Married Woman and False Promise
Married Woman and False Promise मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया, जिसमें यह स्पष्ट किया गया कि कोई भी शादीशुदा महिला यह दावा नहीं कर सकती कि उसके साथ किसी अन्य पुरुष ने शादी का झूठा वादा कर शारीरिक संबंध बनाए. यह फैसला "वीरेंद्र यादव बनाम मध्य प्रदेश राज्य" मामले की सुनवाई के दौरान सुनाया गया.
क्या है पूरा मामला?
मध्य प्रदेश में दर्ज एक आपराधिक मामले में एक महिला ने आरोप लगाया था कि आरोपी ने उससे शादी का झूठा वादा कर शारीरिक संबंध बनाए. हालांकि, सुनवाई के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि पीड़िता पहले से ही विवाहित थी. इस आधार पर हाईकोर्ट ने कहा कि अगर कोई महिला पहले से ही शादीशुदा है, तो वह झूठे विवाह के वादे पर किसी अन्य पुरुष के साथ शारीरिक संबंध बनाने का दावा नहीं कर सकती.
कोर्ट का फैसला और तर्क
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 375 (बलात्कार की परिभाषा) और धारा 90 (मंशा और सहमति का महत्व) के तहत यह स्पष्ट है कि सहमति का एक वैध आधार होना चाहिए.
अदालत ने यह भी कहा कि अगर कोई महिला पहले से ही विवाहित है, तो वह यह नहीं कह सकती कि किसी दूसरे पुरुष ने उसे झूठे विवाह के वादे पर सहमति देने के लिए मजबूर किया.
कोर्ट ने अपने तर्क में कई बातों पर जोर दिया:
इस फैसले का कानूनी प्रभाव
इस फैसले का असर उन मामलों पर भी पड़ सकता है, जहां शादीशुदा महिलाओं द्वारा झूठे विवाह के वादे के आधार पर यौन शोषण के आरोप लगाए जाते हैं. हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया कि झूठे विवाह के वादे पर सहमति देने का दावा करने वाली महिलाओं के लिए यह देखना जरूरी होगा कि क्या वे पहले से ही शादीशुदा हैं या नहीं.
हाईकोर्ट का फैसला यह स्पष्ट करता है कि विवाह से संबंधित झूठे वादों के मामलों में सहमति की परिभाषा को किस तरह से देखा जाना चाहिए,