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सिख यात्रियों के लिए गुड न्यूज़! अब कृपाण के साथ कर सकेंगे हवाई सफर, मंत्रालय ने जारी किए नए दिशा-निर्देश

नागरिक उड्डयन मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के मुताबिक, सिख पैसेंजर कृपाण के साथ हवाई यात्रा कर सकते हैं. हालांकि, इसके लिए कुछ शर्तें भी रखी गई हैं. इनके अनुसार, कृपाण का ब्लेड 15.24 सेंटीमीटर (6 इंच) से बड़ा नहीं होना चाहिए, और पूरे कृपाण की लंबाई 9 इंच से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. 

सिख यात्रियों के लिए गुड न्यूज़ सिख यात्रियों के लिए गुड न्यूज़
हाइलाइट्स
  • कृपाण का ब्लेड 6 इंच से बड़ा नहीं होना चाहिए

  • इसकी जानकारी बीजेपी नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने ट्वीट करके दी है

अगर आप सिख हैं और फ्लाइट में यात्रा करने की सोच रहे हैं, तो आपके लिए गुड न्यूज है. अब सिख यात्री कृपाण के साथ हवाई सफर कर सकेंगे. इसकी इजाजत भारत के अंदर चलने वाली सभी फ्लाइट्स में दी जा रही है. सोमवार को नागरिक उड्डयन मंत्रालय की तरफ से इसके लिए दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं. बीजेपी नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने ट्वीट करके इसकी जानकारी दी है. 

कृपाण की लंबाई 9 इंच से ज्यादा न हो 

नागरिक उड्डयन मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के मुताबिक, सिख पैसेंजर कृपाण के साथ हवाई यात्रा कर सकते हैं. हालांकि, इसके लिए कुछ शर्तें भी रखी गई हैं. इनके अनुसार, कृपाण का ब्लेड 15.24 सेंटीमीटर (6 इंच) से बड़ा नहीं होना चाहिए, और पूरे कृपाण की लंबाई 9 इंच से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. 

नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो ने कहा कि भारत के अंदर विमानों में हवाई यात्रा करते हुए इसकी अनुमति दी जा रही है. बता दें, इससे पहले के आदेश में सिख कर्मचारियों को कृपाण पहनने की इजाजत नहीं थी. लेकिन अब नए वाले आदेशों में इस क्लॉज को हटा दिया गया है.

सिख कर्मचारी को रोका गया था ड्यूटी करने से 

हाल ही में, कृपाण पहने एक सिख कर्मचारी को अमृतसर के श्री गुरु राम दास जी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर अपनी ड्यूटी करने से रोक दिया गया था. जिसके बाद शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने सिख कर्मचारियों को कृपाण पहनने से रोकने के नियम को खारिज करते हुए मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को पत्र लिखा था. उन्होंने अपने पत्र में लिखा था, “उनके अपने देश में, यह भेदभाव सिखों की धार्मिक स्वतंत्रता पर एक बड़ा हमला है. केंद्र को यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि सिख इस देश की आजादी के लिए बलिदान देने में सबसे आगे रहे हैं और अगर देश की संस्कृति आज भी जीवित है, तो यह सिखों के कारण है.”