
तमिलनाडु के लावण्या आत्महत्या केस में सीबीआई की जांच जारी रहेगी. सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को तंजावुर में 17 साल की छात्रा की कथित आत्महत्या के मामले की जांच सौंप दी है. छात्रा को स्कूल की नन ने ईसाई धर्म अपनाने को लेकर दबाव बनाया था, जिससे परेशान होकर छात्रा ने आत्महत्या कर ली थी. जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की बेंच ने मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली तमिलनाडु के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) की याचिका पर नोटिस जारी किया.
कोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब देने के लिए कहा है. वहीं केंद्र को भी जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए भी 2 हफ्ते का समय दिया गया है. दरअसल तमिलनाडु सरकार ने मद्रास हाई कोर्ट की मदुरै पीठ के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसमें मद्रास हाई कोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई से कराने आदेश दिया है. शीर्ष अदालत ने कहा कि इस मामले के दो पहलू हैं. पहला पहलू उस फैसले के तहत दर्ज की गई कुछ टिप्पणियों से संबंधित है, जिसे चुनौती दी गई है और दूसरा पहलू सीबीआई द्वारा जांच कराए जाने का निर्देश देने के अंतिम आदेश से जुड़ा है. शीर्ष अदालत ने कहा कि सीबीआई की जांच में दखल देना उसके लिए उचित नहीं होगा लेकिन वह पहले पहलू पर नोटिस जारी करेगी.
क्या है मामला?
तमिलनाडु के तंजावुर की 17 साल की छात्रा लावण्या ने 19 जनवरी को कीटनाशक पी कर आत्महत्या कर ली थी. इससे ठीक पहले उसने एक वीडियो बनाया था. उस वीडियो में लावण्या ने कहा था कि उसका स्कूल 'सेक्रेड हार्ट हायर सेकेंडरी' उस पर ईसाई बनने के लिए दबाव बना रहा है. इसके लिए लगातार किए जा रहे उत्पीड़न से परेशान होकर वह अपनी जान देने जा रही है. इसके बाद मामले की जांच पुलिस ने शुरू की. इस बीच राज्य की सत्ताधारी पार्टी डीएमके के कुछ कद्दावर नेताओं ने स्कूल के बचाव में बयान देने शुरू कर दिए.
पिता ने कहा- जांच में खो दिया विश्वास
लावण्या के पिता ने बाद में मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ में एक याचिका दायर कर कहा कि उन्होंने तंजावुर पुलिस द्वारा जांच में विश्वास खो दिया है और सीबी-सीआईडी या किसी अन्य समान स्वतंत्र जांच एजेंसी से जांच की मांग की.
जज ने की पुलिस और नेताओं की आलोचना
आदेश पारित करते समय, न्यायमूर्ति स्वामीनाथन ने 'निष्कर्ष पर कूदने' के लिए पुलिस और राजनेताओं की कड़ी आलोचना की थी. इसके अलावा स्कूल शिक्षा मंत्री अंबिल महेश पोय्यामोझी द्वारा दिए गए एक इंटरव्यू की ओर इशारा करते हुए जज ने कहा, "चूंकि एक उच्च रैंकिंग मंत्री ने खुद एक स्टैंड लिया है, इसलिए राज्य पुलिस के साथ जांच जारी नहीं रह सकती है." इसके बाद जज साहब ने तब सीबीआई के निदेशक को राज्य पुलिस से मामले की जांच करने के लिए एक अधिकारी नियुक्त करने का आदेश दिया.