
भारत ने 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकियों के नौ ठिकानों का खात्मा कर दिया है. इसके लिए भारतीय सेना ने खास अभियान चलाया, जिसका नाम रखा गया- 'ऑपरेशन सिंदूर.' इस ऑपरेशन के तहत मिसाइल स्ट्राइक करके आतंकवादियों का खात्मा किया गया. इस अभियान का नाम सुनकर भारतीयों का मन गर्व से भर गया तो वहीं पाकिस्तान समेत कई देशों के लोग सिंदूर का मतलब गूगल पर सर्च कर रहे थे.
आपको बता दें कि इस ऑपरेशन का नाम ऑपरेशन सिंदूर रखने के पीछे की वजह बहुत ही खास और मार्मिक है. पहलगाम आतंकी हमले में कई विवाहित महिलाओं का सुहाग उजड़ गया था, इसलिए सरकार ने इस अभियान का नाम "ऑपरेशन सिंदूर" रखा है. इस नाम के पीछे की भावना को स्पष्ट करते हुए सरकार ने बताया कि यह उन महिलाओं के उजड़े सिंदूर का प्रतीक है, जिनके पति आतंकियों की गोलीबारी में उनकी आंखों के सामने मारे गए. इस हमले में एक नेपाली नागरिक सहित कुल 26 लोगों की जान चली गई.
हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब भारतीय सेना और सरकार ने अपने अभियान का कोई खास नाम रखा है. इससे पहले भी बहुत से सैन्य ऑपरेशन्स के अलग-अलग नाम रहे हैं और इनके पीछे की कहानी भी दिलचस्प है.
ऑपरेशन बंदर (2019)
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में CRPF के काफिले पर हुए आत्मघाती आतंकी हमले के बाद भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में घुसकर एयरस्ट्राइक की थी. इस कार्रवाई में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया. इस मिशन को “ऑपरेशन बंदर” नाम दिया गया था. माना जाता है कि यह नाम भगवान हनुमान से प्रेरित होकर रखा गया था—जैसे हनुमान ने लंका में घुसकर लंकादहन किया था, उसी तरह भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान की सीमा में दाखिल होकर आतंकी ठिकानों पर हमला किया।
रक्षा सूत्रों के अनुसार, फरवरी 2019 में यह ऑपरेशन बेहद गुप्त तरीके से अंजाम दिया गया था और इसकी गोपनीयता बनाए रखने के लिए ही इसे “ऑपरेशन बंदर” का नाम दिया गया. यह अभियान इतना गोपनीय था कि पाकिस्तान को इसकी जानकारी तब तक नहीं हुई, जब तक भारतीय मिराज लड़ाकू विमान हमले को सफलतापूर्वक अंजाम देकर सुरक्षित वापस भारत नहीं लौट आए. बता दें कि पुलवामा हमले में सीआरपीएफ के 40 से अधिक जवान शहीद हुए थे. उसी हमले के जवाब में भारतीय वायुसेना ने बालाकोट में एयरस्ट्राइक की थी. इस कार्रवाई में लगभग 250 आतंकियों के मारे जाने का दावा किया गया.
ऑपरेशन ब्लैक टॉरनेडो (2008)
26 नवंबर 2008 को मुंबई में आतंकी हमला हुआ. छत्रपति शिवाजी टर्मिनस पर लोगों पर गोलियां बरसाने के बाद आतंकियों ने ताज होटल, ऑबरॉय ट्राईडेंट और चाबाड हाउस (नरीमन हाउस) को निशाना बनाया. आतंकियों का सफाया करने के लिए नेशनल सिक्योरिटी गार्ड्स को आदेश दिया गया. एनएसजी के डीआईजी (ऑपरेशन्स एंड ट्रेनिंग) गोविन्द सिंह सिसोदिया ने पूरे ऑपरेशन को "ब्लैक टॉरनैडो "का नाम दिया. ऑपरेशन ब्लैक टॉरनेडो के नाम के पीछे वजह एनएसजी की ड्रेस का काले रंग यानी ब्लैक होना है. साथ ही, टॉरनेडो का मतलब होता है विनाशकारी तुफान, जो कहीं न कहीं एनएसजी की कार्यवाई को दर्शाता है. इस ऑपरेशन के तहत एनएसजी ने 10 आतंकियों में से नौ का खात्मा कर दिया था.
