
असम व मेघालय के बीच चल रहा 50 साल पुराना सीमा विवाद खत्म हो गया है. मंगलवार को दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने एक समझौते पर हस्ताक्षर भी कर दिए हैं, और इसी के साथ ये विवाद कई हद तक खत्म हो गया है. सीमा की लम्बाई से देखें तो अभी तक 70 प्रतिशत सीमा आज विवाद मुक्त हुई है. इस मौके पर देश के गृह मंत्री अमित शाह, असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा और मेघालय के सीएम कोनराड संगमा भी मौजूद रहे.
गृह मंत्री ने दी दोनों राज्यों को बधाई
प्रेस कांफ्रेंस में केंद्रीय ग्रह मंत्री अमित शाह ने कहा, “मैं जब से गृह मंत्री बना तब से मेरा आग्रह था कि इसे सुलझाया जाए. आज मुझे ख़ुशी है कि जो 12 पॉइंट्स डिस्प्यूटेड थे उनमें से 6 पॉइंट्स पर असम और मेघालय का समझौता हुआ है. सीमा की लम्बाई के हिसाब से देखें तो 70 प्रतिशत सीमा आज विवाद मुक्त हो गई है. बाकि के 6 विवादित पॉइंटंस भी हम जल्द ही सुलझा देंगे.”
उन्होंने आगे कहा कि जबतक पूरा सीमा विवाद नहीं सुलझता तब तक असम और मेघालय का विकास नहीं हो सकता है. आज ये बहुत बड़ा काम हुआ है. मैं दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों को बधाई देता हूं और उनका धन्यवाद भी देता हूं.
क्या है पूरा असम-मेघालय विवाद?
दरअसल, लंबे समय से असम और मेघालय का सीमा विवाद चल रहा है. इसपर काफी समय से दोनों राज्यों की बातचीत भी चल रही है. इन दोनों के बीच कुल 884.9 किलोमीटर का बॉर्डर है जिसमें 12 ऐसे क्षेत्र हैं जो डिस्प्यूटेड यानि विवादित हैं. ये विवाद तभी से है जब से इन दोनों का विभाजन हुआ है. बता दें, साल 1972 में मेघालय को असम से अलग कर दिया गया था. जिसके बाद इसने असम पुनर्गठन अधिनियम, 1971 को चुनौती दी थी. ये दोनों राज्य 884.9 किलोमीटर लंबी सीमा शेयर करते हैं, जिसमें अलग-अलग 12 क्षेत्रों से जुड़े विवाद पैदा हुए थे.
इन 12 विवादित क्षेत्रों में ऊपरी ताराबारी, गजांग रिज़र्व फॉरेस्ट, हाहिम, लंगपीह, बोरदुआर, बोकलापारा, नोंगवा, मातमूर, खानापारा-पिलंगकाटा, देशदेमोरिया ब्लॉक I और ब्लॉक II, खंडुली और रेटाचेरा शामिल हैं.
दोनों राज्यों ने बनाई हुई है कमिटी
हालांकि, इन विवादित क्षेत्रों के मसले को सुलझाने के लिए असम और मेघालय कमिटी बनाई गई है. यही नहीं इन दोनों के बीच सीमा विवाद के कारण पहले कई हिंसा की घटनाएं भी हो चुकी हैं. 14 मई 2010 को असम के कामरूप जिले की सीमा से सटे लंगपीह में हिंसा की घटना देखी गई थी. इसमें असम पुलिस के जवानों द्वारा कथित रूप से गोलीबारी की गई थी, जिसमें खासी समुदाय के चार ग्रामीणों की मौत हो गई थी, जबकि 12 अन्य घायल हो गए थे.
आज जिन 6 विवादित क्षेत्रों के लिए हस्ताक्षर किए गए हैं, उनमें ताराबारी, गजांग रिज़र्व फॉरेस्ट, हाहिम, बोकलापारा, खानापारा-पिलंगकाटा और रेटाचेरा शामिल हैं.