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Accession Day 2022: आज के दिन 1947 में हरि सिंह ने जम्मू-कश्मीर का भारत में किया था विलय, 75 लाख रुपये में अंग्रेजों ने कश्मीर को बेचा था

कश्मीर पर कब्जे के लिए अक्टूबर 1947 में पाकिस्तान समर्थित कबायलियों ने हमला कर दिया था. ब्रिटिश राज से तब कश्मीर को बचाने के लिए राजा गुलाब सिंह ने 75 लाख रुपये में कश्मीर को खरीदा था. राजा गुलाब सिंह और अंग्रेजों के बीच 1846 में अमृतसर संधि हुई थी.

Accession Day (Representative image) Accession Day (Representative image)
हाइलाइट्स
  • खरीद के पीछे थी कूटनीति

  • राजा गुलाब सिंह ने अंग्रजों से खरीदा

पिछले दो वर्षों से भारत का सबसे नया केंद्र शासित प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, 26 अक्टूबर को सार्वजनिक अवकाश के रूप में मना रहा है. दशकों से जम्मू-कश्मीर का भारत के साथ विलय इतिहास में दर्ज है. हर साल 26 अक्तूबर को विलय दिवस मनाया जाता है. यह तिथि 1947 में जम्मू-कश्मीर के अंतिम डोगरा सम्राट महाराजा हरि सिंह द्वारा विलय के साधन पर हस्ताक्षर करने का प्रतीक है. 

राजा गुलाब सिंह ने अंग्रजों से खरीदा
गुलाब सिंह डोगरा राजवंश के संस्थापक थे, वे जम्मू-कश्मीर रियासत के पहले महाराजा थे. 1846 की अमृतसर की संधि के द्वारा अंग्रेजों ने कश्मीर 75 लाख रुपये में गुलाब सिंह को बेचा था. इसके साथ ही गुलाब सिंह जम्मू-कश्मीर रियासत के पहले राजा बने और उन्होंने डोगरा राजवंश की नींव डाली. 1846 से 1947 तक डोगरा वंश ने ही जम्मू-कश्मीर रियासत पर शासन किया. रियासत ऐसे स्टेट थे, जहां अंग्रेजों के अधीन राजा का शासन होता था. ब्रिटिश शासन के तहत सबसे बड़ी रियासत जम्मू-कश्मीर की थी.

खरीद के पीछे थी कूटनीति
राजनेताओं और इतिहासकारों की मानें तो विलय दिवस की बदौलत जम्मू-कश्मीर के लोगों को भारतीय नागरिक होने का गौरव हासिल हुआ है. तत्कालीन राजा और भारत के तत्कालीन गवर्नर-जनरल लॉर्ड माउंटबेटन के बीच हस्ताक्षरित इस दस्तावेज ने भारत के तत्कालीन रियासत के परिग्रहण को चिह्नित किया. इतिहासकारों की राय में कश्मीर रियासत की इस खरीद फरोख्त के पीछे एक कूटनीतिक पहल थी जिसका मकसद जम्मू कश्मीर को ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन लाने से बचाना था.

1947 में हुआ था सौदा
साल 1947 में भारत और पाकिस्तान दोनों देश जम्मू-कश्मीर को अपने-अपने नक्शे में शामिल करना चाहते थे. लेकिन मुस्लिम बहुल रियासत जम्मू-कश्मीर के हिंदू शासक महाराजा हरि सिंह ने कश्मीर के विलय के लिए पाकिस्तान की जगह भारत को चुना. हालांकि, पाकिस्तान के पठान कबीलों के लोगों और सेना के जवानों के हमलों का सामना करने के बाद, उन्होंने भारत की मदद मांगी. भारत इस शर्त पर सहमत हुआ कि सम्राट IoA पर हस्ताक्षर करेगा.

इस प्रकार, महाराजा ने 26 अक्टूबर, 1947 को संधि पर हस्ताक्षर किए. संक्षेप में कहें तो यह जम्मू और कश्मीर की रियासत और भारत के बीच एक सौदा था. लॉर्ड माउंटबेटन ने एक दिन बाद इसे स्वीकार कर लिया.

IoA ने भारतीय संसद को रक्षा, विदेश मामलों के साथ-साथ संचार के मामलों में जम्मू-कश्मीर के संबंध में कानून बनाने की क्षमता प्रदान की. इस दिन को 2020 में जम्मू और कश्मीर में आधिकारिक अवकाश घोषित किया गया था.राजनीति के साथ समाज के लिए भी महाराजा हरि सिंह ने अनेक कार्य किए है. उनके योगदान के आधार पर प्रदेश में दो बार अवकाश मनाया जाता है.