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पर्यावरण को बचाने के लिए ओडिशा सरकार का सराहनीय कदम, वनरोपण के लिए बनाया 26,000 एकड़ का लैंड बैंक

इसके लिए जिन जिलों की पहचान की गई है, वे हैं - क्योंझर, सुंदरगढ़, बोलनगीर, जाजपुर, मयूरभंज, बालासोर, संबलपुर, अंगुल, कटक, ढेंकनाल, गंजम, जगतसिंहपुर, झारसुगुड़ा, मलकानगिरी, नबरंगपुर, नुआपाड़ा, सुबरनपुर और नयागढ़. आदिवासी बहुल क्योंझर जिला एक महीने में करीब 10,800 एकड़ जमीन की पहचान के साथ सूची में सबसे ऊपर है.

जनवरी, 2022 के दौरान 18 जिलों में लगभग 26,500 एकड़ राजस्व वन भूमि की पहचान की गई है. जनवरी, 2022 के दौरान 18 जिलों में लगभग 26,500 एकड़ राजस्व वन भूमि की पहचान की गई है.
हाइलाइट्स
  • मार्च 2022 तक 50,000 एकड़ करने का लक्ष्य

  • भूमि आवंटन के लिए अपर मुख्य सचिव होंगे नोडल अधिकारी

  • 2000 परिवारों को  मिलेगा लाभ

वन हमारे पृथ्वी के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं. इनसे हमें जरूरत की कई चीजें जैसे लकड़ी, कागज, रबड़ और जीने के लिए सबसे जरूरी ऑक्सीजन मिलता है. इन वनों का अस्तित्व बनाए रखने के लिए ओडिशा सरकार ने एक अहम कदम उठाया है. आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक ओडिशा सरकार ने राज्य भर में ‘कम्पेन्सेटरी अफॉरेस्टेशन’ (सीए) यानी प्रतिपूरक वनरोपण के लिए लगभग 26,000 एकड़ भूमि का एक लैंड बैंक बनाया है. राजस्व एवं आपदा प्रबंधन के अपर मुख्य सचिव एस साहू ने बुधवार को यहां मुख्य सचिव एस सी महापात्र की अध्यक्षता में हुई बैठक में बताया कि जनवरी, 2022 के दौरान 18 जिलों में लगभग 26,500 एकड़ राजस्व वन भूमि की पहचान की गई है.

मार्च 2022 तक 50,000 एकड़ करने का लक्ष्य

इसके लिए जिन जिलों की पहचान की गई है, वे हैं - क्योंझर, सुंदरगढ़, बोलनगीर, जाजपुर, मयूरभंज, बालासोर, संबलपुर, अंगुल, कटक, ढेंकनाल, गंजम, जगतसिंहपुर, झारसुगुड़ा, मलकानगिरी, नबरंगपुर, नुआपाड़ा, सुबरनपुर और नयागढ़. उन्होंने कहा कि आदिवासी बहुल क्योंझर जिला एक महीने में करीब 10,800 एकड़ जमीन की पहचान के साथ सूची में सबसे ऊपर है. उन्होंने कहा कि मार्च 2022 तक लैंड बैंक का आकार बढ़ाकर 50,000 एकड़ करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था. एक साल के भीतर इसके लैंड बैंक के लिए 1 लाख एकड़ जमीन लाने का फैसला किया गया है.

भूमि आवंटन के लिए अपर मुख्य सचिव होंगे नोडल अधिकारी

बैठक में निर्णय लिया गया कि वनरोपण के भूमि आवंटन के लिए राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के अपर मुख्य सचिव नोडल अधिकारी होंगे. विकास परियोजनाओं की क्रियान्वयन एजेंसियां ​​भूमि बैंक से वनरोपण के लिए भूमि के सीमांकन के लिए संबंधित जिले के अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट (राजस्व) से संपर्क करेंगी. भुवनेश्वर विकास प्राधिकरण (बीडीए) और ओडिशा राज्य आवास बोर्ड (ओएसएचबी) के आवास क्षेत्रों में पुराने वन मुद्दों को यहां एक उच्च स्तरीय बैठक में हल किया गया था.

2000 परिवारों को  मिलेगा लाभ

1970 के दशक से राज्य की राजधानी में बरमुंडा, पाइकानगर, काना विहार और जयदेव विहार क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की समस्याओं के विभिन्न आयामों को ध्यान में रखते हुए, महापात्र ने बीडीए को वन डायवर्जन प्रस्तावों को एक महीने में पूरा करने का निर्देश दिया था. उन्होंने डायवर्ट की जाने वाली वन भूमि पर ‘कम्पेन्सेटरी अफॉरेस्टेशन’ यानी वनरोपण करने के भी निर्देश दिए. एडीएम कटक और डीएफओ अठागढ़ को राजस्व और आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा पहले से ही चिन्हित भूमि में से सीए के लिए भूमि का सीमांकन करने के लिए कहा गया था. अधिकारियों के अनुसार इस योजना से 2000 परिवारों को लाभ मिलेगा.