scorecardresearch

यूपी, मणिपुर और गोवा के चुनाव में सियासी तीर चलाने की फिराक में जदयू, तीनों राज्यों की सफलता देगी राष्ट्रीय पार्टी का तमगा!

पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव है. जिसमें यूपी, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर शामिल है. लेकिन, पार्टी नेताओं की निगाहें फिलहाल तीन राज्यों पर टीकी हुई है. जदयू इन राज्यों में अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए बीजेपी का सियासी सर्वनाम बनने को भी तैयार है. जेडीयू यूपी, मणिपुर और गोवा विधानसभा चुनाव में हर हाल में अपने प्रत्याशी को उतारेगी.

नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री, बिहार नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री, बिहार
हाइलाइट्स
  • मणिपुर में 20 सीटों पर जदयू की तैयारी

  • यूपी में गठबंधन पर सस्पेंस बरकरार

  • गठबंधन नहीं हुआ तो 51 सीटों पर हाथ आजमा सकती है जदयू

बिहार की सियासत में पूरे दमखम के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज कराने वाली पार्टी जनता दल यूनाइटेड पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर एक्टिव है. पार्टी के नेता इन राज्यों के चुनाव को अपनी पार्टी को राष्ट्रीय स्तर की पार्टी के रूप में मान्यता दिलाने के सबसे बड़े अवसर के रूप में देख रहे हैं. पार्टी उसी राजनीतिक रास्ते पर चलने को बेचैन है, जिस रास्ते होकर राज्य की सियासत से निकली पार्टिया राष्ट्रीय फलक पर अपनी पहचान बनाती हैं.

पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव है. जिसमें यूपी, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर शामिल है. लेकिन, पार्टी नेताओं की निगाहें फिलहाल तीन राज्यों पर टीकी हुई है. जदयू इन राज्यों में अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए बीजेपी का सियासी सर्वनाम बनने को भी तैयार है. जेडीयू यूपी, मणिपुर और गोवा विधानसभा चुनाव में हर हाल में अपने प्रत्याशी को उतारेगी. पार्टी सूत्रों की मानें, तो पंजाब और उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव से जदयू को कोई लगाव नहीं है. मणिपुर और गोवा में तो जेडीयू अकेले चुनाव मैदान में उतर रहा है लेकिन यूपी में उसे उम्मीद है कि बीजेपी से उसका समझौता हो जायेगा. लेकिन अगर नहीं भी हुआ तो भी पार्टी यूपी में अकेले चुनाव लडेगी.

मणिपुर के मतदाता और जदयू
सबसे पहले मणिपुर की बात करते हैं. बिहार में बैठकर अन्य राज्यों में अपनी राजनीतिक पैठ बनाने की चर्चा करने वाले जदयू नेताओं का उत्साह देखते बनता है. जदयू ने हाल में मणिपुर में अपना नया कार्यालय खोला है. बिहार के जदयू से जुड़े नेता मानते हैं कि वहां पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने दौरा भी किया है. कार्यकर्ताओं की संख्या बढ़ाने का निर्देश दिया है. जदयू के कार्यकर्ता नए-नए सदस्यों को पार्टी से जोड़ रहे हैं. विधानसभा चुनाव में पार्टी कम से कम बीस सीटों पर अपना उम्मीदवार जरूर उतारेगी. हालांकि, राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद दत्त ऐसा नहीं मानते. प्रमोद दत्त का कहना है कि मणिपुर कोई बिहार नहीं है. वहां की समस्या और वहां के मुद्दे काफी अलग हैं. पार्टी वहां की समस्याओं से अनजान है. अभी तक स्थानीय मुद्दों को लेकर लोकल लोगों में पैठ बनाने के लिए जदयू नेताओं ने ऐसा कुछ नहीं किया है जिससे वहां के चुनाव में सफलता सुनिश्चित हो सके.

