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Mukhtar Ansari को gangster case में 10 साल की सजा, जेल में बैठे-बैठे करा दी थी कृष्‍णानंद राय की हत्या, दोनों में दुश्मनी की ये थी वजह

गाजीपुर की एमपी/एमएलए कोर्ट ने मुख्तार अंसारी को बीजेपी विधायक कृष्‍णानंद राय की हत्या और व्यापारी नंदकिशोर रूंगटा अपहरण के मामले में दोषी करार दिया है. कोर्ट ने उसे 10 साल की सजा सुनाई है. पांच लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है. 

मुख्तार अंसारी और कृष्‍णानंद राय (फाइल फोटो) मुख्तार अंसारी और कृष्‍णानंद राय (फाइल फोटो)
हाइलाइट्स
  • मुख्तार पर कोर्ट ने पांच लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया 

  • 2005 बीजेपी विधायक कृष्‍णानंद राय की करा दी थी हत्या 

माफिया मुख्‍तार अंसारी ने जेल में बैठे-बैठे साल 2005 बीजेपी विधायक कृष्‍णानंद राय की हत्या करा दी थी. इस मर्डर और व्यापारी नंदकिशोर रूंगटा अपहरण के बाद  मुख्‍तार और उसके भाई अफजाल अंसारी पर गैंगस्‍टर एक्‍ट लगा था. इस मामले में शनिवार को गाजीपुर की एमपी/एमएलए कोर्ट ने मुख्तार अंसारी को दोषी करार दिया है. कोर्ट ने उसे 10 साल की सजा सुनाई है. इसके अलावा पांच लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है. कोर्ट ने मुख्तार के भाई और बसपा सांसद अफजाल अंसारी  को 4 साल की सजा सुनाई है. इसके साथ ही उसपर 1 लाख का जुर्माना भी लगाया है. सजा होने के बाद अफजाल की सांसदी जाना तय माना जा रहा है. 

क्या है मामला 
कृष्णानंद राय हत्याकांड और व्यापारी नंदकिशोर रूंगटा अपहरण के बाद मुख्तार और अफजाल पर गैंगस्टर एक्ट में साल 2007 में केस दर्ज किया गया था. इस मामले में 1 अप्रैल को सुनवाई पूरी हो गई थी. पहले इस मामले में 15 अप्रैल को फैसला आना था लेकिन  न्यायाधीश के अवकाश पर होने के चलते फैसला नहीं आ पाया था. बाद में तारीख को बढ़ाकर 29 अप्रैल 2023 कर दिया गया था.

कैसे हुई थी दोनों में दुश्मनी
मुख्तार अंसारी पर 15 जुलाई 2001 को जानलेवा हमला हुआ था. मोहम्मदाबाद के उसरी चट्टी इलाके में अपने काफिले के साथ निकला था. इसी बीच रेलवे फाटक के पास उसपर हमला हुआ था. इस हमले में वह बच गया था. हमले का इल्जाम बीजेपी नेता कृष्णानंद राय पर लगा. कृष्णानंद राय के इशारे पर गैंगस्टर बृजेश सिंह ने हमला किया था. इतनी बड़ी घटना के बाद बृजेश अंडरग्राउंड हो गया. लेकिन मुख्तार ने कृष्णानंद राय से बदला लेने की ठान ली थी. हालांकि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के कारण पूर्वांचल में उस साल ज्यादा उथल-पुथल नहीं हुआ. 

मुख्तार और बृजेश ने चुनाव में सबकुछ दांव पर लगा दिया था
2002 के विधानसभा चुनाव में मुख्तार अंसारी और बृजेश सिंह ने अपना सबकुछ दांव पर लगा दिया. बृजेश को राजनीतिक संरक्षण देने वाले कृष्णानंद राय ने मुख्तार के भाई अफजाल के खिलाफ मोहम्मदाबाद से पर्चा भरा था. इसके बाद हुए चुनाव में कृष्णानंद ने मुख्तार के भाई और पांच बार के विधायक अफजाल अंसारी को हरा दिया.

मऊ से जीतने के बाद भी बदले की भावना नहीं गई 
दो साल में मुख्तार को दो बड़े झटके लग चुके थे. पहले 2001 में जानलेवा हमला और उसके बाद भाई की चुनावी हार. लेकिन, इसी चुनाव में मुख़्तार अंसारी ने मऊ सदर से निर्दलीय पर्चा भरा और जीत गया. फिर भी बदले की भावना नहीं गई. उसने बृजेश सिंह और कृष्णानंद को बर्बाद करने की तमाम कोशिशें शुरू कर दीं. मुख्तार ने सबसे पहले उस शख्स की पहचान की, जिसने उस पर गोली चलाई थी. वो था गैंगस्टर बृजेश के गुरु त्रिभुवन का भाई अनिल सिंह. 2003 में अनिल बीएसपी से जिला पंचायत सदस्य बना. मुख्तार गैंग ने गाजीपुर के सैदपुर में सरेबाजार अनिल समेत तीन लोगों की हत्या कर दी.

कृष्‍णानंद राय समेत सात लोगों की हुई थी हत्या
25 अक्टूबर 2005 को विधायक और गैंगस्टर मुख्तार अंसारी को मऊ दंगे में सरेंडर करना पड़ा. उस पर हिंसा भड़काने का आरोप था. जेल में बैठे-बैठे उसने कृष्णानंद राय की हत्या की प्लानिंग बनाई. इसमें उसका साथ उसके गुर्गे मुन्ना बजरंगी और उसके साथियों ने दिया. 29 नवंबर 2005 को बीजेपी विधायक कृष्‍णानंद राय किसी कार्यक्रम में हिस्‍सा लेकर लौट रहे थे. राह में पहले से घात लगाए मुख्तार के गुर्गों ने उनपर हमला बोल दिया. कृष्‍णानंद जिस कार में थे उस पर एके 47 रायफल से फायर किया गया. करीब 500 गोलियां दागी गईं. कृष्‍णानंद राय समेत सात लोगों की मौत हुई. राय को करीब 67 गोलियां लगी थीं.