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Horizontal Reservation: झारखंड में मिलेगा Transgender समुदाय को शिक्षा-नौकरी में आरक्षण, जानें क्या है हॉरिजॉन्टल रिजर्वेशन जिसकी ट्रांस कम्युनिटी कर रही है शुरू से मांग

हॉरिजॉन्टल रिजर्वेशन कैटेगरी के अंदर जो वंचित समूह होते हैं उनके लिए अलग-अलग नीतियां शुरू करने की बात करता है. उदाहरण के लिए, विकलांग व्यक्तियों को सभी वर्टिकल कैटेगरी में हॉरिजॉन्टल रिजर्वेशन की गारंटी दी जाती है.

Transgender Community and Horizontal Reservation Transgender Community and Horizontal Reservation
हाइलाइट्स
  • Transgender के लिए शुरू होनी चाहिए नीतियां

  • हॉरिजॉन्टल रिजर्वेशन की हो रही है मांग

भारत में ट्रांसजेंडर व्यक्ति लंबे समय से अपने हकों की मांग कर रहे हैं. इसके लिए लगातार हॉरिजॉन्टल रिजर्वेशन की मांग की जा रही है. अब इसी कड़ी में सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने और ट्रांसजेंडर को समाज की मुख्यधारा में लाने के उद्देश्य से, झारखंड सरकार ने ट्रांसजेंडर समुदाय को अपनी सार्वभौमिक पेंशन योजना के तहत जोड़ने का फैसला किया है.

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में यह फैसला लिया गया है. सरकार ने ट्रांसजेंडर कम्युनिटी को पिछड़ा वर्ग श्रेणी (Under backward class) में शामिल करने का भी निर्णय लिया है. 

हर महीने दिए जाएंगे 1000 रुपये 

कैबिनेट सचिव वंदना डाडेल ने कहा, "मंत्रिपरिषद ने सामाजिक सहायता योजना के तहत ट्रांसजेंडर लोगों के लिए मुख्यमंत्री राज्य सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. पात्र लाभार्थी को वित्तीय सहायता के रूप में 1,000 रुपये प्रति माह मिलेंगे "

महिला, बाल विकास और सामाजिक सुरक्षा विभाग (WCDSS) के अनुसार, 2011 में झारखंड में ट्रांसजेंडर आबादी लगभग 11,900 थी, जो वर्तमान में लगभग 14,000 हो गई है. 

 देशभर में हो रही है रिजर्वेशन की मांग 

गौरतलब है कि पिछले कुछ सालों से ट्रांसजेंडर कम्युनिटी हॉरिजॉन्टल रिजर्वेशन की मांग कर रही है. आरक्षण की मांग को हाशिए पर रहने वाले समुदायों के प्रमुख कार्यकर्ताओं ने समर्थन दिया है, जिनमें दलित, बहुजन, आदिवासी, साथ ही ग्रेस बानू, लिविंग स्माइल विद्या और दिशा पिंकी शेख जैसे ट्रांसजेंडर कार्यकर्ता भी शामिल हैं.

ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए आरक्षण के बारे में अदालतों ने क्या कहा है?

भारतीय राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (एनएएलएसए) बनाम भारत संघ (2014) मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को आरक्षण का अधिकार है क्योंकि वे "सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग हैं." हालांकि, फैसले में यह साफ नहीं किया गया था कि ये आरक्षण वर्टिकल होना चाहिए या हॉरिजॉन्टल? 

क्या है वर्टिकल और हॉरिजॉन्टल रिजर्वेशन? 

भारत में, शिक्षा और रोजगार में आरक्षण को दो प्रकारों में बांटा जा सकता है- वर्टिकल और हॉरिजॉन्टल रिजर्वेशन

-वर्टिकल रिजर्वेशन जाति में आने वाला क्रम और सामाजिक और शैक्षिक "पिछड़ेपन" से उत्पन्न होने वाले सामाजिक भेदभाव को संबोधित करता है. इसमें अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए आरक्षण शामिल है.

-हॉरिजॉन्टल रिजर्वेशन कैटेगरी के अंदर जो वंचित समूह होते हैं उनके लिए अलग-अलग नीतियां शुरू करने की बात करता है. उदाहरण के लिए, विकलांग व्यक्तियों को सभी वर्टिकल कैटेगरी में हॉरिजॉन्टल रिजर्वेशन की गारंटी दी जाती है.

हॉरिजॉन्टल रिजर्वेशन की मांग क्या है?

ट्रांसजेंडर व्यक्तियों का तर्क है कि समाज में उनके हाशिए पर रहने को संबोधित करने और उनकी सामाजिक पहचान के अलग-अलग पहलुओं को स्वीकार करने के लिए हॉरिजॉन्टल रिजर्वेशन जरूरी है. वर्तमान में, कई ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को अनौपचारिक रूप से भीख मांगने और सेक्स वर्क जैसे कामों में लगना पड़ता है. इसका कारण है कि औपचारिक रोजगार में उन्हें भेदभाव का सामना करना पड़ता है. 

हालांकि, तमिलनाडु और कर्नाटक जैसे कुछ राज्यों ने ट्रांसजेंडर कम्युनिटी के लिए रिजर्वेशन शुरू करने के प्रयास किए हैं, लेकिन ये पहल ज्यादा फल नहीं पाई. ट्रांसजेंडर व्यक्तियों ने शिक्षा और नौकरियों में हॉरिजॉन्टल रिजर्वेशन की मांग करते हुए भारत भर के अलग-अलग हाई कोर्ट में याचिकाएं दायर की हैं.