
पिछले कुछ सालों में भारत में अफसरों के कामकाज करने के तरीके में बदलाव आया है. आजकल बहुत से अफसर खुद आम आदमी के बीच जाकर उनकी परेशानी सुनते हैं और हल करने की कोशिश करते हैं. झारखंड के गढ़वा इलाके में भी एक अफसर ने कुछ ऐसी ही पहल की है. हर एक बुधवार को, गढ़वा में उप-विभागीय मजिस्ट्रेट (SDM) कार्यालय में स्थानीय लोगों की भीड़ इकट्ठा होती है.
और इस आयोजन का नाम है, 'कॉफी विद एसडीएम.' यह अनूठी पहल गढ़वा के लोगों के लिए बड़ी राहत ला रही है, क्योंकि वे अलग-अलग सेक्टर से लोगों को बुलाते हैं और हर हफ्ते एक कप कॉफी पर उनसे बात करते हैं और उनकी समस्याओं को हल करने का प्रयास करते हैं.
लोगों की छोटी-बड़ी समस्याएं सुनते हैं SDM
SDM संजय कुमार लोगों को आमंत्रित करते हैं, और उनकी शिकायतें, समस्याएं और सुझाव ध्यान से सुनते हैं. अधिकारी प्रशासन की सलाह से उनकी शिकायतों का तत्काल समाधान करने की जिम्मेदारी लेते हैं. पीड़ित कोई भी हो, चाहे उनकी शंकाएं कितनी ही छोटी क्यों न हों, एसडीएम कुमार सबकी बात सुनते हैं. सीनियर सिटीजन, किसान, व्यवसायी, से लेकर बच्चे, ऑटो रिक्शा चालक और न्यूज पेपर वेंडर्स - एसडीएम ऑफिस कभी किसी के लिए अपने दरवाजे बंद नहीं करता है.
यहां तक कि उन्होंने बड़े पैमाने पर सामाजिक मुद्दों को समझने के लिए असंगठित क्षेत्र के मजदूरों, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों, दिव्यांगों और पंचायत प्रतिनिधियों को बुलाने की भी योजना बनाई है. एसडीएम के मुताबिक इस कार्यक्रम से आम लोगों और प्रशासन के बीच संवाद बेहतर हुआ है. उन्होंने कहा, साप्ताहिक बातचीत से सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं और लोग खुलकर अपने परिवेश को बेहतर बनाने के लिए सुझाव दे रहे हैं.
8 सेशन कर चुके हैं आयोजित
अब तक, एसडीएम ने ऐसे आठ सेशन आयोजित किए हैं और विभिन्न वर्गों के 400 से ज्यादा लोगों से बात की है और कॉफी पर घंटों तक उन्हें धैर्यपूर्वक सुना है. एसडीएम का कहना है कि भले ही अब तक वह जितने लोगों से मिले हैं, उनकी संख्या बहुत ज्यादा न लगे लेकिन इससे जो रिजल्ट मिलेगा उसका असर लॉन्ग टर्म में अच्छा होगा. इससे और भी बहुत से लोगों को फायदे मिलता है क्योंकि समस्याएं सिर्फ एक व्यक्ति को नहीं बल्कि एक समूह या समुदाय को प्रभावित करती हैं.
उन्होंने जब बुजुर्गों से बात की तो उनमें से एक ने कहा कि अत्यधिक ठंड के कारण वे सुबह की सैर पर नहीं जा पा रहे थे क्योंकि स्थानीय पार्कों में मुफ्त प्रवेश की अनुमति केवल सुबह 8 बजे तक है. सेवानिवृत्त और बुजुर्ग जिनके पास आय का कोई साधन नहीं है, उनके लिए हर दिन पार्कों में एंट्री फीस देना मुश्किल है. उन्होंने तुरंत संबंधित प्राधिकारी को फोन करके पार्कों में मुफ्त एंट्री को सुबह 11 बजे तक बढ़ाने के लिए कहा.
आधे घंटे तक चलती है बातचीत
इस कार्यक्रम में लोग अपने शहर को बेहतर बनाने के लिए सुझाव दे रहे हैं. आम तौर पर लोग अधिकारियों तक अपनी बात नहीं पहुंचा पाते हैं और अपनी समस्याओं के साथ जीते रहते हैं. इसलिए सबसे पहले संजय कुमार ने ऑफिस के आसपास का माहौल और बैठने की व्यवस्था बदली. अब, सब एक गोल मेज पर एक साथ बैठते हैं जिसमें सभी के लिए समान कुर्सियां, सभी के लिए समान कॉफी कप होते हैं, ताकि उन्हें यह एहसास हो कि यहां हर कोई एक जैसा है.
हर बुधवार को आधे घंटे तक सेशन चलता है. एसडीएम ने कहा कि जब एक व्यक्ति अपनी समस्याएं बताता है, तो अन्य लोग भी अपनी समस्याएं लेकर आते हैं, इसलिए बातचीत जारी रहती है.