Lakshyaraj Singh Mewar Gaddi Utsav 
 Lakshyaraj Singh Mewar Gaddi Utsav उदयपुर के सिटी पैलेस में मंगलवार को एक भव्य और राजसी अंदाज में लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ का गद्दी उत्सव (Lakshyaraj Singh Mewar Gaddi Utsav) संपन्न हुआ. मेवाड़ के पूर्व राज परिवार के सदस्य लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ को कुलगुरु डॉक्टर बागीश कुमार गोस्वामी ने गद्दी पर बैठाया. इस राजतिलक की परंपरा मंत्रोच्चारण और शंखनाद के बीच निभाई गई. इसके बाद लक्ष्यराज सिंह ने अपने कुल गुरु समेत तमाम संत-महात्माओं का आशीर्वाद लिया.
इस तरह से हुई गद्दी उत्सव की शुरुआत
गद्दी उत्सव की शुरुआत सुबह पूजा-पाठ और हवन के साथ हुई. इसमें मेवाड़ के पूर्व राज परिवार के सदस्य शामिल हुए. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ अपने बेटे हरितराज सिंह मेवाड़ के साथ इस हवन में शामिल हुए. मंत्रोच्चारण के बीच हवन किया गया.
इसके लिए खासतौर पर चांदी के बर्तनों का इस्तेमाल किया गया. हवन पूजन के बाद शाही परिवार के सदस्य भगवान का आशीर्वाद लेने पहुंचे. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ का राजतिलक के दौरान 21 जगहों से 21 नदियों और महासागरों के जल का छिड़काव किया गया. खास बात यह थी कि इसमें चांदी के बर्तन और हवन कुंड का इस्तेमाल किया गया
श्रीजी की उपाधि
लक्ष्यराज सिंह के पिता श्री जी हुजूर अरविन्द सिंह मेवाड़ का 16 मार्च को निधन हो गया था. इसके चलते मेवाड़ राज परिवार की गद्दी खाली हो गई थी. परंपरा के मुताबिक, लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ की ताजपोशी की गई. इस अवसर पर सिटी पैलेस को खूबसूरती से सजाया गया और मेहमानों के लिए सफेद रंग की पोशाक तय की गई.
लक्ष्यराज सिंह को श्रीजी की उपाधि दी गई और इसके बाद अश्व पूजन और हाथी पूजन के कार्यक्रम हुआ. लक्ष्यराज सिंह ने श्री परमेश्वरा महाराज और कुलदेवता एकलिंगनाथ जी के दर्शन किए. इसके बाद सिटी पैलेस में रंग पलटाई कार्यक्रम हुआ, जिसमें सफेद पगड़ी बदलकर लाल पगड़ी में आए.
कुलगुरु का लिया आशीर्वाद
पूजा-पाठ के बाद कुलगुरु डॉक्टर बाघेश कुमार गोस्वामी ने लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ को गद्दी पर बैठाया और राजतिलक किया. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने कहा कि वह अपने पुरखों की परंपरा को पूरी शिद्दत से निभाएंगे. उन्होंने कहा, मैं उस परिवार से हूं, जहां पर 1500 साल से सेवा का भाव रहा है. कोशिश यही रहती है कि काम के ऊपर ध्यान दें और उसी परंपरा को आगे बढ़ाएं.
राजश्री जमींदार रहे मौजूद
राजतिलक के बाद लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने अपने कुल देवताओं के मंदिर में जाकर पूजा-अर्चना की और फिर गद्दी उत्सव के आखरी हिस्से के हाथी पोल गेट पर पूजन किया. इस कार्यक्रम में 16 ठिकाने यानी राजश्री जमींदार और 32 उमराव यानी शाही दरबारी भी मौजूद रहे.