाकिस्तानी रिफ्यूजियों को जम्मू-कश्मीर में जमीन पर मालिकाना हक दे दिया गया है. पाकिस्तान रिफ्यजी दशकों से इसकी मांग कर रहे थे.

जम्मू-कश्मीर सरकार ने साल 1947 में पश्चिमी पाकिस्तान से भारत आए रिफ्यूजियों की मांग को मान लिया है. अब पाकिस्तानी रिफ्यूजियों का जम्मू-कश्मीर में जमीन पर अपना हक होगा.

श्रीनगर में हुई प्रशासनिक परिषद की मीटिंग में ये अहम फैसला लिया गया. इस बैठक की अध्यक्षता जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने की.

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जम्मू-कश्मीर सरकार के इस फैसले से पाकिस्तान से हजारों रिफ्यूजी को फायदा होगा. आइए जानते हैं पाकिस्तान के हजारों रिफ्यूजियों को जमीन पर मालिकाना हक क्यों मिला है?

पाकिस्तान से कब आए थे?
साल 1947 में भारत का बंटवारा हुआ. आधिकारिक आंकड़े के अनुसार, बंटवारे के बाद पश्चिमी पाकिस्तान से 5,764 परिवार भारत के जम्मू-कश्मीर आ गए थे.

आउटलुक की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान से आए इन रिफ्यूजियों में 80 प्रतिशत अनुसूचित जाति(ST) से थे. इसके अलावा 10 फीसदी ओबीसी से और 10 प्रतिशत रिफ्यूजी जनरल कैटेगरी से थे. 

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, तब की सरकार ने हर रिफ्यूजी फैमिली को चार एकड़ खेती भूमि आवंटित की थी. पाकिस्तानी रिफ्यूजी फैमिली को जम्मू, सांबा और कठुआ जिले में बसाया गया था. आज पाकिस्तान रिफ्यूजी फैमिली की संख्या 22,170 से ज्यादा है.

POK से पलायन
बंटवारे के दौरान दोनों देशों में दंगे हुए. द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, इन दंगों में हजारों लोग मारे गए. दंगों की वजह से पाकिस्तान और पीओके के पास वाले शहरों से लगभग 40 हजार लोग भागने को मजबूर हो गए.

पीओके से भागने वाले हजारों लोगों को पीओके से विस्थापित व्यक्ति कहा जाता था. साल 2016 में एनडीए सरकार ने आधिकारिक दस्तावेजों में बदलकर पीओजेके कर दिया.

इन आंकड़ों के मुताबिक साल 1947 में पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर(POJK) से 31,779 फैमिली पलायन कर गईं थीं. 

द हिंदू की रिपोर्ट की माने तो 1965 और 1971 की जंग के दौरान कई परिवार पीओके से जम्मू-कश्मीर आ गए थे. इसके बाद पीओके से आने वाले फैमिली की संख्या बढ़कर 41,844 हो गई.

जमीन पर मालिकाना हक
जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने हजारों पाकिस्तानी रिफ्यूजियों को केन्द्र शासित प्रदेश में जमीन पर मालिकाना हक देने का फैसला किया है. इसके अलावा 1965 में पीओके से हजारों पाकिस्तानी रिफ्यूजियों को भी जम्मू-कश्मीर में जमीन पर मालिकाना हक की मंजूरी दी है.

अधिकारियों का मानना है कि इससे पश्चिमी पाकिस्तान से आए रिफ्यूजियों और विस्थापितों के साथ भेदभाव नहीं होगा. आर्टिकल 370 रद्द होने के बाद पाकिस्तानी रिफ्यूजियों को भारत सरकार ने यहां के निवासी का दर्जा दे दिया था. 

आर्टिकल 370 रद्द होने के बाद इन लोगों को गैर-राज्य का माना जाता है. पाकिस्तानी रिफ्यूजियों को चुनाव में वोट देने का भी अधिकार नहीं था. जम्मू-कश्मीर सरकार ने रिफ्यूजियों की दशकों पुरानी मांग को पूरी कर दिया है.