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Kargil Vijay Diwas 2025: 16 साल की उम्र में सेना में भर्ती... 19 साल में परमवीर चक्र... 17 गोली लगने के बाद भी योगेंद्र यादव ने पाकिस्तानी सैनिकों को उतार दिया था मौत के घाट... टाइगर हिल पर फहराया था तिरंगा

Kargil War Hero Yogendra Yadav: कारगिल युद्ध के दौरान भारत माता के वीर सपूत योगेंद्र सिंह यादव को 17 गोलियां लगी थीं. इसके बावजूद लड़ाई जारी रखी थी. कई पाकिस्तानी सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया था और टाइगर हिल पर तिरंगा फहराया था. कारगिल विजय दिवस पर आप भी जानिए इस परमवीर चक्र विजेता की कहानी. 

Kargil War Hero Yogendra Yadav Kargil War Hero Yogendra Yadav
हाइलाइट्स
  • कारगिल युद्ध में भारत ने हराया था पाकिस्तान को 

  • भारत ने 26 जुलाई को आधिकारिक रूप से की थी विजय की घोषणा 

Param Vir Chakra Winner Yogendra Yadav: हर साल कारगिल विजय दिवस 26 जुलाई को मनाया जाता है. यह दिवस भारत माता के उन वीर सपूतों की याद में मनाया जाता है, जिन्होंने 1999 में पाकिस्तान के खिलाफ कारगिल युद्ध में अदम्य साहस दिखाया था. कारगिल विजय दिवस पर हम आपको परमवीर चक्र विजेता सूबेदार मेजर (मानद कैप्टन) योगेंद्र सिंह यादव कि रोंगटे खड़े कर देने वाली कहानी बता रहे हैं. कारगिल युद्ध के दौरान योगेंद्र यादव को 17 गोलियां लगी थीं. इसके बावजूद उन्होंने लड़ाई जारी रखी थी. कई पाकिस्तानी सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया था और टाइगर हिल पर तिरंगा फहराया था. 

कौन हैं योगेंद्र सिंह यादव
1. योगेंद्र सिंह यादव का जन्म उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के औरंगाबाद अहीर गांव में 10 मई 1980 को हुआ था. 
2. योगेंद्र सिंह यादव के पिता करण सिंह यादव भी भारतीय सेना का हिस्सा रहे थे. वे 1965 और 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ हुए युद्ध में शामिल हुए थे.
3. योगेंद्र सिंह यादव बचपन से ही देशसेवा का जज्बा रखते थे.सिर्फ 16 साल की उम्र में सेना में भर्ती हो गए और 18 ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट का हिस्सा बने.
4. योगेंद्र सिंह यादव ने महज 18 साल की उम्र में कारगिल की सबसे ऊंची चोटी टाइगर हिल पर लड़ाई लड़ी. 
5. सबसे कम उम्र 19 साल में योगेंद्र यादव परमवीर चक्र पाने वाले सैनिक बन गए. 15 अगस्त 1999 को उन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था. 

कैसे और कब शुरू हुआ था कारगिल युद्ध 
साल 1999 में पाकिस्तानी सेना ने चुपके से LOC (लाइन ऑफ कंट्रोल) पार कर भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की थी. उन्होंने ऊंचाई वाले क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया था. इन्हीं में एक अहम पोस्ट टाइगर हिल थी. ऊंचाई पर बैठे पाकिस्तानी सैनिकों की मंशा श्रीनगर-लेह राजमार्ग को बाधित करने की थी. पाकिस्तानी सैनिकों को खदेड़ने के लिए भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय की शुरुआत की थी. हमारे वीर सैनिकों ने दुश्मनों को खदेड़ भगाया था. 

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योगेंद्र यादव ने दिखाई थी असाधारण वीरता 
कारगिल युद्ध में योगेंद्र यादव ने असाधारण वीरता दिखाई थी. योगेंद्र यादव 18वीं ग्रेनेडियर घातक प्लाटून के स्पेशल कमांडो में शामिल थे, जिसे दुश्मन के बंकरों पर कब्जा करने का जिम्मा मिला था. इस लड़ाई में हलवदार योगेंद्र यादव ने अहम भूमिका निभाई थी. योगेंद्र यादव को 17 गोलियां लगी थी इसके बावजूद उन्होंने दुश्मन के तीन बंकर उड़ाए थे.  