ललन सिंह के मणिपुर दौरे का फलाफल
मणिपुर के जदयू प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मंत्री हंगखानपाओ ताइथुल दिसंबर में हुए ललन सिंह के चार दिवसीय प्रवास को सकारात्मक रूप में देखते हैं. ललन सिंह ने अपने प्रवास के दौरान वहां पार्टी कार्यकर्ताओं से मुलाकात की थी और 20 सीटों के साथ चुनाव में उतरने का इशारा किया था. जदयू के लिए मणिपुर चुनाव के महत्व का अंदाजा आप इस बात से भी लगा सकते हैं कि पार्टी के कोर टीम मेंबर केसी त्यागी, अफाक अहमद खान और आरपी मंडल वहां दौरा कर चुके हैं. पार्टी नेता सभी निर्वाचन क्षेत्रों में अपनी सियासी ताकत भांपने के लिए चार दिन तक मणिपुर के आईने में पार्टी का राजनीतिक भविष्य तलाशते रहे.

क्या है मणिपुर का सियासी समीकरण?
मणिपुर में पिछली बार हुए विधानसभा चुनाव की बात करें, तो वहां कांग्रेस बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है. पार्टी ने 28 सीटें जीती. लेकिन प्रदेश में राजनीतिक घटनाओं ने ऐसा रणनीतिक मोड़ लिया कि 21 सीटें जीतने वाली बीजेपी ने तीन क्षेत्रीय दलों नागा पीपुल्स फ्रंट, नेशनल पीपुल्स पार्टी, और लोक जनशक्ति पार्टी के समर्थन से प्रदेश में सरकार बना ली. इतना ही नहीं, एलजेपी के एकमात्र विधायक करम श्याम बहादुर भी बीजेपी के खेमे में शामिल हो गए.

क्या गोवा में गड़ेगा जदयू का झंडा?
जिस एक और राज्य पर जदयू की निगाह है वो गोवा है. जहां विधानसभा चुनाव से पहले अरविंद केजरीवाल और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी दौरा कर चुकी हैं. केजरीवाल ने तो वहां के मछुआरों को लेकर बड़ी घोषणा तक कर दी है. उस गोवा में जदयू अपना पांव फैलाने की फिराक में है. जहां पार्टी का कोई अपना संगठन नहीं रहा है. हालांकि, हाल के दिनों में राजद की गोवा प्रदेश इकाई का विलय जदयू में हुआ है. पार्टी के नेता मानते हैं कि गोवा में जदयू अपनी पूरी ताकत लगा देगी. पार्टी संगठन को दुरुस्त कर रही है. पार्टी के कार्यकर्ता स्थानीय लोगों में पैठ बना रहे हैं. डोर टू डोर विजिट के कार्यक्रम चल रहे हैं. फिलहाल गोवा की तस्वीर पूरी तरह साफ नहीं दिखती. लेकिन पार्टी का स्टैंड क्लियर है कि वो वहां भी चुनाव लड़ेगी.

तीन राज्य और बीजेपी का जदयू कनेक्शन
क्षेत्रीय पार्टियों के लिए राष्ट्रीय राजनीति का रास्ता तैयार करने वाले यूपी की बात करें, तो यहां जदयू बीजेपी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ेगी. स्थिति अब और विकट होती जा रही है. हाल में दिल्ली में बीजेपी की बैठक हुई. लेकिन बैठक के बाद भी सहयोगी दलों के लिए कोई सीधा सपाट बयान नहीं आया. बीजेपी ने गठबंधन के मुद्दे पर मुंह नहीं खोला. उधर जदयू को ये बात चुभ गई है. सहयोगी पार्टी जदयू का सियासी सब्र छलकने लगा है. मीडिया से बातचीत में हाल में पार्टी नेता केसी त्यागी ने कह दिया है कि- हम चाहते हैं कि प्रदेश में बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़े. लेकिन हमें पता तो चलना चाहिए कि हमारे हिस्से क्या आ रहा है. त्यागी ने तल्ख अंदाज में मीडिया को ये भी कह दिया कि अगर हमसे गठबंधन नहीं करना है, तो बीजेपी साफ कहे. हम अकेले दम पर यूपी में 51 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे.