India Pakistan partition/Indian History Picture
India Pakistan partition/Indian History Picture बंटवारा एक ऐसा मामला है जिसके बारे में जानने की रुचि हर किसी की रहती है. आज के दिन एक ऐसी बड़ी घटना हुई थी, जिसने भारत की आजादी की राह तो जरूर पक्की की लेकिन देश दो टुकड़ों भारत और पाकिस्तान में बंट गया. 1946 के बाद जब सांप्रदायिक हिंसा नियंत्रण से बाहर हो गई तो राजनीतिक और सांप्रदायिक गतिरोध को खत्म करने के लिए ‘तीन जून योजना’ आई, जिसमें भारत विभाजन के अलावा कोई विकल्प नहीं रह गया.
क्या थी तीन जून की योजना
3 जून 1947 को भारत में अंतिम ब्रिटिश वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने 3 जून की योजना का प्रस्ताव दिया. इसे माउंटबेटन योजना भी कहा जाता है. इसमें विभाजन स्वायत्ता, दो नए राष्ट्रों की संप्रभुता, और अपना संविधान बनाने के लिए उनके अधिकार के सिद्धांत शामिल थे. रियासतों को यह विकल्प दिया गया कि वे भारत या पाकिस्तान में से किसी एक में शामिल हो सकते हैं. यह योजना भारत की आजादी की अंतिम योजना थी.
और इस तरह हो गया बंटवारा
माउंटबेटन योजना के प्रावधानों के अनुसार ब्रिटिश भारत को दो भागों में विभाजित किया जाना था. भारत और पाकिस्तान. 1946 में बने संविधान सभा द्वारा तैयार संविधान पाकिस्तान पर लागू नहीं होगा. पाकिस्तान अपनी अलग संविधान सभा का निर्णय ले सकता था. रियासतों को स्वतंत्र बने रहना या भारत और पाकिस्तान में विलय का विकल्प दिया गया था. पंजाब और बंगाल में हिंदू व मुसलमान बहुसंख्यक जिलों को अलग प्रांत बनाने का विकल्प दिया गया. असम के सिलहट जिले में जनमत संग्रह कराए जाने की बात भी कही गई. इस योजना में विभाजन एवं स्वतंत्रता की यह स्थिति 15 अगस्त 1947 से लागू होने की बात कही गई.
इस योजना पर 14 जून 1947 को कांग्रेस कार्य समिति की बैठक हुई. इसमें अबुल कलाम आजाद, पुरुषोत्तम टंडन समेत कई नेताओं ने इसका विरोध किया लेकिन सांप्रदायिक हिंसा से उत्पन्न हुए हालातों को देखते हुए इस योजना को मंजूरी दे दी गई. आखिरकार 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हो गया था. पंडित जवाहर लाल नेहरू आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री बने. सरदार वल्लभ भाई पटेल गृह मंत्री बनाए गए.