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बदलाव से उम्मीद...नक्सलगढ़ दंतेवाड़ा से अब देशभर में कपड़ों की सप्लाई, महिलाओं ने शुरू की अपनी फैक्ट्री 'डैनेक्स'

छत्तीसगढ़ में सरेंडर कर चुके नक्सली अब नक्सल पीड़ित परिवारों के साथ मिलकर डैनेक्स टेक्सटाइल प्रिंटिंग फैक्ट्री चला रहें है. यहां ये सब मिलकर ब्रांडेड कपड़ा कंपनियों के लिए कपड़ों पर प्रिंटिंग का काम कर रहें है. यहां से प्रिंट हुए कपड़े और सिलाई के बाद विभिन्न माध्यमों से देशभर के बाजार में भेजे जा रहे हैं.

नक्सली महिलाओं ने शुरू की अपनी फैक्ट्री 'डैनेक्स' (प्रतिकात्मक तस्वीर) नक्सली महिलाओं ने शुरू की अपनी फैक्ट्री 'डैनेक्स' (प्रतिकात्मक तस्वीर)
हाइलाइट्स
  • देशभर के बाजारों में बिक रहे हैं डैनेक्स के कपड़े

  • बेरोजगारी रोकने में मिलेगी मदद

  • सुधर रहा है महिलाओं का जीवन स्तर

नक्सलवाद, पिछड़ापन और गरीबी का पर्याय बन चुके छत्तीसगढ़ का दंतेवाड़ा जिला रेडीमेड कपड़ों का हब बना गया है. स्थानीय महिलाओं और जिला प्रशासन के प्रयास से इस क्षेत्र में नवा दंतेवाड़ा गारमेंट्स फैक्ट्री की चार यूनिट स्थापित की गई है और पाँचवे की तैयारी है. चार फैक्ट्री में करीब 750 गरीब महिलाओं को रोजगार देकर उनकी जीवन स्तर को सुधारा जा रहा है. फैक्ट्री के कपड़ों का ब्रांड DANNEX नाम से रजिस्टर्ड किया गया है. डैनेक्स’ यानी दंतेवाड़ा नेक्स्ट.
  
देशभर के बाजारों में बिक रहे हैं डैनेक्स के कपड़े
छत्तीसगढ़ में सरेंडर कर चुके नक्सली अब नक्सल पीड़ित परिवारों के साथ मिलकर डैनेक्स टेक्सटाइल प्रिंटिंग फैक्ट्री चला रहें है. यहां ये सब मिलकर ब्रांडेड कपड़ा कंपनियों के लिए कपड़ों पर प्रिंटिंग का काम कर रहें है. यहां से प्रिंट हुए कपड़े और सिलाई के बाद विभिन्न माध्यमों से देशभर के बाजार में भेजे जा रहे हैं. जिससे नक्सल गढ़ की महिलाएं सशक्त हो रहीं है. यह छत्तीसगढ़ की पहली ऐसी फैक्ट्री है, जिसका जिम्मा नक्सल पीड़ित परिवारों और सरेंडर नक्सलियों के हाथों में है. यहां सरेंडर कर चुके 100 नक्सलियों को रोजगार मिला है. दंतेवाड़ा के कलेक्टर दीपक सोनी की मानें तो डैनेक्स टेक्सटाइल से महिला शसक्तीकरण के लिये बेहतर काम हो रही है.

बेरोजगारी रोकने में मिलेगी मदद 
फैक्ट्री की पहली इकाई जिले के गीदम ब्लॉक और दूसरी इकाई बारसूर में स्थापित हो चुकी है. कटेकल्याण और कारली में फैक्ट्री सेटअप का काम जारी है. प्रशासन का मानना है कि दंतेवाड़ा जिले में गारमेंट हब स्थापित होने से बेरोजगार युवाओं का माओवादियों के प्रति झुकाव रोकने में भी मदद मिलेगी. प्रशासन का कहना है कि फैक्ट्री में काम कर रहीं सभी महिलाएं गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) जीवन यापन करने वाली हैं, जिन्हें सिलाई और टेलरिंग का काम पहले से आता था. लेकिन उनके पास रोजगार का कोई स्थायी साधन नहीं था. साथ ही उन्हें कपड़ों के औद्योगिक उत्पादन की कोई जानकारी नहीं थी. जिसका अब उनको प्रशिक्षण देकर उनसे उत्पादन भी लिया जा रहा है.

सुधर रहा है महिलाओं का जीवन स्तर
डैनेक्स’ फैक्ट्री के खुलने और महिलाओं को रोजगार मिलने से उनके जीवन स्तर में काफी सुधार हो रहा है. कई महिलाओं ने स्कूटी तक खरीद ली और कईयों ने तो गांव में मिल रही तनख्वाह से अपने पति के लिए किराने की दुकानें भी खोल लीं है. फैक्ट्री में जिनके छोटे बच्चे हैं, उनके बच्चों लिये प्ले रूम भी बनाया गया है. यहाँ काम कर रही महिलाओं को शुरुवाती सैलरी 7 हजार रुपये प्रतिमाह दी जा रही है. वहीं परफॉर्मेंस अच्छा रहने पर 15 हजार तक मासिक सैलरी दी जा रही है. दंतेवाड़ा जिला प्रशासन महिलाओं के सशक्तीकरण के लिये हरसंभव प्रयास में जुटा है.

Myntra पर बिक रहे हैं 'डैनेक्स' के कपड़े
नवा दंतेवाड़ा गारमेंट्स फैक्ट्री की परिकल्पना दंतेवाड़ा जिले में गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वालों के आर्थिकी में सुधार लाने के लिए जिला प्रशासन ने ‘एक व्यक्ति एक परिवार, गरीबी उन्मूलन का होगा सपना साकार ‘ अभियान से हुई. प्रशासन ने पहले एक सर्वे के माध्यम से महिलाओं को चिन्हित किया और फिर उनकी दक्षता के उचित उपयोग के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम बनाया गया. 45 दिन के प्रशिक्षण बाद इन महिलाओं को सीधे फैक्ट्री में काम पर लगवा दिया गया. वर्तमान में करीब 750 महिलाएं काम कर रही हैं. 'डैनेक्स' ने अब तक 30 करोड़ का उतपादन कर लिया है, जबकि लगभग 50 करोड़ का ऑर्डर करना शेष है. देश की बड़ी-बड़ी कंपनियां 'डैनेक्स' के साथ जुड़ रही है. यहां तक मिंत्रा की साइट पर ‘डैनेक्स’ दंतेवाड़ा के कपड़े बिक रहे हैं. बस्तर में तैनात सीआरपीएफ और अन्य पैरामिलिट्री फोर्स की तरफ से भी गारमेंट फैक्ट्री को वर्दियां और अन्य कपड़े सिलने के ऑर्डर मिल रहे हैं.