
लखनऊ में पकड़े गए फर्जी आईएएस सौरभ त्रिपाठी का राज़ खुलने के बाद पुलिस को नए-नए तथ्यों का पता चल रहा है. सौरभ ने न केवल अपने नाम से बल्कि अपने तथाकथित पीए गौरव के नाम से भी एनआईसी की मेल आईडी बना रखी थी. गौरव को मोटा वेतन दिया जाता था और वही ईमेल भेजकर सरकारी महकमों से प्रोटोकॉल दिलाने का काम करता था. इस नेटवर्क के सहारे सौरभ ने कई बार खुद को असली अफसर साबित कर सरकारी सुविधाएं हासिल कीं.
फेक IAS ड्राइवर को देता था 17 हजार सैलरी-
वजीरगंज पुलिस ने बताया कि सौरभ की गाड़ी के साथ पकड़े गए चालक को सरकारी गवाह बनाने की तैयारी की जा रही है. चालक ने पूछताछ में बताया कि उसे ₹17,000 प्रतिमाह वेतन पर रखा गया था और वह सौरभ की असली गतिविधियों से अनजान था. सौरभ ने कबूल किया है कि गाड़ी पर लगे फर्जी सचिवालय पास की मदद से वह आसानी से सचिवालय और अन्य सरकारी संस्थानों में प्रवेश कर लेता था. यहां तक कि टोल टैक्स भी फर्जी आईडी कार्ड दिखाकर बच जाता था.
कहां से आता था इतना पैसा?
पुलिस जांच में अब तक यह साफ नहीं हो पाया है कि आरोपी की आय का स्रोत क्या था. सौरभ के खिलाफ किसी से पैसे लेकर काम कराने की शिकायत सामने नहीं आई है, लेकिन उसके हाई-फाई लाइफस्टाइल और लग्जरी गाड़ियों ने सवाल खड़े कर दिए हैं. पुलिस उसके बैंक खातों की जांच कर रही है. नोएडा से लेकर लखनऊ तक सौरभ ने कई ठिकाने बना रखे थे और उसका कई बड़े अफसरों व नेताओं से उठना-बैठना भी था. यही वजह रही कि लंबे समय तक उसकी असलियत उजागर नहीं हो पाई.
6 लग्जरी गाड़ियां बरामद-
पुलिस ने छानबीन में छह लग्जरी गाड़ियां बरामद की हैं, जिनमें से कई अन्य लोगों और ट्रैवल एजेंसी के नाम पर रजिस्टर्ड हैं. गाड़ियों के असली मालिकों से संपर्क कर यह पता लगाया जा रहा है कि वे सौरभ तक कैसे पहुंचीं. जांच में सामने आया है कि आरोपी तीन बार यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा में असफल होने के बाद फर्जी आईएएस बनने के रास्ते पर चल पड़ा. उसने दिल्ली में रहते हुए कई आईएएस और नेताओं से नजदीकियां बना लीं और उन्हीं संपर्कों का इस्तेमाल कर खुद को अफसर साबित करता रहा.
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