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सिंघु बॉर्डर पर पहुंचे 33 साल के गांधी को क्यों रोक नहीं पाई पुलिस, जानें कौन हैं... जिन्होंने अन्ना के आंदोलन में भी लिया था भाग

गांधी के वेशभूषा में पहुंचे इन महाशय का नाम है संतोष लोधी. संतोष मध्य प्रदेश से सफर करके किसान आंदोलन में हिस्सा ले रहे हैं. यहां पिछले एक साल से उनका आना-जाना लगा हुआ है.

संतोष लोधी उर्फ गांधी. संतोष लोधी उर्फ गांधी.

सिंघु बॉर्डर (Singhu Border)पर चल रहे किसानों के आंदोलन में आपने अब तक बड़े-बड़े नेता ही देखे होंगे लेकिन, आज हम आपको सिंघु बॉर्डर के गांधी जी से भी मिलवाते हैं. सिंघु बॉर्डर में जिस जगह संयुक्त किसान मोर्चा की मीटिंग चल रही है वहां मीडिया के अलावा जल्दी किसी को एंट्री नहीं मिलती लेकिन गांधी जी जैसे ही गेट पर पहुंचे उन्हें गेट खोलकर रास्ता दिया गया. 

दरअसल, गांधी के वेशभूषा में पहुंचे इन महाशय का नाम है संतोष लोधी (Santosh Lodhi). संतोष मध्य प्रदेश से सफर करके किसान आंदोलन में हिस्सा ले रहे हैं. यहां पिछले एक साल से उनका आना-जाना लगा हुआ है. 

कैसे पड़ा गांधी नाम ?

संतोष बताते हैं कि उन्होंने शरद पवार की एक सोसाइटी में काम किया है. अपने काम में वह बेहद ईमानदार थे और अक्सर वह अपने पैसों से अनजान लोगों को खाना खिलाया करते थे और जरूरत पड़ने पर उनको पैसे भी दिया करते थे. उनके भोलेपन का फायदा उठाकर कुछ लोगों ने उनसे 20,000 की ठगी कर ली थी. संतोष को उनके साथ काम करने वाले लोगों ने सलाह दी तुम कंपनी से बात करो तुम्हें पैसे वापस मिल जाएंगे लेकिन संतोष ने कहा गलती मेरी थी, तो भुगतान भला कंपनी क्यों करें. इस घटना के बाद से लोगों ने संतोष लोधी को गांधी कहना शुरू कर दिया था.

'अन्ना के पास गांधी बनकर पहुंचे थे' 

संतोष बताते हैं कि जब अन्ना ने रालेगण सिद्धि में आंदोलन किया तो वह अन्ना से मिलने गए. अन्ना ने उनसे कहा कि भ्रमण करो और जहां गलत हो रहा है आवाज उठाओ. इसके बाद संतोष गांधी ने घूमना शुरू किया. संतोष बताते हैं कि जब भी वह अपने शहर से निकलते हैं, तो अपने शहर के एसपी, डीएम और कमिश्नर को बकायदा नोटिस देकर सूचना देते हैं कि वह शांति प्रिय प्रोटेस्ट में हिस्सा लेने जा रहे हैं. ऐसा करने की वजह वह बताते हैं कि आजकल प्रोटेक्ट करने वालों को गलत तरीके से फंसा दिया जाता है. 

'किसानों के खिलाफ सभी केस वापस नहीं होने चाहिए'

संतोष वैसे तो किसानों के पक्ष में अपना समर्थन देने के लिए मध्य प्रदेश से यहां पहुंचे लेकिन, उनका मानना है कि सरकार को किसानों की यह मांग नहीं माननी चाहिए कि किसानों के खिलाफ दर्ज सभी मामले वापस ले लिए जाएं. संतोष कहते हैं कि 26 जनवरी को हुई हिंसा में जो किसान दोषी हैं उनके खिलाफ कार्रवाई जरूर होनी चाहिए. देश और उसके संविधान से ऊपर कोई नहीं होता. 

'न सरकार पर भरोसा न विपक्ष पर' - संतोष

संतोष गांधी का कहना है कि किसानों को चाहिए कि वह सरकार से अपने किसी भी मांग का आश्वासन ना लें बल्कि उसे तुरंत के तुरंत पूरा करवा ले, क्योंकि आश्वासन के बाद अगर कल को सरकार बदल गई और विपक्षी सरकार आ गई तो वह इस मुद्दे से पीछे हट सकते हैं. संतोष कहते हैं कि उन्हें न सरकार पर भरोसा है और न ही विपक्ष पर भरोसा है. 

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