टाइगर हिल पर कब्जे की लड़ाई
15 मई 1999 को 8 सिख के जवानों ने टाइगर हिल की घेरेबंदी की थी. 2 जुलाई 1999 को टाइगर हिल पर कब्जा करने की जिम्मेदारी 18 ग्रेनेडियर को सौंपी गई. टाइगर हिल पर 90 डिग्री की सीधी और काफी खतरनाक चढ़ाई थी, ऊपर से पाकिस्तानी सैनिक लगातार फायरिंग कर रहे थे. टाइगर हिल को फतह करने में हमारे 44 जवानों ने शहादत दी थी. इस प्लाटून ने टाइगर हिल पर तिरंगा फहराया. 18 ग्रेनेडियर की अगुवाई कर्नल खुशहाल ठाकुर ने की थी. कमांडो टीम का नेतृत्व कैप्टन बलवान सिंह ने किया.

दुश्मनों पर कहर बनकर टूटे थे योगेंद्र यादव 
हलवदार योगेंद्र यादव ने 3 जुलाई 1999 को दुश्मन की भारी गोलीबारी के बीच योगेंद्र ने बर्फीली चट्टान पर चढ़ाई शुरू की थी. योगेंद्र यादव ऊपर पहुंचकर दुश्मनों पर कहर बनकर टूट पड़े थे. उनके बंकर तबाह कर दिए. इस दौरान दुश्मन जवान भारतीय सेना पर फायरिंग करने लगे. योगेंद्र यादव के मुताबिक 30-35 पाकिस्तानी हम पर हमला करने लगे. हमें भी गोली लग गई. हमारे साथी शहीद हो गए. 

पाकिस्तान सैनिक चेक करने आए कि कोई जिंदा तो नहीं है. पाकिस्तानी सैनिक हमारे जवानों की लाशों पर गोलियां मार रहे थे. योगेंद्र यादव ने बताया कि पाकिस्तानियों ने मेरे हाथ, जांघ और पैर में गोलियां मारी थी. पाकिस्तानियों को जब पूरी तरह से यकीन हो गया कि कोई भारतीय सैनिक जिंदा नहीं हैं, तब तक वे गोली बरसाते रहे. इसके बाद पाकिस्तानी सेना के कमांडर ने टाइगर हिल के नजदीक अपने बेस कैंप में कहा कि भारतीय सेना के एमएमजी कैंप पर हमला कर दो. मुझे बस यही लग रहा था कि किसी तरह से ये मैसेज अपने साथियों को देना है.

ग्रेनेड फेंके और राइफल उठाकर किया हमला 
योगेंद्र यादव ने बताया कि एक पाकिस्तानी का पैर मेरे पैर से टकराया तो मुझे महसूस हुआ कि मैं जिंदा हूं. मैंने ग्रेनेड से पिन निकालकर पाकिस्तानी सैनिकों की तरफ फेंका. बम पाकिस्तानी सैनिक के कोट के हुड में घुस गया. उसका सिर उड़ गया. इसके बाद मैंने राइफल उठाकर गोलियां बरसानी शुरू कर दी. इसमें कई पाकिस्तानी मारे गए और कई भाग गए.

योगेंद्र ने बताया था कि इसके बाद मैंने तुरंत दूसरी जगह पहुंचा, वहां पाकिस्तानी सेना के जवानों के हथियार रखे हुए थे. मैंने उन हथियारों को नष्ट कर दिया. इसके बाद नाले में कूद कर मैं अपने साथियों के पास पहुंच गए. उन्हें पाकिस्तानी सेना की पूरी जानकारी दी. इस तरह से टाइगर हिल पर भारतीय सेना ने कब्जा जमाया था. 

योगेंद्र यादव को बहादुरी पर मिला परमवीर चक्र
बताया जाता है कि कारगिल युद्ध में कमांडो टीम का नेतृत्व कर रहे कैप्टन बलवान सिंह के साथ 20 सैनिक गए थे, लेकिन जब लड़ाई खत्म हुई तो सिर्फ दो लोग जिंदा बचे थे. सेना को लगा कि योगेंद्र यादव शहीद हो गए हैं. इसी कारण उन्हें शुरू में मरणोपरांत (मृत्यु के बाद) परमवीर चक्र देने का ऐलान हुआ.

बाद में जब पता चला कि वो जिंदा हैं और अस्पताल में इलाज चल रहा है तो उन्हें जीवित रहते हुए परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया. आपको मालूम हो कि साल 1999 में ही योगेंद्र यादव की शादी हुई थी. वे अपने गांव में छुट्टी पर गए थे. अभी छुट्टी के 15 दिन बीते ही थे कि पता चला कि सरहद पर युद्ध छिड़ने वाला है. उनको कमांड से बुलावा आ गया था और योगेंद्र यादव युद्ध लड़ने के लिए चल पड़े थे.