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छत्तीसगढ़ के बस्तर में आजादी का नया सवेरा! 29 नक्सल प्रभावित गांवों में पहली बार लहराया तिरंगा

स्वतंत्रता दिवस के इस आयोजन ने यह साबित कर दिया कि बदलाव संभव है, बशर्ते इच्छाशक्ति और रणनीति सही हो. इन गांवों में तिरंगा लहराना केवल एक समारोह नहीं, बल्कि नक्सलवाद के खिलाफ जीत और लोकतंत्र की ताकत का प्रतीक है.

नक्सल प्रभावित गांव नक्सल प्रभावित गांव

छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग के लिए इस बार का 15 अगस्त इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गया. आजादी के 78 साल बाद, धुर नक्सल प्रभावित 29 गांवों में पहली बार स्वतंत्रता दिवस पर ध्वजारोहण हुआ. दशकों तक नक्सली प्रभाव और विकास की कमी के कारण इन इलाकों में न तो राष्ट्रीय पर्व मनाए जाते थे, न ही सरकारी कार्यक्रम होते थे. लेकिन अब तस्वीर बदल रही है.

इन गांवों में पुलिस कैंपों की स्थापना, सुरक्षा बलों की सतत मौजूदगी और प्रशासन की कोशिशों से माहौल में बड़ा बदलाव आया है. इस साल स्वतंत्रता दिवस के मौके पर इन कैंपों और गांवों में तिरंगा फहराया गया, और स्थानीय लोग पूरे उत्साह के साथ इस ऐतिहासिक पल के गवाह बने.

नक्सलियों का दबदबा और दशकों का अंधेरा

बस्तर संभाग के अंदरूनी इलाकों में लोग वर्षों से नक्सलवाद का दंश झेलते आ रहे थे. प्रशासन और सरकारी योजनाओं की पहुंच यहां तक नहीं हो पाती थी. नक्सली इन इलाकों में स्वतंत्रता दिवस को ‘झूठी आजादी’ बताकर विरोध करते थे. कई बार तो वे काले झंडे फहराकर अपना विरोध दर्ज कराते थे.

इस माहौल में ग्रामीण भय और असुरक्षा के साये में जीते थे. राष्ट्रीय पर्व मनाना तो दूर, भारतीय तिरंगा लहराना भी यहां असंभव था.

बदलते हालात और बढ़ता विश्वास

वर्ष 2024 के बाद से हालात तेजी से बदले हैं. सुरक्षा बलों ने लगातार अंदरूनी इलाकों में पुलिस कैंप स्थापित किए हैं. इसके साथ ही सड़क, बिजली, मोबाइल नेटवर्क और अन्य बुनियादी सुविधाओं का विस्तार किया गया है. छत्तीसगढ़ सरकार की ‘नेल्लानार योजना’ ने इन गांवों तक विकास की किरण पहुंचाई है.

सुकमा के एसपी किरण चौहान ने बताया, "लगातार अंदरूनी इलाकों में पुलिस कैंप स्थापित किए जा रहे हैं. मोबाइल टावर से लेकर सड़क और बिजली जैसी सुविधाएं पहुंचाई जा रही हैं. नेल्लानार योजना के तहत ग्रामीणों को हर बुनियादी सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है. इस बार कई गांवों में पहली बार तिरंगा फहराया गया, जिससे ग्रामीणों में गजब का उत्साह है."

इन गांवों में पहली बार फहराया तिरंगा

नारायणपुर जिले के- होरादी, गारपा, कच्चपाल, कोड़लियार, कुतुल, बड़ेमाकोटी, पद्मकोट, कांदुलनार, नेलांगुर, पांगुर, रायनार.

सुकमा जिले के रायगुडेम, तूमालपाड़, गोलाकुंडा, गोंमगुडा, मेट्टागुडा, उसकावाया, मुलकातोंग.

बीजापुर जिले के कोंडापल्ली, जीडापल्ली, वातेबागू, कर्रेगुट्टा, पीडिया, गूंजेपर्ती, पुजारी कांकेर, भीमारम, कोरचोली, कोटपल्ली.

इन गांवों में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर न केवल पुलिस कैंपों में बल्कि स्थानीय स्तर पर भी ध्वजारोहण हुआ. बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, सभी ने तिरंगे के नीचे खड़े होकर राष्ट्रगान गाया.

बदलाव की रीढ़

छत्तीसगढ़ सरकार की नेल्लानार योजना का उद्देश्य राज्य के नक्सल प्रभावित जिलों- बीजापुर, सुकमा, कांकेर, दंतेवाड़ा और नारायणपुर, में विकास कार्यों को बढ़ावा देना है. यह योजना बुनियादी ढांचा, शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी और संचार सुविधाएं पहुंचाने पर केंद्रित है.

इस योजना के चलते न केवल ग्रामीणों का जीवन स्तर बेहतर हो रहा है, बल्कि उनका विश्वास भी शासन-प्रशासन में बढ़ा है.

देशभक्ति का जश्न और सुरक्षा का भरोसा

स्वतंत्रता दिवस के इस आयोजन ने यह साबित कर दिया कि बदलाव संभव है, बशर्ते इच्छाशक्ति और रणनीति सही हो. इन गांवों में तिरंगा लहराना केवल एक समारोह नहीं, बल्कि नक्सलवाद के खिलाफ जीत और लोकतंत्र की ताकत का प्रतीक है.

सुरक्षा बलों और प्रशासन का मानना है कि ऐसे आयोजनों से ग्रामीणों में राष्ट्र के प्रति गर्व और आत्मीयता बढ़ती है, जिससे नक्सली विचारधारा कमजोर पड़ती है.

(धर्मेंद्र सिंह की रिपोर्ट)