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क्या है ‘मोन्यूमेंट मित्र’ स्कीम जिसके तहत देश की हजार धरोहरों के रखरखाव की जिम्मेदारी सौंपी जा रही है निजी हाथों में

स्मारकों को तीन कैटेगरी में बांटा जाता है- ग्रीन, ब्लू और ऑरेंज . ये विभाजन पर्यटकों की भीड़ और विजिबिलिटी के आधार पर तय होता है. जैसे ताजमहल, कुतुब मीनार और लाल किला जैसी पॉपुलर जगहों को 'ग्रीन' के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जबकि पुराना किला और जंतर मंतर 'ब्लू' कैटेगरी में आते हैं. सांची स्तूप 'ऑरेंज' श्रेणी में एक लोकप्रिय स्थान है.

Monument Mitra Monument Mitra
हाइलाइट्स
  • 1000 से ज्यादा स्मारकों को लिया जाएगा गोद

  • तीन कैटेगरी में बांटा जाता है स्मारकों को

दिल्ली का लाल किला, कवि रहीम का मकबरा, गुजरात में रानी की बावड़ी यानी वाव और अजंता की ऐतिहासिक और विश्व प्रसिद्ध गुफाओं सहित देश की एक हजार से ज्यादा अनमोल धरोहरों के रखरखाव की जिम्मेदारी अब निजी कंपनियों को सौंपी जाएगी. केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने इनसे जुड़े एमओयू पर दस्तखत करना शुरू कर दिया है.

संस्कृति मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, सरकार की धरोहर और स्मारक मोन्यूमेंट मित्र परियोजना यानी किसी भी ऐतिहासिक महत्व की धरोहर समेटे स्मारक को गोद लेने वाली स्कीम रंग ला रही है. इस पर सरकार आगे बढ़ रही है.

1000 से ज्यादा स्मारकों को लिया जाएगा गोद 

मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया हमने अब तक 1000 से ज्यादा ऐसे स्मारकों और धरोहरों की निशानदेही और पहचान की है जिन्हें रखरखाव और अच्छी व्यवस्था की जरूरत है. इससे पर्यटन क्षेत्र को और ज्यादा फायदा मिल सकता है. लिहाजा हमने इनको बड़े औद्योगिक घरानों या इस मामले में विशेषज्ञ एनजीओ को देने पर कदम आगे बढ़ाए हैं. इससे इन ऐतिहासिक स्मारकों और धरोहरों को बेहतर रखाव और पर्यटकों को बेहतरीन सुविधाएं मिल सकेंगी. 

अभी 24 जगहों के लिए किये गए हैं दस्तखत 

बता दें, अभी सरकार ने 24 ऐसी जगहों की पहचान कर वहां के लिए कई उपयुक्त संस्थानों के साथ एमओयू पर दस्तखत किए हैं. इन स्थानों में दिल्ली में दारा शिकोह का कुतुबखाना यानी पुस्तकालय, बारह लाव का गुंबद, कवि और योद्धा अब्दुल रहीम खानखाना का मकबरा, लाल किला, गोवा में अगवाड़ा किला, गुजरात में रानी की वाव, आंध्र प्रदेश में गांदीकोटा फोर्ट और महाराष्ट्र के औरंगाबाद में स्थित अजंता की गुफाएं शामिल हैं. इनकी जिम्मेदारियां बेहतरीन रखरखाव के लिए निजी हाथों को दी जा रही है लेकिन मालिकाना हक और अधिशासी अधिकार सरकार अपने पास ही रहेगा. 

क्या है मोन्यूमेंट मित्र स्कीम?

दरअसल, मॉन्यूमेंट मित्र परियोजना पर्यटन और ऐतिहासिक स्मारकों को नई  जीवनदायिनी शक्ति देने के लिए शुरू की गई है. 'मोन्यूमेंट मित्र' शब्द 'एडॉप्ट ए हेरिटेज' परियोजना के तहत सरकार के साथ भागीदारी करने वाली इकाई के लिए गढ़ा गया है. इसे पिछले साल विश्व पर्यटन दिवस पर राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने लॉन्च किया था. इस स्कीम का उद्देश्य कॉर्पोरेट संस्थाओं, सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों या व्यक्तियों को आमंत्रित करके पूरे भारत में स्मारकों, विरासत और पर्यटन स्थलों को विकसित करना है.

तीन कैटेगरी में बांटा जाता है स्मारकों को

आपको बता दें, स्मारकों को तीन कैटेगरी में बांटा जाता है- ग्रीन, ब्लू और ऑरेंज . ये विभाजन पर्यटकों की भीड़ और विजिबिलिटी के आधार पर तय होता है. जैसे ताजमहल, कुतुब मीनार और लाल किला जैसे पॉपुलर जगहों को 'ग्रीन' के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जबकि पुराना किला और जंतर मंतर 'ब्लू' कैटेगरी में आते हैं. सांची स्तूप 'ऑरेंज' श्रेणी में एक लोकप्रिय स्थान है.

कैसे एक प्राइवेट संस्था किसी साइट की मोन्यूमेंट मित्र बनती है? 

दरअसल, 'मोन्यूमेंट मित्र’ के रूप में चुनी गई कंपनियों में हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री, ट्रैवल इंडस्ट्री, और बैंकिंग इंडस्ट्री और यहां तक ​​कि इंटरनेशनल स्कूल की कंपनियां भी शामिल हैं. पर्यटन स्थलों की बुनियादी और एडवांस सुविधाओं का ध्यान संबंधित निजी संस्था रखती है. शुरुआत में कंपनी पांच साल के लिए साइट को अपने अधीन लेती है. ऐसे में ये भी प्रावधान है कि अगर वह ख्याल नहीं रख पाई तो उसे वापिस लिया जा सकता है. 

रोजगार के अवसर के साथ पर्यटन को भी मिलेगा बढ़ावा 

आपको बता दें, सरकार के मुताबिक इस कदम से न केवल ऐतिहासिक स्मारकों को बल्कि पर्यटकों को नए आयाम मिलेंगे बल्कि रोजगार के ज्यादा अवसर भी पैदा होंगे. सरकार की मंशा है कि एक बार इसमें कामयाबी मिल जाए तो फिर स्थानीय स्तर पर यानि लोकल बॉडीज नगर पालिका और निगम स्तर पर भी इसी परियोजना को आगे बढ़ाया जाएगा. 

(इनपुट-संजय शर्मा)