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Vice President In India: 27 नामांकन, 26 रद्द.. निर्विरोध हुआ था 1987 में उपराष्ट्रपति का चुनाव... 4 बार देश में निर्विरोध चुने गए उपराष्ट्रपति

उपराष्ट्रपति पद से जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद नए उपराष्ट्रपति को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं. देश में अब तक 4 बार उपराष्ट्रपति का चुनाव निर्विरोध हुआ है. डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन सबसे पहले साल 1952 में निर्विरोध उपराष्ट्रपति चुने गए थे.

Jagdeep Dhankhar (Photo/PTI) Jagdeep Dhankhar (Photo/PTI)

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. इसके बाद अगले वाइस प्रेसिडेंट के नाम को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है. इस बीच कई लोग ये जानना चाहते हैं कि क्या देश में कभी कोई उपराष्ट्रपति निर्विरोध चुना गया है? तो इसका जवाब हां है. अब तक के इतिहास में 4 बार ऐसा मौका आया है, जब उपराष्ट्रपति का चुनाव निर्विरोध हुआ है. चलिए आपको उन चुनावों की कहानी बताते हैं.

साल 1952 में डॉ. राधाकृष्णन निर्विरोध बने थे उपराष्ट्रपति-
साल 1952 में उपराष्ट्रपति के चुनाव में डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन निर्विरोध चुने गए थे. चुनाव आयोग ने 21 अप्रैल 1952 तक नामांकन मांगे थे. इस दौरान डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन और शेख खादिर हुसैन ने नामांकन दाखिल किया था. लेकिन शेख खादिर हुसैन का नामांकन रिटर्निंग ऑफिसर ने रद्द कर दिया था. जिसके बाद चुनाव में बचे इकलौते उम्मीदवार डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन निर्विरोध उपराष्ट्रपति चुने गए थे.

साल 1957 में फिर राधाकृष्णन चुने गए थे निर्विरोध-
साल 1957 में एक बार फिर डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन उपराष्ट्रपति चुनाव में मैदान में थे. लेकिन इस बार उनके खिलाफ कोई भी नामांकन दाखिल नहीं किया गया था और डॉ. राधाकृष्णन निर्विरोध उपराष्ट्रपति चुन लिए गए.

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साल 1979 का उपराष्ट्रपति चुनाव-
साल 1979 में उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रहे मोहम्मद हिदायतु्ल्लाह मैदान में थे. हिदायतुल्लाह के खिलाफ कोई भी उम्मीदवार मैदान में नहीं उतरा. इस तरह से हिदायतुल्लाह निर्विरोध उपराष्ट्रपति चुने गए थे.

गजब था 1987 का उपराष्ट्रपति चुनाव-
साल 1987 में उपराष्ट्रपति चुनाव अलग तरह का था. ये चुनाव हैरान करने वाला था. इस चुनाव में 27 उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किया था. लेकिन इसमें से 26 उम्मीदवारों का नामांकन रिटर्निंग ऑफिसर ने रद्द कर दिया था. इस चुनाव में सिर्फ डॉ. शंकर दयाल शर्मा का नामांकन वैध पाया गया था. इस तरह से डॉ. शंकर दयाल शर्मा निर्विरोध उपराष्ट्रपति चुने गए थे.

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