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कथक नृत्यांगना उमा शर्मा को सुमित्रा चरत राम अवॉर्ड से किया गया सम्मानित

श्रीराम भारतीय कला केंद्र की तरफ से आयोजित एक समारोह में कथक की दिग्गज कलाकार, पद्म भूषण डॉ. उमा शर्मा को सुमित्रा चरत राम लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया. जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल कर्ण सिंह ने गुरुवार को उनको यह सम्मान दिया. इस दौरान उस्ताद अमजद अली खान (पद्म विभूषण) भी मौजूद रहे.

Kathak dancer Uma Sharma Kathak dancer Uma Sharma
हाइलाइट्स
  • 2010 से दिया जा रहा सुमित्रा चरत राम लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड

पद्म भूषण डॉ उमा शर्मा एक कथक नृत्यांगना, कोरियोग्राफर और शिक्षिका हैं. उन्होंने जयपुर घराने के गुरु हीरालालजी और गिरवर दयाल से नृत्य की शिक्षा ली. उमा शर्मा ने कथक परंपरा के विख्यात गुरु शंभू महाराज और बिरजू महाराज से कथक की शिक्षा ली है. उमा शर्मा को 1973 में वह भारत सरकार द्वारा पद्मश्री और 2001 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया. ऐसा करने वाली वह  सबसे कम उम्र की नर्तकी बनी थी. उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार और साहित्य कला परिषद पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है. वहीं उन्हें  भारतीय कथक नृत्य में उनके महान योगदान के लिए अखिल भारतीय विक्रम परिषद, काशी द्वारा सृजन मनीषी की उपाधि से सम्मानित किया जा चुका है. 

पद्म भूषण डॉ उमा शर्मा को गुरुवार को श्रीराम भारतीय कला केंद्र में आयोजित एक समारोह में लाइफटाइम अचीवमेंट के लिए 'सुमित्रा चरत राम अवॉर्ड' से सम्मानित किया गया. इस दौरान उमा शर्मा ने कहा कि मैं अपने पहले प्रेम, कथक के क्षेत्र में अपने प्रयासों के लिए पहचाने जाने पर सम्मानित महसूस कर रही हूं. इस तरह के नृत्य के लिए मेरा जुनून ही है जिसने मुझे इसे पीढ़ियों तक ले जाने और इसे विकसित करने में मदद की है. लाइफटाइम अचीवमेंट के लिए सुमित्रा चरत राम पुरस्कार प्राप्त करना आज मेरे विश्वास को और भारत में कथक के उज्ज्वल भविष्य में मेरे विश्वास की पुष्टि करता है. 

Kathak dancer Uma Sharma
Kathak dancer Uma Sharma

उमा शर्मा को लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल कर्ण सिंह ने दिया. इस दौरान गेस्ट ऑफ ऑनर, उस्ताद अमजद अली खान (पद्म विभूषण) की उपस्थिति थे. श्रीराम भारतीय कला केंद्र ने लाइफटाइम अचीवमेंट के लिए यह पुरस्कार देने की शुरुआत 2010 में की हुई थी. इसका उद्देश्य श्रीमती सुमित्रा चरत राम (1914-2011) द्वारा स्वतंत्रता के बाद के भारत में सांस्कृतिक पुनरुद्धार के अग्रदूत के रूप में दिए गए विशेष योगदान का सम्मान करना है.