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सरकारी स्कूलों में बच्चों पर अभिभावक रखेंगे कैमरे से नजर, साइबर एक्सपर्ट्स को है किस बात का डर

दिल्ली सरकार ने अब स्कूलों में सीसीटीवी कैमरे की फीड अभिभावकों को देने के लिए कहा है. हालांकि साइबर एक्सपर्ट इसे खतरे की नजर से देख रहे हैं. उनका कहना है कि इससे बच्चों की प्राइवेसी पर फर्क पड़ेगा

सीसीटीवी (Image: जो गड्डो) सीसीटीवी (Image: जो गड्डो)
हाइलाइट्स
  • डार्क नेट पर जा सकता है बच्चों का डेटा

  • बच्चों की प्राइवेसी पर मंडरा रहा खतरा

जब से दिल्ली के सरकारी स्कूलों में सीसीटीवी कैमरे की फीड अभिभावकों को देने के बारे में कहा गया तब से साइबर एक्सपर्ट इसे खतरे की नजर से देख रहे हैं. उनका कहना है कि ये कदम बच्चों की प्राइवेसी के लिए एक बड़ा खतरा हो सकता है.

डार्क नेट पर जा सकता है बच्चों का डेटा
साइबर एक्सपर्ट पवन दुग्गल ने कहा कि ये कदम उद्देश्य में बहुत अच्छा कदम है. लेकिन इससे निजता के अधिकार के हनन, साइबर सुरक्षा में सेंध, बच्चों की सुरक्षा में सेंध की समस्य़ा आ जाएगी और बच्चों की निजता के अधिकार का हनन संविधान और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है. अभिभावक सीसीटीवी के फीड का बेवजह इस्तेमाल नहीं करेगा इसकी क्या गारंटी है. अगर वो फीड डार्क नेट पर आ गई तो उसका नकारात्मक असर बच्चों पर पड़ेगा. यानि साफ है सीसीटीवी कैमरा की साइबर सुरक्षा में सेंध लगाई जा सकती है. जब तक बच्चों की प्राइवेसी के संरक्षण के प्रति साफ लीगल रेगुलेशन ना हों तब तक  कदम चुनौती भरा हों. 

साइबर सिक्योरिटी है बड़ा मुद्दा 
साइबर एक्सपर्ट, अनुज अग्रवाल का कहना है कि CCTV फुटेज के लाइव फीड को माता-पिता को भेजने का प्रयास खतरों से भरा हुआ है. यह बहुत ही मुश्किल होगा कि वह सही व्यक्ति तक पहुंचे. आज जबकि बड़े-बड़े सिक्योर नेटवर्क, कॉरपोरेट और सरकारी संस्थानों में साइबर खतरे से सेंध लगा रहे हैं. ऐसे में उन अभिभावकों को सीसीटीवी फुटेज का साइबर सिक्योर इस्तेमाल करने के बारे में सोचना बहुत मुश्किल है. इसमें बच्चों की निजता, उनकी संपूर्ण सुरक्षा, गोपनीयता और शिक्षा के माहौल में शिक्षकों पर बढ़ रहे दबाव से कुल मिलाकर यह योजना खतरे की घंटी ही साबित हो रही है.  

बच्चों की प्राइवेसी पर मंडरा रहा खतरा
एथिकल हैकर सनी आर्या का दावा है कि हैकर्स वेबकैम को एक्सेस कर सकते हैं. कई ऐप्स और वेबसाइट वलनरेबल हैं. अगर किसी ने सीसीटीवी सर्वर का रूट एक्सेस कर सभी की एक्टिविटी मॉनिटर कर ली तो बहुत बड़ी समस्या हो सकती है.  सरकार को इस एप्लीकेशन को बहुत अच्छे से टेस्ट कराना होगा. अगर कोई क्रिटिकल सिक्योरिटी लूप होल मिला तो इतने सारे बच्चों को प्राइवेसी रिस्क पर हो जाएगी. सनी ने चाइना का उदाहरण देते हुए कहा कि चाइना में बच्चो की सेक्योरिटी और मॉनिटरिंग के लिए इसी तरह का एप्लीकेशन लाय़ा था जिसमें लूप होल आया  था . सरकार को चाहिए कि इसमें ऐसे प्रावधान है कि अगर कोई बाहरी भी सिक्योरिटी लूप होल को रिपोर्ट करना चाहे तो कर पाए बिना बच्चों की निजता का उल्लंघन किए.