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दलमा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में प्लास्टिक की बोतलों पर लगा बैन...वन विभाग खुद दे रहा मिट्टी की बोतल

जमशेदपुर के दलमा एलीफेंट सेन्चुरी में अब घूमने आने वालो को प्लास्टिक की बोतल ले जाने की अनुमति नहीं होगी. दरअसल पर्यावरण को प्लास्टिक मुक्त करने की एक मुहिम के तहत अभ्यारण वाले पानी की बोतल की जगह मिट्टी की बोतल दे रहे हैं. दलमा सेन्चुरी में प्लास्टिक को पूरी तरह से बैन कर दिया है. दलमा के तराई इलाके वाले गांव, जहां कुम्हार लोग रहते हैं वन विभाग उनसे मिट्टी की बोतल बनवा रहा है.

Dalma Wildlife Sanctuary Dalma Wildlife Sanctuary
हाइलाइट्स
  • 30 रुपये है बोतल की कीमत

  • अभ्यारण में हैं 180 से अधिक हाथी

जमशेदपुर के दलमा एलीफेंट सेन्चुरी में अब घूमने आने वालो को प्लास्टिक की बोतल ले जाने की अनुमति नहीं होगी. दरअसल पर्यावरण को प्लास्टिक मुक्त करने की एक मुहिम के तहत अभ्यारण वाले पानी की बोतल की जगह मिट्टी की बोतल दे रहे हैं. दलमा सेन्चुरी में प्लास्टिक को पूरी तरह से बैन कर दिया है. दलमा के तराई इलाके वाले गांव, जहां कुम्हार लोग रहते हैं वन विभाग उनसे मिट्टी की बोतल बनवा रहा है. इससे ग्रामीण लोगों को एक नया और अस्थाई रोजगार भी नये साल के मौके पर मिलना शुरू हो गया है.

शुरुआत में  करीबन 3000 मिट्टी की बोतलों का आर्डर दिया गया है. वन विभाग की इस नयी परिवर्तित व्यवस्था से दलमा के तराई वाले गांव के लोग काफी खुश हैं.

अभ्यारण में हैं 180 से अधिक हाथी
झारखंड का दलमा हाथी अभ्यारण में करीबन 180 से अधिक हाथी हैं, जहां के वाटर होल्स में साम ढलते- ढलते हाथियों का झुण्ड देखने को मिलता है. लोग यहां काफी दूर -दूर से हाथी देखने आते हैं. इस दरम्यान वन बिभाग ने देखा की लोग अपने साथ प्लास्टिक की बोतल में पानी लाते है और पानी खत्म होने के बाद जंगल में ही बोतल फेक देते हैं, जिससे जीव जंतु को काफी परेशानी होती है. प्लास्टिक की बोतल के साथ-साथ लोग खाने की चीज भी प्लास्टिक में लेकर आते हैं. इन सभी बातों को ध्यान मे रखते हुए वन विभाग ने दलमा सेन्चुरी में प्लास्टिक बैन कर दिया है.

30 रुपये है बोतल की कीमत
नयी पहल की शुरुआत करते हुए अब पानी की प्लास्टिक की बोतल की जगह मिटटी की बोतल को लोगों को प्रवेश द्वार पर ही दिया जाता है, जिसकी कीमत 30 रुपये रखी गई है. इसमें से 20 से 25 रुपये वन विभाग बोतल बनाने वालो को दे रहा है. 

खुश हैं गांव के कुम्हार
दलमा जंगल के तराई वाले कई गांव है जहां कुम्हार लोग रहते हैं. वन विभाग ने जामडीह में करीबन 20 कुम्हारों को मिटटी की बोतल बनाने का ऑर्डश दिया है. इसके साथ चलियामा में भी जो कुम्हार लोग हैं उनको भी मिट्टी की बोतल बनाने के लिए कहा गया है. ग्रामीणों का कहना है उन लोगो की जिंदगी सिर्फ हांड़ी और सुराही बनाने में जाती थी. कमाई भी कम होती थी. बच्चों को पढ़ने लिखने में काफी दिकत का सामना करना पड़ता था, लेकिन वन विभाग के पहल से अब यह लोग काफी खुश हैं. घर के बच्चे भी इसमें बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं.

गांव में 90 प्रतिशत लोग हैं कुम्हार
गांव की ग्राम प्रधान अनीता पारित का कहना है कि जामडीह गांव में करीबन 90 प्रतिशत कुम्हार लोग रहते हैं और वन विभाग ने मिटटी की बोतल बनाने का जो आदेश इन ग्रामीणों को दिया है इस से इनको नया रोजगार मिल गया है. अब इनकी हालत में काफी सुधार होगा. दलमा के जंगल में हर दिन काफी तादाद में लोग घूमने आते हैं और पानी काफी जरूरी है. इस पहले से पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा और कुम्हारों को रोजगार भी मिलेगा.

(जमशेदपुर से अनूप सोनी की रिपोर्ट)