
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण काफी बड़ी समस्या है. ऐसे में एक ऐसा मॉडल डेवलप हुआ है, जिसकी मदद से प्रदूषण का पता पहले ही चल जाएगा. सफर (SAFAR) यानी (System of Air Quality and weather Forecasting And Research) वैसे तो पिछले कई सालों से प्रदूषण के बारे में बताता आ रहा है. लेकिन ऐसा पहली बार होगा जब सफर का नया मॉडल प्रदूषण के तीन दिन पहले ही ये भविष्यवाणी कर देगा कि किस दिन कितना प्रदूषण होगा. पंजाब में पराली जलती है तो उसका असर दिल्ली पर होने में करीब 24 ये 30 घंटे का वक्त लगता है. जो हवा की दिशा और गति पर निर्भर करता है. यानी पराली से होने वाले प्रभाव का पूर्वानुमान पहले ही हो सकेगा. मॉडल का नाम है सफर डायनेमिक एमिशन इन्वेंटरी मॉडल (Safar dynamic emission inventory model) जो फायर काउंट को ढंग से इस्तेमाल करके उनका एमिशन इन्वेंटरी बना रहा है.
कैसे कम करेगा ये मॉडल?
राजधानी में जब भी धुंध जैसी स्थिति आती है तो पराली जलने, गाड़ियों के या फिर धूल का प्रदूषण कह दिया जाता है. लेकिन इस मॉडल के जरिए अब प्रदूषण का कौन सा सोर्स कितना प्रदूषण फैला रहा है ये पता चल सकेगा. Safar dynamic emission inventory model के जरिए रियल टाइम में एमिशन इनवेंट्री मिलेगी. यानी कल कितना प्रदूषण होगा इससे 3 दिन पहले से ही पता चल जाएगा. सफर के संस्थापक प्रोजेक्ट डायरेक्टर सफर डॉ. गुरफान बेग ने बताया कि “पहली बार dynamic emission inventory model यूज़ होगा, जिससे एक्यूरेसी बढ़ जाएगी और पता चलेगा कि मौजूदा प्रदूषण में पराली का कितना प्रतिशत योगदान है और बदले हुए मौसम का कितना. पहले पराली के काउंट का डाटा 1 दिन बाद मिलता था. दिल्ली एनसीआर में हर बार पराली की वजह से काफी प्रदूषण होता है ऐसे में सैटेलाइट से पराली के बारे में डाटा लेकर मॉडल के जरिए साफ-साफ पता चलेगा कहां पर धान की कटाई हुई और कितने दिन में पराली जल सकती है वही पंजाब और हरियाणा के किन-किन इलाकों में धान की कटाई का काम किस हद तक हो चुका है."
10 अक्टूबर से शुरू होता है पराली जलाना
10 अक्टूबर के बाद पंजाब में पराली जलने की घटनाएं शुरू हो जाती है और दिल्ली का दम घुटने लगता है. अब इंडियन और फॉरेन सेटेलाइट रोज़ पराली से रिलेटेड काउंट का emission inventory बनाएगा. इस मॉडल के जरिए ये पता चलेगा कि प्रदूषण में कितना प्रतिशत बाहरी है, जैसे पराली या फिर आंतरिक तौर पर कौन कारक जिम्मेदार हैं. एक आंकड़े के मुताबिक करीब 40 दिन दिल्ली एनसीआर को पराली से होने वाले परेशानी झेलनी पड़ती है. 15 अक्टूबर से 25 नवंबर के बीच पंजाब और हरियाणा में पराली जलती है भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के मुताबिक साल 2021 में 15 सितंबर से 30 नवंबर के बीच 71300 से ज्यादा जगहों पर पराली जलाई गई थी.
सुपर साइट लैब से प्रदूषण का सफाया
लैब का मतलब कंट्रोल रूम से है जहां प्रदूषण के स्तर, उसके तत्व, स्रोत और उसके कारकों की निगरानी होगी. दोनों का ही रियल टाइम अध्ययन होगा. ब्लैक कार्बन की भी निगरानी की जाएगी. राजधानी दिल्ली के राउस एवेन्यू में सुपर साइट लैब बन रही है जो 10 अक्टूबर के बाद कभी भी काम शुरू कर देगी. लैब में यूरोप, आस्ट्रेलिया, जापान और इंग्लैंड से लाए गए ऑटोमेटेड उपकरण दिल्ली की दमघोंटू हवा को नापेंगे. यानि ये वो कंट्रोल रूम है जहां से एयर क्वालिटी, उसके सोर्स दोनों का रियल टाइम अध्ययन होगा और वहीं से ब्लैक कार्बन की निगरानी भी होगी.
(दिल्ली से राम किंकर सिंह की रिपोर्ट)