Cooks of Mahakumbh
Cooks of Mahakumbh कुंभ में अक्सर आपने धार्मिक यात्रा निकलते हुए देखा होगा, कुंभ में साधु संतों की छावनी प्रवेश देखा होगा लेकिन आपने एक साथ नारेबाजी करते हुए खाना बनाने वाले बावर्ची यानी हलवाइयों को नहीं देखा होगा. कहते हैं कुंभ में सब कुछ अलौकिक होता है. कुंभ की सड़कों पर कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला. इसमें हाथों में चिमटा बेलन, छलनी, पलटा, चमचा लिए हुए और नारेबाजी करते ढेर सारे महिला और पुरुष बावर्ची नजर आए. ये सभी पेशे से हलवाई हैं.
हर दिन खाना बनाते हैं ये लोग
ये सभी अखाड़े में हर दिन खाना बनाने के लिए आए हैं. लेकिन अखाड़े में पहुंचने से पहले सभी हलवाई ने संगम में पहुंचकर डुबकी लगाई है और खाना बनाने में इस्तेमाल होने वाले सामानों को धोया है. ये सभी हनुमान जी के दर्शन के बाद सड़कों पर जुलूस की शक्ल में नारे लगाते अखाड़े की तरफ निकल पड़े. ये सभी लोग अखाड़े में अब खाना बनाने का काम शुरू कर देंगे.
आपको बता दें, कुंभ मेला में ज्योतिश्वर पीठधीश्वर स्वरूपानंद सरस्वती और महामंडलेश्वर मुक्तेश्वर नंद के कैंप में हर साल आगरा के 101 हलवाई यानी बावर्ची आते हैं. जिनमें महिला पुरुष दोनों शामिल होते हैं.
कुंभ में चलता है भंडारा
कुंभ मेला में चारों तरफ सधु संत और श्रद्धालु ही नजर आते हैं. इसके अलावा कुंभ मेला में लगे पूजा पंडाल और पंडाल में भंडारा चलता नजर आता है. इसी भंडारों में खाना बनाने का काम ये सभी हलवाई यानी बवर्ची करते हैं. लेकिन हर अखाड़े के अलग-अलग बावर्ची होते हैं.
ऐसे ही ये बावर्ची स्वरूपानंद सरस्वती महाराज के शिविर के हैं जो शिविर चलने वाले भंडारे का खाना बनाते हैं. लेकिन जिस तरह छावनी प्रवेश अखाड़े करते हैं, कुछ इसी अंदाज में यह सभी बावर्ची ने मेले में प्रवेश किया है.
(आनंद राज की रिपोर्ट)