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बदलेगी सोच, बढ़ेंगी बेटियां, ग्रेटर नोएडा में बेटियों को दी जा रही है JCB चलाने की ट्रेनिंग

ये कहानी दो मुस्लिम बहने निशा और समीरा की है . घर में आर्थिक तंगी को देख कर दोनों ने तय किया कि वो कुछ करेंगी, कुछ करेंगी का मतलब कुछ अलग करेंगी. बस इसी सोच की बदौलत आज दोनों बहनें jcb चला रही हैं, और ऐसा करके मिसाल बन गयी हैं. दोनों पैसा तो कमा ही रहीं हैं साथ में नाम भी कमा रही हैं.लेकिन नाम कमाने की ये कवायद इतनी भी आसान नहीं थी.

JCB JCB
हाइलाइट्स
  • दो मुस्लिम बहनें चला रही है JCB

  • समाज के लिए बन गयी हीरोईन

चौंकने के लिए इस दुनिया में आपके पास हजारों वजहें हो सकती हैं. लेकिन कुछ चीजें ऐसी होती हैं जिन्हें देखकर अगर आपका मुंह खुला का खुला रह जाए तो यह तय करना आसान हो जाता है कि आप जेंडर बायस हैं. खैर आज हम आपको कुछ ऐसी कहानी बताने जा रहे हैं जिसमें हीरोइन ये तय कर देती है कि वो जेंडर बायस नहीं है और वो लड़का लड़की के फेर से काफी आगे की सोच रखती है. 

दो मुस्लिम बहनें चला रही हैं JCB

ये कहानी दो मुस्लिम बहनों निशा और समीरा की है. घर में आर्थिक तंगी को देख कर दोनों ने तय किया कि वो कुछ करेंगी, कुछ करेंगी का मतलब कुछ अलग करेंगी. बस इसी सोच की बदौलत आज दोनों बहनें JCB चला रही हैं, और ऐसा करके मिसाल बन गयी हैं. दोनों पैसा तो कमा ही रहीं हैं साथ में नाम भी कमा रही हैं.लेकिन नाम कमाने की ये कवायद इतनी भी आसान नहीं थी, निशा की JCB की ट्रेनिंग वाली बात जब परिवार वालों को पता चली तो उन्होंने निशा से बात करना बंद कर दिया. लेकिन निशा की मां ने निशा का साथ दिया. 

बड़ी बहन के नक्शेकदम पर छोटी बहन ने भी JCB को बनाया अपना प्रोफेशन

बड़ी बहन ने मजबूरी में काम शुरू किया था लेकिन छोटी बहन समीरा का मन था कि वह भी यही काम करें. बड़ी बहन शायद दोनों के हिस्से की लड़ाई घर परिवार और रिश्तेदारों से लड़ चुकी थी इसलिए समीरा को भी परमिशन मिल गई. दोनों ने ट्रेनिंग की और अब दोनों एक बड़ी कंपनी में नौकरी भी कर रही हैं मतलब जेसीबी चला रहे हैं परिवार के लोग और खासकर पिता ही अब इतना खुश हैं कि वह कहते हैं कि अपनी बेटियों का रिश्ता उसी घर में करेंगे जहां उन्हें अपने मन का काम करने की आजादी हो. 

तलाकशुदा योगिता बनी लड़कियों की रोलमॉडल

ऐसी ही एक कहानी योगिता  की है. योगिता उम्र छोटी है लेकिन इस छोटी उम्र में ही हाल ही में उनका तलाक हुआ है कई दिन तक योगिता को लगा कि जैसे उनकी दुनिया पूरी तरह से खत्म हो गई लेकिन एक दिन योगिता को किसी ने ऐसा ताना मारा कि उसको चुभ गया. योगिता कहती हैं कि उन्होंने जेसीबी पैसा कमाने के लिए नहीं सीखी बस उन्हें यह साबित करना था कि लड़कियों के लिए कुछ भी मुश्किल नहीं और किसी के सहारे की जरूरत तो बिल्कुल नहीं.

आईटीआई और महिला उन्नति संस्था ने निभाई अहम भूमिका

लड़कियों को इस मुकाम तक पहुंचाने में आईटीआई और महिला उन्नति संस्था ने बड़ी भूमिका निभाई. राहुल वर्मा बताते हैं कि यह सफर आसान नहीं था शुरुआत में हमने 40 लड़कियां चुनी लेकिन कोर्स शुरू होने के पहले ही 20 लड़कियां पीछे हट गई आखिर में सफर के अंतिम पड़ाव तक 18 लड़कियां पहुंची राहुल सरकार से अपील करते हैं कि वह इस क्षेत्र में लड़कियों को बढ़ाने के लिए कुछ करें. सेंटर इंचार्ज मनोज झा दावा करते हैं कि पूरे भारत मे ये पहला इस्टीट्यूट है जिसने लड़कियों को प्रशिक्षण दिया. लड़कियों की सिक्योरिटी बड़ा मुद्दा था लेकिन पुलिस ने सुरक्ष दी. ट्रेनिंग के बीच मे भी कई लड़कियां हिम्मत छोड़ देती थीं लेकिन उन्हें फिर प्रेरणा दी गई और वो वापस आईं. 18 लड़कियों को ट्रैनिंग दी. 

लीक से हटकर कोई काम चुनना आसान नहीं होता खासकर लड़कियों के लिए चुनौतियां और ज्यादा होती हैं.रुक जाने के लिए इन लड़कियों के पास तमाम वजह थीं लेकिन उन्होंने खुले आसमान को जीतना तय किया और वो आज खुले आसमान में जी भी रही हैं.