
पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग खत्म हो चुकी है. एग्जिट पोल के सर्वे भी सामने आ गए हैं. इस सर्वे में मिजोरम को लेकर दिलचस्प नतीजे सामने आए हैं. एग्जिट पोल के मुताबिक पूर्वोत्तर के इस राज्य में जोरम पीपुल्स मूवमेंट यानी ZPM को बड़ी जीत मिल सकती है. इंडिया-टुडे एक्सिस माई इंडिया एग्जिट पोल के मुताबिक मिजोरम में जेएमपी को 40 में से 28 से 35 सीटें मिल सकती हैं. इस पार्टी की अगुवाई लालदुहोमा कर रहे हैं, जो आईपीएस अफसर रहे हैं. उन्होंने ही इस पार्टी को स्थापना की थी, जो अब एग्जिट पोल के मुताबिक मिजोरम में सरकार बना सकती है.
लालदुहोमा ने कैसी की ZPM की शुरुआत-
74 साल के लालदुहोमा पूर्व आईपीएस अधिकारी हैं. उन्होंने जोरम नेशनलिस्ट पार्टी नाम से एक क्षेत्रीय दल बनाया था. वो इस पार्टी के फाउंडर और अध्यक्ष हैं. इस पार्टी से साल 2003 में वो विधायक चुने गए थे. साल 2018 में विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी गठबंधन जोरम पीपुल्स मूवेमेंट में शामिल हुई. चुनाव से पहले लालदुहोमा को गठबंधन ने मुख्यमंत्री चेहरा घोषित किया था. हालांकि गठबंधन पार्टी को चुनाव आयोग से मान्यता नहीं मिल पाई थी. जिसकी वजह से गठबंधन के उम्मीदवार निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतरे.
लालदुहोमा ने सीएम ललथनहवला को हराया-
निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर लालदुहोमा ने दो सीटों आइजोल वेस्ट 1 और सेरछिप से मैदान में उतरे. दोनों सीटों पर उनको जीत मिली. उन्होंने आइजोल वेस्ट 1 सीट छोड़ दी. सेरछिप विधानसभा से लालदुहोमा ने उस समय के मुख्यमंत्री ललथनहवला को हराया था. लालदुहोमा ने 410 वोटों से मुख्यमंत्री को हराया था. 2018 विधानसभा चुनाव के बाद लालदुहोमा सदन में विपक्ष के लीडर बने. उस चुनाव में जेडपीएम ने 8 सीटों पर जीत दर्ज की थी.
2019 में मिली ZPM को मान्यता-
विधानसभा चुनाव के बाद साल 2019 में जोरम पीपुल्स मूवमेंट चुनाव आयोग में रजिस्टर्ड हो गया. पार्टी रजिस्टर्ड होने के बाद लालदुहोमा इसके अध्यक्ष बने. इस बार उनकी अगुवाई में ही जेडएमपी पार्टी चुनाव मैदान में उतरी है. एग्जिट पोल के मुातबिक इस पार्टी को लैंडस्लाइड विक्ट्री मिलती दिख रही है.
कौन हैं लालदुहोमा-
आईपीएस अधिकारी रहे लालदुहोमा ने नॉर्थ ईस्ट हिल यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया है. उसके बाद वो भारतीय पुलिस सेवा में आ गए. इस दौरान वो तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सिक्योरिटी चीफ रहे. साल 1984 में उन्होंने नौकरी से इस्तीफा दे दिया और सांसद बन गए. लेकिन कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद साल 1988 में दल-बदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित हो गए. लालदुहोमा भारत की सियासत में पहले ऐसे शख्स हैं, जिनपर दल-बदल कानून के तहत एक्शन हुआ था और वह लोकसभा में संसद सदस्यता गंवाने वाले पहले शख्स बन गए थे.
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