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Parliament Rules: किन हालातों में सस्पेंड होते हैं सांसद, जानिए क्या है सस्पेंशन को लेकर नियम

Suspension of MPs: राज्यसभा के 20 सांसदों के सस्पेंशन का मुद्दा छाया हुआ है. सस्पेंड सांसद संसद परिसर में प्रदर्शन कर रहे हैं. सदन में इसको लेकर विपक्षी दल हंगामा कर रहे हैं. लोकसभा और राज्यसभा से सांसदों के सस्पेंशन का अलग-अलग नियम है.

Sanjay Singh and TMC MPs, suspended from the Rajya Sabha, during a sit-in protest at Parliament House complex (Photo PTI) Sanjay Singh and TMC MPs, suspended from the Rajya Sabha, during a sit-in protest at Parliament House complex (Photo PTI)
हाइलाइट्स
  • राज्यसभा से सस्पेंड हुए हैं 20 सांसद

  • लोकसभा के चार सांसद सस्पेंड हुए हैं

आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह को राज्यसभा की कार्यवाही से सस्पेंड कर दिया गया है. संजय सिंह पर नारेबाजी करने और पेपर फाड़कर चेयर की तरफ उछालने पर एक्शन लिया गया है. राज्यसभा से अब तक संजय सिंह समेत 20 सांसद सस्पेंड हो गए हैं. इससे पहले मंगलवार को राज्यसभा के 19 सांसदों को एक हफ्ते के लिए सस्पेंड कर दिया गया था. ये सांसद सदन के वेल में चले गए थे और नारेबाजी कर रहे थे. जबकि सोमवार को लोकसभा के 4 सांसद सस्पेंड किए गए थे. सस्पेंड किए गए सांसद संसद परिसर में प्रदर्शन कर रहे हैं.

क्यों सस्पेंड होते हैं सांसद-
सदन को सुचारू रूप से चलाने की जिम्मेदारी राज्यसभा चेयरमैन और लोकसभा स्पीकर की होती है. अगर इसमें कोई सांसद बाधा बनता है तो चेयरमैन और स्पीकर के पास उस सांसद को सदन से सस्पेंड करने का अधिकार होता है. सरकार सांसद को सस्पेंड करने के लिए एक प्रस्ताव पेश करती है और इसके बाद इसपर वोटिंग होती है. किसी सदन से सांसद का निष्कासन या निलंबन कदाचार या अनियंत्रित व्यवहार के लिए होता है.

लोकसभा में क्या है नियम-
नियम 373, 374 और 374ए के तहत लोकसभा में प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियम हैं. इसके तहत अगर किसी सांसद का व्यवहार अव्यवस्थित है और वह सदन के नियमों का दुरुपयोग करता है या जानबूझकर कामों में बाधा डालता है तो उनको सस्पेंड किया जा सकता है. सांसदों का सस्पेंशन लगातार 5 बैठकों या बचे सत्र में से जो भी कम हो, के लिए होता है.

नियम 373 के तहत अगर अध्यक्ष को लगता है कि किसी सदस्य का आचरण सही नहीं है तो अध्यक्ष उस सदस्य को फौरन सदन से हटाने का आदेश दे सकता है. सदस्य को इस आदेश को मानना ही पड़ेगा.
नियम 374 में लोकसभा स्पीकर ऐसे सदस्य का नाम बता सकते हैं, जो नियमों का दुरुपयोग कर रहा है या काम में बाधा डाल रहा है. अगर किसी सदस्य का नाम इस तरह से आता है तो पहले सदन में प्रस्ताव रखा जाता है. उसके बाद सदस्य को सदन से सस्पेंड किया जाता है.

नियम 374ए को साल 2005 में रूल बुक में जोड़ा गया था. इसके तहत अगर सदस्य का आचरण मर्यादापूर्ण नहीं है. अगर वो नारेबाजी के जरिए का में बाधा डाल रहा है तो वो स्वत: सस्पेंड हो जाता है. इस नियम के मुताबिक अधिकतम 5 बैठकों या बचे सत्र या जो भी कम हो के लिए सस्पेंशन होता है. अगर सदन चाहे तो प्रस्ताव लाकर इस सस्पेंशन को खत्म कर सकता है.

राज्यसभा में क्या है नियम-
राज्यसभा में सस्पेंशन के संबंध में नियम 255 और 256 लागू होता है. इस नियम के तहत सदस्य का सस्पेंशन सत्र से ज्यादा नहीं हो सकता है. नियम 255 के तहत चेयरमैन को अधिकार है कि वो किसी भी सदस्य को खराब आचरण के लिए सस्पेंड कर सकता है. सदन प्रस्ताव के जरिए सस्पेंशन को खत्म भी कर सकता है.

अब तक के बड़े सस्पेंशन-
लोकसभा और राज्यसभा में कई बार ऐसा हुआ है कि सदस्यों का खराब आचरण के लिए सस्पेंड किया गया है. चलिए आपको बताते हैं सदन में कब-कब बड़े सस्पेंशन हुए हैं.

  • मार्च 1989 में राजीव गांधी की सरकार के वक्त सबसे बड़ा सस्पेंशन हुआ था. लोकसभा के 63 सांसदों को 3 दिन के लिए सस्पेंड कर दिया गया था.
  • फरवरी 2014 में केंद्र में यूपीए की सरकार थी. उस दौरान 18 लोकसभा सांसदों को सदन से सस्पेंड किया गया था. 
  • जनवरी 2019 में स्पीकर सुमित्रा महाजन ने 45 लोकसभा सांसदों को सस्पेंड कर दिया था.

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