ऑपरेशन विजय (1999)
पाकिस्तान की सेना ने 5 मई 1999 को भारत के पांच सैनिकों की हत्या कर दी थी, जिसके जवाब में भारतीय सेना ने 10 मई 1999 को 'ऑपरेशन विजय' की शुरुआत की. इस युद्ध के दौरान भारतीय सेना के साहसी जवानों ने भारतीय वायुसेना के सहयोग से बेहद मुश्किल भू-भाग, दुर्गम पहाड़ियों और प्रतिकूल मौसम की चुनौतियों को पार करते हुए दुश्मनों पर विजय हासिल की, जिन्होंने ऊंचाई पर स्थित भारतीय पोस्टों पर कब्जा कर लिया था. ये पोस्टें दरअसल भारत की ही थीं, जिन्हें एक पूर्व समझौते के तहत अस्थायी रूप से खाली किया गया था.
हालांकि, पाकिस्तान ने इस स्थिति का फायदा उठाते हुए खाली पड़े बंकरों पर कब्जा जमा लिया. स्थानीय लोगों की मदद से भारतीय सेना को पता चला कि इन बंकरों में मौजूद लोग भारतीय नहीं हैं. यहीं से कारगिल संघर्ष की शुरुआत हुई, जिसे 'ऑपरेशन विजय' के नाम से अंजाम दिया गया. बताया जाता है कि ऑपरेशन का नाम विजय इसलिए रखा गया ताकि सैनिकों के जहन में सिर्फ जीत का जुनून रहे और करीब दो महीने तक चले इस संघर्ष में भारतीय सेना ने यह साबित भी किया. सेना ने 20 जून 1999 को टाइगर हिल पर 11 घंटे तक चली भीषण लड़ाई के बाद प्वाइंट 5060 और प्वाइंट 5100 पर नियंत्रण हासिल कर लिया.
इसके बाद, अमेरिका के राष्ट्रपति बिल क्लिंटन से मुलाकात के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने 5 जुलाई 1999 को अपनी सेना को पीछे हटने का आदेश दिया. पाकिस्तानी सेना के हटने के बाद भारतीय सेना ने 11 जुलाई को बटालिक की ऊंची पहाड़ियों पर भी अपना कब्जा जमा लिया. अंततः 14 जुलाई 1999 को भारतीय सेना ने 'ऑपरेशन विजय' की सफलता की औपचारिक घोषणा की. 26 जुलाई 1999 को कारगिल युद्ध पूरी तरह समाप्त हुआ और इसी दिन को भारत में 'कारगिल विजय दिवस' के रूप में मनाया जाता है.
ऑपरेशन मेघदूत (1984)
ऑपरेशन मेघदूत भारतीय सेना द्वारा 13 अप्रैल 1984 को शुरू किया गया एक ऐतिहासिक सैन्य अभियान था, जिसके माध्यम से दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन ग्लेशियर पर सफलतापूर्वक नियंत्रण स्थापित किया गया. यह अभियान पाकिस्तान के "ऑपरेशन अबाबील" को विफल करने और सियाचिन क्षेत्र में सामरिक बढ़त हासिल करने के उद्देश्य से चलाया गया था.
इस ऑपरेशन के तहत भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना से पहले रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण ऊंची चोटियों पर कब्जा कर लिया. इस निर्णायक कदम के बाद भारत ने पूरे सियाचिन ग्लेशियर पर नियंत्रण प्राप्त कर लिया, जो आज तक बरकरार है.
ऑपरेशन का नाम “मेघदूत” इसलिए रखा गया क्योंकि यह मिशन सियाचिन ग्लेशियर पर केंद्रित था, जो पृथ्वी का सबसे ऊंचा और बादलों से घिरा इलाका है. “मेघदूत” का अर्थ है “बादलों का संदेशवाहक,” जो इस क्षेत्र की भौगोलिक विशेषताओं और मौसम की स्थितियों को प्रतीकात्मक रूप से दर्शाता है.