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एक बार घृणा फैलाने पर 7 साल तक, बार बार फैलाने पर 10 साल तक की सजा... कर्नाटक हेट स्पीच बिल 2025 में क्या है, जानिए

कर्नाटक सरकार ने 10 दिसंबर को विधानसभा में 'कर्नाटक हेट स्पीच और हेट क्राइम बिल' पेश किया. यह बिल इसलिए लाया जा रहा है ताकि राज्य में हिंसा भड़काने के इरादे से कोई भी किसी तरह की अशांति न फैलाए, नहीं तो उस व्यक्ति पर सख्त कानूनी कार्यवाही की जाएगी. जानें क्या है पूरा नियम और किसको मिलेगी छूट.

कर्नाटक सीएम सिद्धारमैया कर्नाटक सीएम सिद्धारमैया
हाइलाइट्स
  • क्या है इस बिल का मकसद

  • क्या ये अपराध जमानती हैं?

  • ऑनलाइन कंटेंट पर भी लागू होगा यह कानून?

कर्नाटक में कांग्रेस सरकार ने 10 दिसंबर को विधानसभा में ‘कर्नाटक हेट स्पीच और हेट क्राइम बिल’ पेश किया. यह बिल राज्य में बढ़ते नफरत फैलाने वाले भाषण और अपराधों पर सख्ती से रोक लगाने के लिए लाया गया है. बिल पेश होने के दौरान विपक्ष ने जोरदार विरोध किया, लेकिन सरकार ने इसे राज्य के लिए जरूरी बताया है.

बिल का मकसद क्या है?
बिल का उद्देश्य किसी व्यक्ति, समूह, समुदाय या संगठन के खिलाफ नफरत, दुश्मनी या तनाव फैलाने वाले भाषण और अपराधों को रोकना है. इसमें कहा गया है कि हेट स्पीच और हेट क्राइम समाज में अशांति और विभाजन पैदा करते हैं, इसलिए इन पर कड़ी कार्रवाई करना जरूरी है.

हेट स्पीच क्या है?
अगर यह कोई स्पीच सार्वजनिक जगह पर इस इरादे से दिया जाए कि किसी व्यक्ति (जिंदा या मृत), किसी समूह या समुदाय के खिलाफ नफरत, दुश्मनी या तनाव फैल जाए, तो इसे हेट स्पीच माना जाएगा.

हेट क्राइम क्या माना जाएगा?
बिल के अनुसार हेट क्राइम वह है, जब किसी भी तरह का चित्र या लेख के माध्यम से हेट स्पीच फैले, जैसे हेट चित्र बनाना या कहीं लिख कर पब्लिश करना, उसे फैलाना या सर्कुलेट करना, उकसाना, बढ़ावा देना, फैलाने में मदद करना या ऐसा करने की कोशिश करना. अगर यह काम नफरत फैलाने की नीयत से किया गया है, तो यह अपराध माना जाएगा.

क्या सजा होगी?
इसके लिए अलग-अलग चरण में सजा दी जाएगी. अगर कोई पहली बार अपराध करता है तो उसे कम से कम 1 साल से लेकर 7 साल की सजा और 50,000 रुपये जुर्माना हो सकता है. अगर दोबारा अपराध किया जाए, तब कम से कम 2 साल की सजा, जो 10 साल तक हो सकती है और 1 लाख रुपए तक जुर्माना लग सकता है.

क्या ये अपराध जमानती हैं?
नहीं, यह अपराध गैर-जमानती और संज्ञेय अपराध है. इसका मतलब है पुलिस बिना वारंट ही अपराधी को गिरफ्तार कर सकती है. जमानत देना है या नहीं, यह अदालत के हाथ में होगा. सुनवाई न्यायिक मजिस्ट्रेट फर्स्ट क्लास की अदालत में होगी.

किन चीजों पर छूट मिलेगी?
बिल कुछ तरह की चीजों को हेट स्पीच नहीं मानेगा, जैसे विज्ञान, साहित्य, कला, शिक्षा या सार्वजनिक हित के लिए लिखी गई सामग्री. ऐतिहासिक, धार्मिक या सांस्कृतिक विरासत से जुड़ी सामग्री. अगर कोई पब्लिक प्रकाशन 'पब्लिक गुड' के लिए सही साबित होता है, तो वह अपराध नहीं माना जाएगा.

पुलिस और मजिस्ट्रेट को मिलेंगे विशेष अधिकार
अगर किसी व्यक्ति या समूह पर यह शक हो कि वह हेट स्पीच या हेट क्राइम कर सकता है, तो कार्यकारी मजिस्ट्रेट, स्पेशल एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट या डीएसपी रैंक का अधिकारी निवारक कार्रवाई कर सकता है. यह प्रक्रिया भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 (BNSS) के अध्याय IX के तहत होगी.

ऑनलाइन कंटेंट पर भी लागू होगा यह कानून?
राज्य सरकार द्वारा अधिकृत अधिकारी किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, सर्विस प्रोवाइडर या व्यक्ति को निर्देश दे सकता है कि हेट क्राइम सामग्री को ब्लॉक करें, उसे इंटरनेट से हटाने के लिए भी कहा जा सकता है. यह केंद्र सरकार के IT नियमों के साथ मिलकर काम करेगी.

सरकारी अधिकारियों को सुरक्षा
अगर कोई अधिकारी अच्छे इरादे से कार्रवाई करता है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई नहीं होगी. यह प्रावधान कई अन्य कानूनों की तरह यहां भी शामिल किया गया है.

क्या यह केंद्र के कानूनों को ओवरराइड करेगा?
नहीं, बिल साफ कहता है कि इसकी प्रावधानें अन्य मौजूदा कानूनों के अतिरिक्त होंगी. इसमें ली गई कई परिभाषाएं BNS और IT Act से हैं.

यह बिल कर्नाटक में नफरत फैलाने वाली गतिविधियों पर सख्त नियंत्रण के लिए एक बड़ा कदम माना जा रहा है. सरकार का कहना है कि यह कानून समाज में शांति और सद्भाव बनाए रखने में मदद करेगा, जबकि विपक्ष को आशंका है कि इसका दुरुपयोग भी हो सकता है.