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आर्मी के साथ मेडिकल सर्विस देने को आगे आए 600 से ज्यादा डॉक्टर्स, दक्षिण पश्चिम कमान को लिखा खत

देश सेवा की सराहनीय पहल करते हुए कोटा मेडिकल कॉलेज के 600 से ज्यादा रेजीडेंट डॉक्टर्स ने भारतीय सेना के साथ काम करने की इच्छा जताई है. इन डॉक्टर्स ने जयपुर स्थित दक्षिण पश्चिमी कमान के जीओसी (जनरल ऑफिसर कमांडिंग) को पत्र लिखकर अपील की है कि नेशनल एमरजेंसी की स्थिति में वे सेना के साथ मिलकर चिकित्सा सेवा देने के लिए तैयार हैं.

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हाइलाइट्स
  • दक्षिण पश्चिम कमान को भेजा गया पत्र

  • मार्गदर्शन और दिशा-निर्देश भी मांगे

देश सेवा की सराहनीय पहल करते हुए कोटा मेडिकल कॉलेज के 600 से ज्यादा रेजीडेंट डॉक्टर्स ने भारतीय सेना के साथ काम करने की इच्छा जताई है. इन डॉक्टर्स ने जयपुर स्थित दक्षिण पश्चिमी कमान के जीओसी (जनरल ऑफिसर कमांडिंग) को पत्र लिखकर अपील की है कि नेशनल एमरजेंसी की स्थिति में वे सेना के साथ मिलकर चिकित्सा सेवा देने के लिए तैयार हैं. इस पहल को देशभर में सराहना मिल रही है.

दक्षिण पश्चिम कमान को भेजा गया पत्र
रेजीडेंट डॉक्टर्स ने पत्र में लिखा है कि वे युद्ध, प्राकृतिक आपदा या किसी भी आपात स्थिति में देश और सेना के साथ खड़े रहना चाहते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि अगर राष्ट्र को उनकी आवश्यकता पड़ी, तो वे बिना किसी शर्त के अपनी सेवा देंगे. हमारी यह पहल केवल चिकित्सकीय उत्तरदायित्व ही नहीं, बल्कि राष्ट्र प्रेम की भावना से प्रेरित नागरिक धर्म के लिए भी है. उधर, मेडिकल कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ. संगीता सक्सेना ने गुरुवार को इंटर्न चिकित्सकों की बैठक लेकर उन्हें आपातकालीन स्थिति एवं आपदा में स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए तैयार रहने को कहा है.

सेना के साथ सेवा देने का संकल्प
'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध के हालात बने हुए हैं. ऐसे में कोटा के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (RDA) ने राष्ट्रीय आपातकालीन परिस्थितियों में भारतीय सेना के साथ स्वेच्छा से मेडिकल सेवाएं देने की इच्छा जताई है. इस संबंध में कोटा रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन की ओर से दक्षिण पश्चिम कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ को एक लेटर भेज मार्ग दर्शन व दिशा निर्देश मांगा है.

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कोटा रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (RDA) अध्यक्ष डॉ. हेमन्त शर्मा ने बताया कि कोटा मेडिकल कॉलेज से जुड़े हॉस्पिटल्स में 600 के करीब रेजिडेंट डॉक्टर्स हैं. कोविड 19 जैसी वैश्विक महामारी से लेकर अन्य आपात स्थितियों तक देश के डॉक्टर हमेशा आगे रहकर अपनी निष्ठा, सेवा भावना व समर्पण का परिचय देते आए हैं.

मार्गदर्शन और दिशा-निर्देश भी मांगे
राष्ट्र की सेवा के लिए सभी रेजिडेंट डॉक्टर ने स्वेच्छा से प्रस्ताव रखा है कि संभावित राष्ट्रीय आपदा या चिकित्सा संकट की स्थिति में हम भारतीय सेना के निर्देश एवं सहयोग में काम करते हुए आवश्यकता अनुसार चिकित्सा सेवा, आपातकालीन सहायता, ट्रायेज, फील्ड हॉस्पिटल में सेवा व स्वैच्छिक योगदान देने के लिए पूरी तरह तैयार हैं.

रेजिडेंट डॉक्टर्स ने अपने पत्र में सेना से उचित मार्गदर्शन और दिशा-निर्देश भी मांगे हैं, ताकि जरूरत पड़ने पर वे अपने कर्तव्यों का प्रभावी रूप से निर्वहन कर सकें. उन्होंने यह भी कहा कि यह केवल एक पेशेवर जिम्मेदारी नहीं, बल्कि राष्ट्र के प्रति हमारी गहरी निष्ठा और सेवा भावना का प्रतीक है.

-चेतन गुर्जर की रिपोर्ट