
सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि शादी टूट सकती है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि पति अपनी पत्नी को उसके कपड़े और जरूरी सामान तक देने से इंकार कर दे. कोर्ट ने आदेश दिया है कि वह 24 घंटे के भीतर अपनी अलग रह रही पत्नी को उसके सभी कपड़े और निजी सामान लौटा दे. अदालत ने यह टिप्पणी शुक्रवार को न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और केवी विश्वनाथन की पीठ ने की.
पति ने दो साल से नहीं लौटाए थे पत्नी के कपड़े
मामला मध्य प्रदेश का है, जहां एक पति-पत्नी के बीच विवाद चल रहा था. पत्नी 2022 से अपने मायके में रह रही थी और कई बार उसने पति से अपने कपड़े और सामान लौटाने की मांग की, लेकिन पति ने इनकार कर दिया. इस पर महिला ने अदालत में याचिका दाखिल की.
सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणी
जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और के.वी. विश्वनाथन की बेंच ने सुनवाई के दौरान सख्त टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा, शादियां असफल हो सकती हैं, लेकिन इसका यह अर्थ नहीं कि पक्ष इतने नीचे गिर जाएं कि पति अपनी पत्नी को उसके कपड़े लेने की भी अनुमति न दे. कोर्ट ने आगे कहा कि भले ही दोनों साथ न रह सकें, लेकिन कम से कम इंसानियत के नाते उसका सामान लौटा देना चाहिए.
पति को दिया 24 घंटे का समय
सुप्रीम कोर्ट ने पति को आदेश दिया कि वह 24 घंटे के भीतर अपनी पत्नी को उसका सारा सामान और कपड़े सौंप दे. कोर्ट ने कहा कि यह “बहुत आपत्तिजनक” है कि पति 2022 से अब तक पत्नी को उसकी निजी वस्तुएं तक नहीं लेने दे रहा था.
परिवार के लिए पूजा की अनुमति
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह भी कहा कि महिला अपने बेटे के साथ मंदिर में पूजा के लिए जा सकती है. अगर दादा-दादी चाहें तो वे भी पूजा में शामिल हो सकते हैं. कोर्ट ने परिवार को आपसी सम्मान और मर्यादा बनाए रखने की सलाह दी.
यह जोड़ा 2016 में विवाह बंधन में बंधा था, लेकिन बाद में रिश्तों में तनाव बढ़ने पर पत्नी अपने बेटे के साथ अलग रहने लगी. कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में मतभेद होना स्वाभाविक है, लेकिन किसी को उसके अधिकारों से वंचित करना न्यायोचित नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि तलाक या दूरी इंसानियत को खत्म नहीं कर सकती सम्मान और संवेदना हर रिश्ते की नींव हैं.