
Architectural Marvels of India
Architectural Marvels of India भारत की प्राकृतिक सुंदरता को पहचानने और भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए पर्यटन के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 25 जनवरी को राष्ट्रीय पर्यटन दिवस मनाया जाता है. भारत दुनिया भर के आगंतुकों के लिए मशहूर पर्यटक आकर्षणों में से एक है.
आज इस मौके पर हम आपको बता रहे हैं भारत में मौजूद कुछ ऐसी जगहों के बारे में जिन्हें इंडियन आर्किटेक्चर का Engineering Marvel कहा जाता है. इन जगहों पर एक बार ट्रिप करना तो बनता है.
एलोरा की गुफाओं में कैलाश मंदिर

8वीं शताब्दी के भारत के वास्तुकारों की कारीगरी को दर्शाने वाला एक संरचनात्मक इंजीनियरिंग का अनोखा उदाहरण है, कैलाश मंदिर. चट्टान से बना यह मठ गुफा मंदिर परिसर, विश्व प्रसिद्ध एलोरा गुफाओं का हिस्सा है. माना जाता है कि इस विशाल मंदिर की संरचना को एक ही चट्टान से तराश कर बनाया गया है! कैलाश मंदिर रिवर्स इंजीनियरिंग का एक आदर्श उदाहरण है और निर्माण में टॉप-डाउन एप्रोच का उपयोग करके इसे तराशा गया है.
ऐसा माना जाता है कि तीन विशाल खाइयों को एक चट्टान के रूप में खोदा गया था और मंदिर बनाने के लिए लगभग 2,00,000 टन चट्टान की खुदाई की गई होगी. यह कैलाश मंदिर है जिसमें दुनिया की सबसे बड़ी कैंटिलीवर रॉक सीलिंग है! मंदिर की जटिल मूर्तिकला डिजाइन इसे और अद्भुत बनाती है. जिससे यह प्राचीन भारतीय वास्तुकला के इंजीनियरिंग चमत्कार से कम नहीं है.
मीनाक्षी अम्मन मंदिर

तमिलनाडु के मदुरै में मीनाक्षी अम्मन मंदिर भी समृद्ध भारतीय वास्तुकला को प्रदर्शित करता है. यह खूबसूरत मंदिर एक हेरिटेज साइट है. मीनाक्षी मंदिर भारत के सबसे विशाल मंदिरों में से एक है और इसमें बारह विशाल द्वार हैं, जिनमें सबसे बड़े द्वार बाहरी दीवारों पर स्थित हैं.
इन द्वारों को गोपुरम के नाम से भी जाना जाता है. मंदिर परिसर में एक टैंक है, इसके अलावा यहां सबसे प्रसिद्ध है 'हॉल ऑफ थाउजेंड पिलर.' मंदिर के हॉल भव्य रूप से सुंदर मूर्तियों, डिजाइनों और नक्काशी से सुशोभित हैं और एक दूसरे से अद्वितीय हैं. मीनाक्षी अम्मन मंदिर परिसर 45 एकड़ जगह में फैला है और एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है.
विठ्ठल मंदिर, कर्नाटक - गायन स्तंभ (सिंगिंग पिलर्स)

भारत के टूरिस्ट शहरों में से एक, हम्पी अपनी वास्तुकला के माध्यम से भारत के इतिहास, संस्कृति, महत्वाकांक्षाओं और आकांक्षाओं के बारे में बताता है. इस वास्तुशिल्प केंद्र में विठ्ठल मंदिर अपने मंत्रमुग्ध कर देने वाले सिंगिंग पिलर्स के साथ खड़ा है!
अगर आप इन पिलर्स को धीरे से थपथपाएंगे तो इनसे कोमल और रमणीय संगीतमय ध्वनि निकालती है. इन स्तंभों को सारेगामा स्तंभ कहते हैं. मंदिर के भीतर ये 56 स्तंभ भारतीय वास्तुकला को भारतीय शास्त्रीय संगीत के साथ मिश्रित करते हैं. ऐसा कहा जाता है कि चट्टान की संरचना इस तरह से बनाई गई थी कि स्तंभों द्वारा निर्मित संगीत को स्पष्ट रूप से सुना जा सकता है.
सिंधुदुर्ग किला, महाराष्ट्र - खारे पानी का किला

आपको शायद अजीब लगे कि इस पुराने किले को इंजीनियरिंग मार्वल्स की लिस्ट में क्यों रखा है. इसका कारण है कि यह किला पिछले 400 सालों से समुद्री पानी पर टिका हुआ है! सब इस तथ्य से वारिफ हैं कि खारे पानी से इमारतों का क्षरण होता है. लेकिन सिंधुदुर्ग किले पर सालों बाद भी पानी का कोई असर नहीं दिखता है क्योंकि इमारत की नींव उतनी ही मजबूत बनी हुई है जितनी कि यह पहली बार बनने के समय रही होगी!
इसका वैज्ञानिक कारण है कि यह किला जंग को रोकने में कामयाब रहा है क्योंकि इस संरचना की नींव में हजारों टन लैड का उपयोग किया गया था. यह वास्तव में एक आश्चर्य है कि सिंधुदुर्ग किले की नींव बनाने के लिए उस समय के वास्तुकारों ने पिघले हुए लैड को समुद्र के बीच में कैसे पहुंचाया होगा. किले में एक छिपा हुआ प्रवेश द्वार भी है जो इसके आकर्षण को बढ़ाता है. ऐसा लगता है कि हमारे पूर्वजों ने इस द्वार को दुश्मन को गुमराह करने के लिए बनाया होगा ताकि वे मुख्य द्वार की तलाश में ही भटकते रह जाएं.
लेपाक्षी मंदिर, आंध्र प्रदेश

नक्काशीदार पत्थर के स्तंभ और इन पर अंकित कथा कला भारतीय वास्तुकला की विशेषता है. लगभग हर प्राचीन भारतीय इमारत में आपको खूबसूरती से गढ़े हुए स्तंभ देखने को मिलेंगे. हालांकि, क्या आप जानते हैं कि कोई स्तंभ छत से लटक सकता है?
यह सुनने में असंभव लगता है, क्योंकि आमतौर पर खंभे छत को सहारा देने के लिए बनाए जाते हैं. लेकिन आंध्र प्रदेश के लेपाक्षी मंदिर में आपको यह अदभुत दृश्य देखने को मिलेगा. इस मंदिर में लगभग 70 स्तंभ हैं और इनमें से एक लटकता हुआ स्तंभ है. यह स्तंभ यहां का मुख्य आकर्षण है.