scorecardresearch

Lucknow: फर्जी FIR दर्ज कराने के मामले में वकील को आजीवन कारावास

लखनऊ की एससी/एसटी विशेष अदालत ने झूठी FIR दर्ज कराने के मामले में एक वकील को दोषी करार दिया. कोर्ट ने दोषी वकील को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. वकील ने एक महिला के साथ मिलकर संपत्ति विवाद में एससी/एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कराया था और मुआवजे के लिए अर्जी दी थी.

Lawyer sentenced to life imprisonment for fake FIR (Photo/Meta AI) Lawyer sentenced to life imprisonment for fake FIR (Photo/Meta AI)

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में SC/ST विशेष अदालत ने वकील परमानन्द गुप्ता को झूठी FIR दर्ज कराने के मामले में दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई. वकील ने एक महिला के साथ मिलकर संपति के विवाद में एससी/एसटी के तहत एक शख्स पर मुकदमा दर्ज करवाया गया था और उससे मुआवजे की मांग को लेकर कोर्ट में अर्जी दी थी. एससी/एसटी एक्ट में दर्ज मुकदमे में पीड़ित को राहत राशि भी मिलती है.

कोर्ट ने सुनाई सजा-
लखनऊ की एससी/एसटी विशेष अदालत ने वकील को दोषी करार दिया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई. आरोपी वकील को दालत ने तीन धाराओं में अलग-अलग सजा दी. ये सजाएं अलग-अलग चलेंगी.

  • धारा 217/49 BNS: 1 वर्ष का साधारण कारावास + ₹10,000 जुर्माना
  • धारा 248/49 BNS: 10 वर्ष का कठोर कारावास + ₹2 लाख जुर्माना
  • SC/ST एक्ट धारा 3(2)5: आजीवन कठोर कारावास + ₹3 लाख जुर्माना


कोर्ट परिसर में एंट्री पर रोक-
वकील परमानन्द गुप्ता पर अदालत ने कुल ₹5 लाख का जुर्माना भी लगाया. अदालत ने आदेश दिया कि दोषी पाए गए वकील अपराधी न्यायालय परिसर में प्रवेश और प्रैक्टिस न कर सकें. इस आदेश की प्रति बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश, इलाहाबाद को भेजी जाएगी.

कोर्ट का AI टूल्स से निगरानी का निर्देश-
पुलिस को निर्देश दिए गए कि किसी आरोपी पर बार-बार दर्ज FIR का ब्यौरा अनिवार्य रूप से FIR में दर्ज हो और इसके लिए AI टूल्स से निगरानी की जाए.

अदालत ने कहा कि केवल FIR दर्ज होने पर राहत राशि न दी जाए, बल्कि चार्जशीट दाखिल होने या कोर्ट से अभियुक्त को तलब करने पर ही भुगतान हो. नकद सहायता मिलने से झूठी FIR दर्ज करने की प्रवृत्ति बढ़ रही है.

कोर्ट ने सह-अभियुक्त पूजा को निर्दोष माना-
सह-अभियुक्त पूजा रावत को निर्दोष मानते हुए बरी कर जेल से रिहा करने का आदेश दिया गया, लेकिन भविष्य में झूठे मुकदमे दर्ज कराने पर कठोर कार्रवाई की चेतावनी दी गई. विवेचना एसीपी विभूतिखंड राधारमण सिंह ने की थी. जिसमें साबित हुआ कि FIR पूरी तरह झूठी थी और वकील ने संपत्ति विवाद के चलते साजिश रची थी.

ये भी पढ़ें: