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Acid Attack Survivor: एसिड अटैक में खोई आंखें...दो साल डिप्रेशन में रहीं, अब कई जरूरतमंद महिलाओं को रोजगार देकर बना रही सशक्त

ये कहानी है उत्तराखंड के रामनगर की रहने वाली कविता बिष्ट की, जो एक एसिड अटैक सर्वाइवर हैं. इस अटैक में उन्होंने अपनी आखों की रोशनी भी खो दी थी. लेकिन अब हजारों महिलाओं के रोजगार दे रही हैं.

कविता बिष्ट कविता बिष्ट
हाइलाइट्स
  • महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रही हैं कविता

  • एसिड से चली गई आंखों की रोशनी

29 साल की कविता बिष्ट से जिंदगी ने सब कुछ छीन लिया था. उनके जिंदगी के रंग, रोशनी और उम्मीदें सब खत्म हो चुकी थी. लेकिन कभी न हार मानने वाले उनके जज्बे ने उन्हें जिंदगी को एक बार फिर से जीने का मौका दिया.

दरअसल, कविता बिष्ट एक एसिड अटैक सर्वाइवर हैं जो एसिड अटैक के कारण चेहरे के साथ-साथ अपनी आंखों की रोशनी भी को चुकी है. लेकिन आज वो दिव्यांग बच्चों को पढ़ाने के अलावा गांव की लड़कियों और महिलाओं को रोजगार देकर उन्हें आत्मनिर्भर भी बना रही हैं. 

महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रही हैं कविता
कविता होम के नाम से उनका यह स्कूल उत्तराखंड के रामनगर में स्थित है. आस पास के इलाके में सुविधाएं न होने के कारण अक्सर महिलाएं और बच्चे शिक्षा और रोजगार से वंचित रह जाते हैं. कविता बताती हैं कि उनकी इस पहल से महिलाओं ने हाथों में बेलन और कढ़ची की बजाय कलम और रोजगार के अवसरों को थमा है. आज उनकी कविता होम में लगभग सौ लड़कियों को प्रशिक्षण देकर उन्हें आत्मनिर्भर बना रही हैं. इसके साथ साथ यह उन महिलाओं के बच्चों को कंप्यूटर की शिक्षा भी दे रही हैं.

प्यार के नाम पर एसिड का शिकार
कविता बताती हैं कि साल 2008 में नोएडा में रहने वाला एक लड़का उसे पसंद करने लगा था. लड़के ने यह बाद कविता के दोस्त को बताई. कविता उस वक्त अपने करियर पर ध्यान देना चाहती थीं इसलिए उसने इन सब बातो में उलझने से साफ मना कर दिया. कई बार मना करने के बावजूद लड़का दोस्ती करने के पीछे पड़ा रहा.

साफ शब्दों में जब कविता ने अपनी दोस्त को उस लड़के से बात करने के लिए मना किया तब उसने बदला लेने की ठानी. कविता बताती हैं कि ऑफिस जाने के लिए सुबह 5:00 बजे घर से निकली थी. अचानक से 2 लोग हेलमेट पहनकर बड़ी तेजी से आए और उनके मुंह पर तेजाब फेंक दिया. पहले कुछ घंटों तक उन्हें समझ नहीं आया लेकिन एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल तक भटकने के बाद में समझ आया कि उनके ऊपर एसिड फेंका गया है.

एसिड से चली गई आंखों की रोशनी
उनकी हालत इतनी खराब थी कि चेहरे के साथ-साथ आंखों की रोशनी भी चली गई थी. तब से लेकर अब तक कविता के कुल 18 ऑपरेशन हो चुके है. वे कहती हैं कि इतने ऑपरेशन हो जाने के बाद शरीर में साथ देना छोड़ दिया है लेकिन फिर भी उनका जज्बा जोश और जुनून ही है जो जिंदगी को एक सकारात्मक नजरिए से देखने के लिए मजबूर करता है.

आज कविता पर एसिड फेंकने वाला लड़का सरेआम बेखौफ घूम रहा है. लेकिन जिंदगी को अलग नज़र से देखने वाली कविता जिंदगी में काफी आगे बढ़ चुकी हैं. वे कहती हैं कि भले ही मेरी जिंदगी से सभी रंग चले गए हों लेकिन आज मैं कई लोगों की जिंदगी में रंग भर रही हूं.