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Kuno National Park: एमपी के कूनो नेशनल पार्क से आई खुशखबरी...70 सालों के बाद देश में चीते का जन्म, सियाया बनी 4 शावकों की मां, बधाई देने का सिलसिला जारी

Kuno National Park में नामीबिया से आई मादा चीता सियाया ने चार शावकों को जन्म दिया है. सभी शावक स्वस्थ्य हैं. विशेष टीम इनका ध्यान रख रही है. 70 सालों के बाद भारत में चीता का जन्म हुआ है. 

कूनो नेशनल पार्क में जन्में शावक. कूनो नेशनल पार्क में जन्में शावक.
हाइलाइट्स
  • सीएम शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने ट्वीट कर दी जानकारी

  • कूनो नेशनल पार्क में चीतों की संख्या बढ़कर हुई 23

देशवासियों के लिए मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क से खुशखबरी आई है. जी हां, 70 सालों के बाद भारत में चीता का जन्म हुआ है. यहां नामीबिया से आई मादा चीता सियाया ने चार शावकों को जन्म दिया है. इस तरह से इस पार्क में चीतों का कुनबा बढ़ गया है. पीएम मोदी सहित कई लोगों ने बधाई दी है. सीएम शिवराज और केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने ट्वीट कर शावकों के जन्म लेने की सभी को जानकारी दी. दक्षिण अफ्रीका से आई चीतों की दूसरी खेप को सीएम शिवराज और मंत्री भूपेंद्र ने ही बाड़े में रिलीज किया था.

एक विशेष टीम कर रही देखभाल
सियाया और उसके चारों बच्चे स्वस्थ हैं. एक विशेष टीम इनका ध्यान रख रही है. चीता संरक्षण परियोजना में शामिल अधिकारियों ने कहा कि शावकों का जन्म एक सकारात्मक संकेत है कि कूनो नेशनल पार्क में चीते अपने नए वातावरण में अच्छी तरह से ढल रहे हैं. पार्क को भारत की वन्यजीव आबादी में चीतों के पुन: प्रवेश के लिए एक उपयुक्त आवास के रूप में तैयार किया जा रहा है.

नामीबिया से आई थी मादा चीता सियाया 
मादा चीता सियाया नामीबिया से आई पहली खेप में है. इस खेप में 8 चीते नामीबिया से लाए गए थे, जिन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 17 सितंबर, 2022 को अपने जन्मदिन पर कुनो नेशनल पार्क के विशेष बाड़े में रिलीज किया था. इन चीतों को 50 दिन तक इसी विशेष बाड़े में क्वारंटाइन रखा गया था. करीब 2 महीने पहले इनमें से तीन मादा और दो नर चीतों को मुख्य जंगल में छोड़ा गया था. इसी साल 18 फरवरी को पार्क में दक्षिण अफ्रीका से भी 12 चीते लाकर बाड़े में रखे गए हैं. सभी चीतों को मिलाकर वर्तमान में कूनो में चीतों की संख्या 23 हो गई है.

प्रोजेक्ट चीता के तहत संरक्षण
कुनो नेशनल पार्क में चीतों के संरक्षण की कवायद प्रोजेक्ट चीता के तहत चल रही है, जो भारत में विलुप्त हो चुके इस जीव को 70 साल बाद दोबारा यहां की धरती पर जिंदा रखने का मिशन है. भारत में आखिरी चीता का शिकार साल 1947 में माना जाता है. तब झारखंड (तत्कालीन बिहार) की कोरिया रियासत के महाराजा रामानुज प्रताप सिंह देव ने तीन एशियाई चीतों को गोली मार दी थी, जिन्हें भारत में आखिरी चीते माना जाता है. 1952 तक देश में कहीं पर भी चीते नहीं दिखाई देने के बाद भारत सरकार ने इस जीव को ऑफिशियली विलुप्त घोषित कर दिया था.

कुछ दिन पहले साशा नाम की चीता की हो गई थी मौत
सितंबर 2022 में राष्ट्रीय उद्यान में छोड़े गए आठ नामीबियाई चीतों में से एक की मौत के बाद शावकों का जन्म हुआ है. साशा नाम की चीता की  गत 26 मार्च को मौत हो गई थी. उसकी किडनी खराब थी और उसका इलाज चल रहा था. इलाज के लिए उसे बड़े बाड़े से छोटे में शिफ्ट किया गया था. साशा खाना नहीं खा रही थी. 15 अगस्त 2022 को नामीबिया में किए गए अंतिम ब्लड सैंपल की जांच में भी क्रियेटिनिन का स्तर 400 से ज्यादा पाया गया था, जिससे पुष्टि हुई कि साशा को किडनी की बीमारी भारत में आने के पहले ही थी.