
11 जुलाई 2006, यह वह दिन है जिसको मुंबई के लोग शायद ही कभी भूल सकेंगे. इसी दिन लेकल ट्रेनों 7 सीरियल बम धमाकों से पूरी मुंबई दहल उठी थी. इन धमाकों में 187 लोग मारे गए और करीब 700 लोग घायल हो गए थे.
चारों ओर मच गई थी अफरातफरी
ये सात बम धमाके महज 11 मिनट के अंदर हुए थे. इन धमाकों ने देश की आर्थिक राजधानी कही जाने वाली मुंबई को हिलाकर रख दिया था. सभी धमाकों के लिए प्रेशर कुकर का इस्तेमाल किया गया था. इन्हें वेस्टर्न लाइन पर चलने वाले ट्रेनों में रखा गया था. प्रेशर कुकर से हुए ये धमाके अन्य बम धमाकों के मुकाबले अधिक जोरदार थे. पहला धमाका शाम 4.35 के आसपास हुआ था. इन धमाकों ने मुंबई की लाइफ लाइन पर ब्रेक लगा दिए थे. हर तरफ अफरातफरी का माहौल था.
हर तरफ मौत का था मंजर
ये सभी धमाके लोकल ट्रेन के फर्स्ट क्लास कंपार्टमेंट में हुए थे. इसके लिए आतंकियों ने चर्चगेट से जाने वाली ट्रेनों को अपना निशाना बनाया था, जो लोगों के आने जाने का बड़ा केंद्र था. माटुंगा रोड़, माहिम जंक्शन, बांद्रा, खार रोड़, जोगेश्वरी, भयंदर और बोरिवली, ये वो जगह थीं जहां पर ये धमाके हुए थे. इन धमाकों के बाद हर तरफ मौत का मंजर था. किसी ने अपना दोस्त खो दिया, किसी ने भाई, किसी ने बेटा, तो किसी ने अपना पति. कई साल बाद आज भी इस हादसे की तस्वीरें लोगों को आंखें नम कर देती हैं.
कैसे घटना को दिया अंजाम
पुलिस के मुताबिक मार्च 2006 में लश्कर-ए-तैयबा के आजम चीमा ने अपने बहावलपुर स्थित घर में सिमी और लश्कर के दो गुटों के मुखियाओं के साथ इन धमाकों की साजिश रची थी. मई 2006 में बहावलपुर के ट्रेनिंग कैंप में 50 युवकों को भेजा गया. उन्हें बम बनाने और बंदूकें चलाने का प्रशिक्षण दिया गया. पुलिस ने बताया कि लश्कर-ए-तैयबा ने इन लोगों को अलग-अलग रास्तों से भारत में दाखिल कराया जो मुंबई पहुंचकर चार अलग-अलग जगहों पर रहने लगे. इनमें से दो मलाड में, चार बांद्रा, दो बोरीवली और तीन मुम्ब्रा में रहने लगे. पुलिस के मुताबिक, धमाके के लिए 20 किलोग्राम आरडीएक्स गुजरात में कांडला के रास्ते भारत भेजा गया था और मुंबई से भारी मात्रा में अमोनियम नाइट्रेट खरीदा गया था. आठ प्रेशर कुकर सांता क्रूज में दो अलग-अलग दुकानों से खरीदे गए थे. पुलिस का ये भी कहना है कि 11 जुलाई 2006 को अभियुक्त सात गुटों में बंटे, हर गुट में दो भारतीय और एक पाकिस्तानी था. हर गुट के पास एक प्रेशर कुकर था जो काली थैली में अखबार में लपेटकर रखा था।
5 दोषियों को सुनाई गई थी मौत की सजा
इस केस में सितंबर 2015 में 12 लोगों को धमाकों का दोषी माना गया. अक्टूबर 2015 में इन 12 में से 5 दोषियों, कमाल अहमद अंसारी, मोहम्मद फैसल शेख, एहतेशाम सिद्दीकी, नावेद हुसैन खान और आसिफ खान को मौत की सजा सुनाई गई. जबकि 7 अन्य दोषियों को उम्रकैद की सजा दी गई.