
ये शनिवार देश के लिए खास है. भारतीय शास्त्रों में शनि को न्याय का ग्रह देव माना गया है. शनिवार को ही सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में ललित युग का उदय हो रहा है. यानी जस्टिस उदय उमेश ललित देश के 49 वें मुख्य न्यायाधीश पद के लिए शपथ ली. इस शपथ समारोह का साक्षी उनके परिवार की चार पीढ़ियां रहीं. जस्टिस ललित ने शपथ ग्रहण के बाद अपने पिता जस्टिस उमेश रंगनाथ ललित के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लिया.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिलाई शपथ
राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु ने जस्टिस ललित को दिलाई मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ। राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में आयोजित सादे किंतु भव्य गरिमामय समारोह में ईश्वर के नाम पर अपना संवैधानिक दायित्व निभाने की शपथ लेकर न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित के 74 दिनों का कार्यकाल शुरू किया.
न्याय व्यवस्था में सुधार की जताई मंशा
जस्टिस ललित ने शपथ ग्रहण से एक दिन पहले ही तीन मुख्य सुधार करने के लिए समुचित कदम उठाने की मंशा जताई है. मुकदमों को शीघ्र सूचीबद्ध करने की प्रक्रिया को ज्यादा पारदर्शी और व्यावहारिक बनाया जाएगा. अर्जेंट सुनवाई योग्य मुकदमों की मेंशनिंग की व्यवस्था सुचारू की जाएगी ताकि समुचित पीठ के सामने तुरंत मामला मेंशन किया जा सके. इस बाबत अर्जेंसी तय करने की भी प्रक्रिया स्क्रीनिंग का भी सिस्टम बनेगा.
जस्टिस चंद्रचूड़ वाली कॉलेजियम का नेतृत्व करेंगे
सीजेआई के रूप में जस्टिस ललित उस कॉलेजियम का नेतृत्व करेंगे जिसमें जस्टिस चंद्रचूड़, जस्टिस कौल, जस्टिस नजीर और जस्टिस इंदिरा बनर्जी भी शामिल होंगी. हालांकि हाईकोर्ट के जजों की नियुक्ति के लिए जस्टिस ललित के साथ जस्टिस चंद्रचूड़ और जस्टिस संजय किशन कौल होंगे. जस्टिस बनर्जी के 23 सितंबर को रिटायर होने के साथ ही जस्टिस केएम जोसेफ कॉलेजियम के सदस्य के तौर पर प्रवेश करेंगे.
74 दिनों का होगा कार्यकाल
जस्टिस ललित 74 दिन बाद 8 नवंबर को सीजेआई के पद से सेवानिवृत्त होंगे. इसके बाद जस्टिस चंद्रचूड़ 50वें मुख्य न्यायाधीश के तौर पर नियुक्त होंगे. उनका कार्यकाल पूरे दो वर्ष का होगा.
मयूर विहार के फ्लैट में रहते थे जस्टिस उदय
बॉम्बे से दिल्ली आने के बाद मयूर विहार के फ्लैट से शुरू हुआ पेशेवर जीवन अब राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में शपथ ग्रहण तक पहुंचा. अगले 74 दिन देश की न्यायपालिका को एक सुघड़ नेतृत्व देने के हैं. सुधार की एक नई व्यवस्था की अगुवाई करने के हैं.
क्रिमिनल लॉयर के रूप में बनाई थी पहचान
जस्टिस उदय ने दिल्ली में अपनी अलग शैली से वकालत के क्षेत्र में धाक जमाते हुए टॉप के क्रिमिनल लॉयर के रूप में पहचान बनाई. उन्होंने साबित किया कि अपने नायाब तरीके, दलीलों से सौम्य व्यक्तित्व वाला मृदु भाषी व्यक्ति कैसे मुकदमे और दिल जीतता है. कानून की स्पष्ट समझ, सुलझा हुआ व्यक्तित्व और कानून की पेचीदगी समझाने की सरल शैली जस्टिस ललित को भीड़ से अलग और ऊपर करती है.
चार पीढ़ियों के सामने ली शपथ
जस्टिस ललित के 90 वर्षीय पिता उमेश रंगनाथ ललित और परिवार के सबसे छोटे सदस्य के रूप में पोते पोतियां भी शपथ ग्रहण समारोह में लोगों की निगाहों के केंद्र हैं. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जस्टिस ललित को देश के मुख्य न्यायाधीश को शपथ दिला रही हैं. जस्टिस ललित के परिवार में एक सदी से ज्यादा समय यानी कई पीढ़ियों से विधि और न्याय शास्त्र के विद्वान रहे हैं. जस्टिस ललित के दादा रंगनाथ ललित महाराष्ट्र के सोलापुर में वकालत करते थे जबकि पिता उमेश रंगनाथ ललित ने सोलापुर से वकालत शुरू की. मुंबई और महाराष्ट्र में वकालत में नाम कमाया और फिर मुंबई हाईकोर्ट में जज भी बने.
कुछ ऐसा है जस्टिस उदय का परिवार
जस्टिस उदय उमेश ललित की पत्नी अमिता उदय ललित का पेशेवर जीवन वकालत से नहीं जुड़ा है. वो पेशे से शिक्षाविद हैं और नोएडा में दशकों से बच्चों का स्कूल चलाती हैं. अगली पीढ़ी में दो पुत्र हैं जस्टिस ललित और अमिता ललित के. बड़ा बेटा श्रेयस और उसकी पत्नी रवीना दोनों पेशेवर वकील हैं. श्रेयस ने आईआईटी गुवाहाटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग करने के बाद वकालत को पेशा बनाया है. छोटा बेटा हर्षद अपनी पत्नी राधिका के साथ अमेरिका में पेशेवर जीवन में है.