
मध्य प्रदेश विधानससभा 2023 का चुनाव संपन्न हो गया है. सभी 230 विधायक चुन लिए गए है. लेकिन सबसे ज्यादा सुर्खियां एक विधायक बटोर रहे हैं. खास बात यह है कि विधायक ना तो सूबे में सत्तारूढ़ रहने वाली भारतीय जनता पार्टी से हैं और ना ही मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस से हैं. चर्चा में रहने वाले विधायक का नाम कमलेश्वर डोडियार है. इनकी चर्चा इसलिए हो रही है, क्योंकि इन्होंने 12 लाख रुपए कर्ज लेकर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की है.
कर्ज लेकर जीता चुनाव-
कमलेश्वर डोडियार ने रतलाम जिले की सैलाना सीट से चुनाव लड़ा था. चुनावी खर्च के लिए डोडियार के पास पैसे नहीं थे, इसलिए उन्होंने 12 लाख रुपए कर्ज लिए. उन्होंने चुनाव में जीत दर्ज की है. वो विधायक बन गए हैं. चुनाव जीतने के बाद भी कमलेश्वर ने कोई तामझाम नहीं बनाया. वो साधारण तरीके से भोपाल पहुंचे. नवनिर्वाचित विधायक कमलेश्वर डोडियार ने बाइक से रतलाम से भोपाल की 300 किलोमीटर की दूरी तय की. ये दूरी तय करने में उनको 8-9 घंटे का समय लगा. कमलेश्वर बाइक से कागजात जमा करने विधानसभा सचिवालय पहुंचे.
बीजेपी और कांग्रेस उम्मीदवार को हराया-
कमलेश्वर डोडियार ने भारत आदिवासी पार्टी से चुनाव लड़ा था. उन्होंने सालाना सीट से कांग्रेस और बीजेपी दोनों पार्टियों को उम्मीदवार को हराया. डोडियार ने कांग्रेस उम्मीदवार हर्ष विजय गहलोत को हराया. पिछली बार हर्ष विजय इस सीट से विधायक थे. लेकिन इस बार कमलेश्वर डोडियार से 4618 वोटों से हार गए. कमलेश्वर ने 71219 वोट हासिल किए, जबकि कांग्रेस उम्मीदवार को 66601 वोट मिले. बीजेपी इस सीट पर तीसरे नंबर पर रही. सैलाना इकलौती ऐसी सीट है, जहां से भारत आदिवासी पार्टी ने जीत दर्ज की है.
कमलेश्वर ने साल 2018 विधानसभा चुनाव में भी किस्मत आजमाई थी. पिछली बार उनको 18800 वोट मिले थे. इसके बाद साल 2019 में रतलाम-झाबुआ संसदीय सीट से चुनाव लड़ा और 14 हजार वोट हासिल किए.
कौन हैं कमलेश्वर डोडियार-
33 साल के कमलेश्वर डोडियार सैलाना के सरवन क्षेत्र के राधाकुंवा गांव के रहने वाले हैं. घर चलाने के लिए वो मजदूरी करते हैं. कमलेश्वर अपने माता-पिता के साथ एक झोपड़ी में रहते हैं. कमलेश्वर ने आर्थिक तंगी के बीच विक्रम यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन की पढ़ाई की है. उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से वकालत की पढ़ाई की है. कमलेश्वर आदिवासियों के हक की लड़ाई लड़ते हैं. उनको कई बार जेल भी जाना पड़ा है.
(भोपाल से नीरज चौधरी की रिपोर्ट)
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