What is NOTA
What is NOTA जब आप वोट डालने जाते हैं तो आपने EVM मशीन के सबसे आखिरी में एक नोटा (NOTA) का विकल्प देखा होता. ये कोई उम्मीदवार नहीं होता है बल्कि ये एक तरीके का अधिकार है जो दर्शाता है कि आप किसी आपकी राय यहां पर नेगेटिव है. "उपरोक्त में से कोई नहीं" (NOTA) विकल्प मतदाताओं को ये अधिकार देता है कि वो चुनाव में उपरोक्त सीट पर खड़े हुए उम्मीदवारों के प्रति अपनी अस्वीकृति को औपचारिक रूप से व्यक्त कर सके. वोटिंग विकल्प के रूप में नोटा का चयन यह दर्शाता है कि मतदाता ने समर्थन के लिए किसी पार्टी को नहीं चुना है. यदि किसी निर्वाचन क्षेत्र में नोटा को सबसे अधिक वोट मिलते हैं, तो दूसरे सबसे अधिक वोट पाने वाले अगले उम्मीदवार को विजेता घोषित किया जाता है.
27 सितंबर, 2013 को सुप्रीम कोर्ट ने घोषणा की कि मतदाताओं के पास अपना मत डालते समय "उपरोक्त में से कोई नहीं" यानी NOTA चुनने का विकल्प होना चाहिए. इसके साथ ही यह अनिवार्य किया गया कि चुनाव आयोग सभी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों में इस विकल्प के लिए एक बटन रखेगा. मतदाताओं को "उपरोक्त में से कोई नहीं" चुनने का विकल्प देने के लिए ECI ने एक विशिष्ट प्रतीक पेश किया. यह प्रतीक सभी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) पर अंतिम पैनल में दिखाई देता है.
नोटा क्यों लाया गया?
कई लोग इस बात पर बहस करते हैं कि क्या नोटा (NOTA) वोट वास्तव में मायने रखते हैं. कुछ लोगों के अनुसार, इंडियन सिस्टम में नोटा का कोई चुनावी मूल्य नहीं है क्योंकि सिद्धांत रूप में सबसे अधिक वोट पाने वाले उम्मीदवार को संभवतः सिर्फ एक को भी विजेता घोषित किया जाएगा, भले ही नोटा को सबसे अधिक वोट मिले हों. हालांकि, एक अलग सिद्धांत के अनुसार, नोटा वोट चुनाव के नतीजे के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे राजनीतिक दलों के वोट काटते हैं, जिससे जीत का अंतर बदल जाता है.
यह सोचकर कि असंतोष व्यक्त करने की क्षमता अधिक लोगों को मतदान की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करेगी, चुनावी प्रक्रिया में नोटा को शामिल करने का फैसला लिया गया. दिलचस्प बात यह है कि नोटा वोट एक न्यूट्रल वोट होता है जिसे फाइनल वोट में नहीं गिना जाता है. साल 2013 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश में कहा गया था कि नोटा विकल्प को शामिल करना "वास्तव में राजनीतिक दलों को एक अच्छे उम्मीदवार को नामांकित करने के लिए मजबूर करेगा."
क्या है इसका मतलब?
कुल मिलाकर आसान भाषा में समझने के लिए अगर आपको भी लगता है कि अपने देश में नोटा को अधिक वोट मिलने पर चुनाव रद्द हो जायेगा तो आप गलत हैं. दरअसल भारत में नोटा को राइट टू रिजेक्ट का अधिकार प्राप्त नहीं हैं. इसका मतलब यह हुआ कि अगर मान लीजिए नोटा को 99 वोट मिले और किसी प्रत्याशी को 1 वोट भी मिला तो 1 वोट वाला प्रत्याशी विजयी माना जायेगा. यानी कि नोटा के मत गिने जरूर जाते हैं लेकिन इसका चुनाव के नतीजों पर कोई असर नहीं पड़ेता. ये सिर्फ वोट काटने या जीत के अंतर को बदलने के लिए होता है.