
असम के महान गायक, संगीतकार और सांस्कृतिक प्रतीक जुबिन गर्ग की याद में काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान प्रशासन ने एक अनोखी पहल की है. पार्क के अधिकारियों ने हाल ही में जन्मी एक हथिनी का नाम “मायाबिनी” रखा है. मायाबिनी जुबिन गर्ग के सबसे मशहूर और इमोशनल गीतों में से एक है.
शनिवार को की गई इस घोषणा के दौरान अधिकारियों ने बताया कि यह नामकरण असम की संस्कृति, संगीत और पर्यावरण संरक्षण में जुबिन गर्ग के योगदान को सम्मानित करने का एक प्रतीकात्मक तरीका है.
जुबिन को श्रद्धांजलि
काज़ीरंगा के पश्चिमी क्षेत्र में जन्मी यह नन्ही हथिनी अब पार्क के पर्यटकों और कर्मचारियों के बीच चर्चा का विषय बन गई है. अधिकारी बताते हैं कि “मायाबिनी” नाम इसलिए चुना गया क्योंकि यह जुबिन गर्ग की प्रकृति से गहरी आत्मीयता और असम की सांस्कृतिक पहचान पर उनके गहरे प्रभाव को दर्शाता है.
प्रकृति और संगीत के दूत थे जुबिन गर्ग
जुबिन गर्ग ने 19 सितंबर को सिंगापुर में अंतिम सांस ली, न सिर्फ़ असम बल्कि पूरे उत्तर-पूर्व भारत के सांस्कृतिक दूत माने जाते थे.
उन्होंने अपने गीतों के ज़रिए असमिया भाषा, लोकसंगीत और क्षेत्रीय भावनाओं को नई पहचान दी. संगीत के अलावा वे जानवरों के संरक्षण, पर्यावरण जागरूकता और मानवता के संदेशों के भी प्रबल समर्थक थे. उनका जीवन और कला दोनों ही प्रकृति के प्रति प्रेम और समाज के प्रति संवेदना से ओतप्रोत थे.
“मायाबिनी” गीत जुबिन गर्ग की सबसे प्रिय और प्रसिद्ध रचनाओं में से एक है. इस गीत की मधुरता और भावनात्मक गहराई ने इसे असम के संगीत इतिहास में अमर बना दिया. इसी कारण जब काज़ीरंगा ने नवजात हथिनी को यह नाम दिया, तो यह केवल एक श्रद्धांजलि नहीं रही- बल्कि प्रकृति और संगीत के बीच जुबिन गर्ग की अनंत उपस्थिति का प्रतीक बन गई.
काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान की यह पहल न केवल एक कलाकार को श्रद्धांजलि है, बल्कि उस विचार को भी सलाम है कि संगीत, संस्कृति और प्रकृति आपस में गहराई से जुड़े हैं. “मायाबिनी” अब सिर्फ़ एक गीत या एक हाथी का नाम नहीं, बल्कि असम के दिल की धड़कन और जुबिन गर्ग की विरासत का जीवंत प्रतीक बन गई है.
(पूर्णा विकास बोरा की रिपोर्ट)
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