
भारत में 60 लाख से अधिक दृष्टिहीन लोग जल्द ही अपनी दवाइयों की जानकारी QR कोड और वॉइस असिस्टेंस के ज़रिए सुन सकेंगे. अभी तक जहां केवल उनके लिए ब्रेल लेबलिंग की जाती थी. सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (CDSCO) ने दवा पैकेजिंग पर ब्रेल के साथ-साथ वॉइसओवर से जुड़ा QR कोड अनिवार्य करने का प्रस्ताव रखा है.
क्यों जरूरी है यह कदम?
दृष्टिहीन मरीज दवा की पहचान, नाम और एक्सपायरी डेट जैसी अहम जानकारियां नहीं पढ़ पाते. इसके चलते उन्हें दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता है. इसी समस्या को दूर करने के लिए CDSCO ने यह प्रस्ताव पेश किया है और अब इस पर से सुझाव मांगे गए हैं.
क्या कहना है ड्रग कंट्रोलर का
ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) डॉ. राजीव सिंह रघुवंशी ने 9 सितंबर को कहा कि यह कदम बेहतर एक्सेसिबिलिटी और मरीजों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में काफी अहम है.
प्रस्ताव की शुरुआत और सिफारिशें
यह मुद्दा पहली बार जुलाई 2020 की 58वीं ड्रग्स कंसल्टेटिव कमेटी (DCC) बैठक में उठाया गया था. इसके बाद एक सब-कमेटी बनाई गई, जिसने इस साल जून में अपनी सिफारिशें दीं. सिफारिश में कई बातें शामिल थी जैसे ब्रेल लेबलिंग को दवा पैकिंग पर स्वेच्छा से लागू करना, 10 से अधिक यूनिट वाली पैकिंग में ज़रूरत पड़ने पर ब्रेल कार्ड देना, QR कोड के साथ वॉइस असिस्टेंस की सुविधा अनिवार्य करना.
विशेषज्ञों की राय
डॉ. संजीव गुप्ता, डायरेक्टर और वरिष्ठ नेत्र शल्य चिकित्सक, आई केयर सेंटर, नई दिल्ली ने कहा कि QR कोड के जरिए वॉइस असिस्टेंस मरीजों को रियल-टाइम में डोज़, एक्सपायरी डेट और सेफ्टी इंस्ट्रक्शन बताएगा. यह दृष्टिहीन लोगों को स्वतंत्र बनाएगा, दवा त्रुटियों को कम करेगा और मरीजों की सुरक्षा बढ़ाएगा. यह सिर्फ तकनीक नहीं है, बल्कि गरिमा और समावेशी स्वास्थ्य सेवा का प्रतीक है.