Dussehra
Dussehra दशहरे के दिन वडोदरा के पोलो ग्राउंड में जब रावण का पुतला जलेगा, तो मोहसिन खान उन कुछ लोगों में से होंगे जो बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाने वाले सैकड़ों लोगों में शामिल होंगे. भले ही इससे उनकी कई दिनों की मेहनत पर आग ही क्यों न लग जाए.
पिछले 40 वर्षों से खान परिवार, जो मूल रूप से आगरा के रहने वाले हैं, पोलो ग्राउंड में रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के विशाल पुतले बना रहा है. वडोदरा में शहर की सबसे बड़ी राम लीला सालाना आयोजित की जाती है. 27 वर्षीय खान ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, ''हम हर साल पुतले बनाने के लिए आगरा से वडोदरा आते हैं. हमारी टीम कुछ दिनों तक शहर में कैंप करेगी. मेरे दादाजी पहली बार लगभग चार दशक पहले पोलो ग्राउंड में रावण का पुतला बनाने के लिए वडोदरा आए थे. तब से, मेरे परिवार को यह काम सौंपा गया है."
किन चीजों का करते हैं इस्तेमाल
खान ने कहा कि उनके परिवार को यहां कभी भी भेदभाव का सामना नहीं करना पड़ा. वह धार्मिक विभाजन में विश्वास नहीं करते इसलिए हम राम लीला उत्सवों में भी भाग लेते हैं." खान के पिता शराफत अली ने पुतलों की क्वालिटी और लुक में बहुत सुधार किया है. वह पुतले बनाने के लिए बांस, कपड़ा, कपास और कागज का उपयोग करते हैं. रावण का पुतला लगभग 60 फीट लंबा है, जबकि कुंभकर्ण और मेघनाद का पुतला 30 फीट ऊंचा है. उन्होंने कहा कि यह कोई आसान काम नहीं है क्योंकि हमें यह सुनिश्चित करना होता है कि जलाते समय पुतले टूट कर बिखर न जाएं.
पिछले चार दशकों से, खान और उनके परिवार के कारण स्थानीय लोग रावण दहन देख पा रहे हैं. 43 वर्षों से यहां राम लीला का आयोजन कर रहे नॉर्थ इंडियन कल्चरल एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रवीण गुप्ता ने कहा, "खान पिछले 40 वर्षों से हमारे राम लीला उत्सव के प्रमुख सदस्यों में से एक रहे हैं."