
धर्म संस्कृति और कूटनीति का संगम बन चुकी अयोध्या नगरी एक बार फिर वैश्विक फलक पर चमकने को तैयार है. इस बार अवसर है मॉरिशस के प्रधानमंत्री डॉ. नवींचंद्र रामगुलाम और उनकी धर्मपत्नी श्रीमती वीणा रामगुलाम की भारत यात्रा का, जिसमें वे काशी और अयोध्या के ऐतिहासिक और आध्यात्मिक स्थलों का भव्य दर्शन करेंगे.
बेहतर होंगे भारत-मॉरिशस संबंध
शहर भर में लगाए गए भव्य बैनर-पोस्टर और स्वागत की तैयारियों ने अयोध्या को एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मेहमानों के स्वागत का प्रमुख केंद्र बना दिया है. भारत में प्रधानमंत्री रामगुलाम 9 से 16 सितंबर तक रहेंगे. यह राजकीय यात्रा भारत सरकार के विदेश मंत्रालय के तत्वावधान में हो रही है और इसे भारत-मॉरिशस संबंधों के लिए एक राजनयिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मील का पत्थर माना जा रहा है.
दिया गया सैन्य गार्ड ऑफ ऑनर
10 सितंबर को प्रधानमंत्री रामगुलाम का वाराणसी एयरपोर्ट पर रेड कारपेट स्वागत किया गया. सांस्कृतिक प्रस्तुतियों और सैन्य गार्ड ऑफ ऑनर के साथ हुआ यह स्वागत भारतीय अतिथ्य परंपरा की एक भव्य मिसाल था. 11 सितंबर को उन्होंने भारत के विदेश सचिव श्री विक्रम मिस्री और शीर्ष भारतीय नेतृत्व के साथ द्विपक्षीय वार्ता कीं. इसके बाद वे नमो घाट से विशेष नौका द्वारा दशाश्वमेध घाट पहुंचे और गंगा आरती में भाग लिया.
12 सितंबर को होंगे रामलला दर्शन
रामलला के दरबार में मॉरिशस का श्रद्धा-सत्कार 12 सितंबर को प्रधानमंत्री रामगुलाम काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन के पश्चात विशेष विमान द्वारा अयोध्या के लिए रवाना होंगे. अयोध्या में उनका शाही स्वागत किया जाएगा. वे श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में भगवान रामलला के दर्शन करेंगे एक ऐतिहासिक क्षण, जो भारत और मॉरिशस के बीच सांस्कृतिक रिश्तों को और प्रगाढ़ करेगा.
एलन मस्क के पिता भी कर चुके दौरा
यह कोई पहला मौका नहीं जब अयोध्या को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऐसी मान्यता मिली हो. इससे पूर्व भूटान के प्रधानमंत्री, एलन मस्क के पिता और कई प्रमुख उद्योगपति व अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधि अयोध्या की धर्मनगरी में उपस्थित हो चुके है. अब मॉरिशस के प्रधानमंत्री की उपस्थिति ने इस बात को और पुष्ट किया है कि अयोध्या अब केवल एक धार्मिक नगरी नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक और कूटनीतिक शक्ति का प्रतीक बन चुकी हैं.
-मयंक शुक्ला की रिपोर्ट