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Rajasthan: इस राज्य में ऐप से होगी मच्छरों की निगरानी, गंदगी और लार्वा मिलने पर संबंधित अधिकारियों को भेजनी होगी तस्वीर, सुधार नहीं हुआ तो होगी कार्रवाई

मानसून में मच्छरों का प्रकोप बढ़ जाता है. राजस्थान में मच्छरजनित बीमारियों की रोकथाम के लिए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने जरूरी कदम उठाने शुरू कर दिए हैं. डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों पर समय रहते काबू पाने के लिए विभाग पूरी तरह अलर्ट मोड पर है. 

Mosquito Mosquito
हाइलाइट्स
  • राजस्थान में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने मच्छरजनित बीमारियों की रोकथाम के लिए उठाए सख्त कदम

  • मच्छरों की ब्रीडिंग साइट की निगरानी और रिपोर्टिंग की जाएगी मोबाइल ऐप से

राजस्थान में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने मानसून से पहले मच्छरजनित बीमारियों की रोकथाम के लिए सख्त कदम उठाने शुरू कर दिए हैं. डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों पर समय रहते काबू पाने के लिए विभाग अब पूरी तरह अलर्ट मोड पर है. इस बार नवाचार के तहत मच्छरों की ब्रीडिंग साइट की निगरानी और रिपोर्टिंग मोबाइल ऐप के जरिए की जाएगी.

स्वास्थ्य विभाग ने सूचना प्रौद्योगिकी और संचार विभाग के सहयोग से एक खास मोबाइल ऐप तैयार करवाया है. यह ऐप विभाग की फील्ड टीम को इस योग्य बनाएगा कि वे सर्वे के दौरान जहां कहीं भी मच्छर के लार्वा, गंदगी या जलभराव जैसी समस्याएं दिखें, वहां की लाइव फोटो खींचकर नगर निगम, नगर परिषद या नगर पालिका के संबंधित अधिकारियों को तुरंत भेज सकें. संबंधित अधिकारी को उस स्थान की सफाई कर सुधार कार्य की पुष्टि करते हुए फिर से फोटो अपलोड करनी होगी. यदि समय पर कार्रवाई नहीं की गई या लापरवाही सामने आई, तो संबंधित अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

निगरानी और सुधार हो सकेगा संभव
इस नई प्रणाली के जरिए अब मच्छरजनित रोगों की रोकथाम केवल कागजों तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि हर स्तर पर जवाबदेही तय की जाएगी. विशेषज्ञों का मानना है कि मच्छरों के प्रजनन स्थल पर समय रहते रोक लग जाए तो बीमारियों का प्रसार काफी हद तक रोका जा सकता है. अब तक स्वच्छता अभियान, नगर क्षेत्र को सेक्टरों में विभाजित करना और निगरानी के लिए कमेटियां बनाना सिर्फ औपचारिकता बनकर रह गया था, लेकिन इस डिजिटल सिस्टम से वास्तविक समय में निगरानी और सुधार संभव हो सकेगा.

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कलेक्टर की भी जवाबदेही तय
इस पूरे अभियान में जिला प्रशासन की भी महत्वपूर्ण भूमिका तय की गई है. प्रत्येक जिला कलेक्टर को निर्देश दिए गए हैं कि वे मानसून के दौरान सप्ताह में एक बार नगर निकाय, चिकित्सा विभाग, पंचायती राज, पशुपालन और स्वायत्त शासन विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक करें. इस बैठक में इलाके में मच्छरों की स्थिति, साफ-सफाई, लार्वा की उपस्थिति, कीटनाशक छिड़काव आदि की समीक्षा की जाएगी. साफ निर्देश दिए गए हैं कि यदि किसी भी क्षेत्र में गंदगी के कारण मच्छर पनपते हैं तो संबंधित नगर निकाय अधिकारियों को जवाबदेह ठहराया जाएगा और आवश्यक कार्रवाई की जाएगी.

2023-2024 में बीमारी के आंकड़े चिंताजनक
पिछले वर्षों के आंकड़े देखें तो मच्छरजनित बीमारियां लगातार चिंता का विषय बनी हुई हैं. वर्ष 2023 में राजस्थान में मलेरिया के 2,263, डेंगू के 13,924 और चिकनगुनिया के 305 मामले सामने आए थे. वहीं वर्ष 2024 में मलेरिया के 2,213, डेंगू के 12,514 और चिकनगुनिया के 1,268 मामले दर्ज किए गए थे. इन बीमारियों को रोकने के लिए ठोस और तकनीकी उपाय जरूरी हैं.

रखें साफ-सफाई, न होने दें जलभराव
एसएमएस अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. पुनीत सक्सेना और डॉ. अजीत सिंह का कहना है कि मक्खी और मच्छर गंदगी से ही जन्म लेते हैं और यही बीमारियों के प्रमुख वाहक बनते हैं. मच्छरों के प्रजनन को रोकने के लिए आवश्यक है कि गमलों, बर्तनों, टंकियों, ड्रम, कूलर और टायर जैसे उन सभी स्थानों को नियमित रूप से साफ किया जाए, जहां पानी जमा हो सकता है. पानी की टंकियों और भंडारण कंटेनरों को हमेशा ढककर रखें ताकि मच्छर वहां अंडे न दे सकें. निर्माण स्थल, बंद नालियां और खुला कूड़ा भी मच्छरों की ब्रीडिंग के प्रमुख स्थान होते हैं, जिन पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है.

डिजिटल निगरानी से बढ़ेगी जवाबदेही
चिकित्सा विभाग के जनस्वास्थ्य निदेशक डॉ. रवि प्रकाश शर्मा के अनुसार, अब फील्ड टीम को जहां भी मच्छर का लार्वा और गंदगी मिलेगी, वहां की तस्वीरें तुरंत संबंधित नगर निकाय अधिकारी को ऐप के माध्यम से भेजी जाएंगी. अधिकारी को उस स्थान पर सुधार कर फोटो वापस भेजनी होगी. यदि ऐसा नहीं होता है तो उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी. यह प्रणाली न केवल पारदर्शिता बढ़ाएगी बल्कि प्रत्येक स्तर पर अधिकारियों की जवाबदेही भी तय करेगी.