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Special Rakhi: जवानों के लिए रक्षा बंधन को खास बनाने की तैयारी में जुटे दिव्यांग बच्चे... अपनी कमजोरी को हराकर बना रहे राखियां

खेड़ा में एक संस्था के बच्चों ने अनोखी पहल शुरू की है. वह सरहद पर देश की रक्षा कर रहे जवानों के लिए राखी बना रहे है. यह वह उनके सम्मान और स्नेह के लिए बना रहे है. खात बात है कि यह बच्चे मानसिक रूप से थोड़ा कमजोर हैं.

रक्षाबंधन का त्योहार नज़दीक है. यह त्योहार भाई-बहन के अटूट प्रेम और स्नेह का प्रतीक है. यह त्योहार पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. लेकिन इस बार रक्षाबंधन के अवसर पर एक अनूठी पहल की गई है. मानसिक रूप से अक्षम बच्चों ने देश की सुरक्षा के लिए सीमा पर तैनात हमारे वीर जवानों को अपने हाथों से बनाई राखियां भेजी हैं. उनका मानना है कि जो जवान हमारी रक्षा के लिए सीमा पर डटे हैं, उनकी रक्षा के लिए हमने राखि भेजी है और ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि यह रक्षा सूत्र उनकी भी रक्षा करे.

खास बच्चों की अनोखी पहल?
यह अनूठी पहल गुजरात के खेड़ा ज़िले के नडियाड में मैत्री संस्था के बच्चों ने की है. मानसिक रूप से अक्षम बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ यह संस्था ऑक्यूपेशनल थेरेपी, फ़िज़ियोथेरेपी, स्पीच थेरेपी भी कराती है. इस संस्था में वोकेशनल कोर्स के तहत बच्चों को आत्मनिर्भर बनाया जाता है. इस बार यहां के बच्चों ने विंग्स और विल्स ग्रुप के सहयोग से देशभक्ति की भावना से प्रेरित होकर बेहद खूबसूरत राखियां अपने हाथों से बनाकर जवानों की रक्षा के लिए भेजी हैं.



​कलाई पर दिखेगा बच्चों का स्नेह और प्रेम
ये राखियां बच्चों ने प्यार, भावना और सम्मान के साथ बनाई हैं. इन बच्चों ने न सिर्फ़ राखियां भेजी हैं, बल्कि देश के जवानों के लिए अपनी भावनाएं, सम्मान और आदर भी व्यक्त किया है. बच्चों द्वारा बनाई गई ये राखियां विंग्स एंड व्हील्स ग्रुप द्वारा नाडाबेट और पश्चिम बंगाल की सीमा पर तैनात जवानों तक पहुंचाई जाएंगी. जब ये राखियां जवानों के हाथों पर बांधी जाएंगी, तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहेगा. इन बच्चों का जज्बा वाकई काबिले तारीफ़ है. 

ये बच्चे न सिर्फ़ राखियां बनाते हैं, बल्कि कोड़िया, तोरण और सजावटी सामान भी बनाते हैं. इन बच्चों द्वारा बनाई गई वस्तुओं की एक प्रदर्शनी भी लगाई जाती है, जिससे इन बच्चों को रोज़ी-रोटी मिल रही है. यह एक अनुकरणीय पहल है. इस पहल से समाज में दिव्यांग बच्चों के प्रति जागरूकता बढ़ेगी और उन्हें सम्मान और स्वीकृति भी मिलेगी. इन बच्चों ने साबित कर दिया है कि उनके अंदर की कला और भावनाएं किसी भी मायने में कम नहीं हैं.

-हेताली शाह की रिपोर्ट