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Driving Licence: अब ड्राइविंग लाइसेंस के लिए नहीं लगाने पड़ेंगे चक्कर, टेस्ट पास करने के बाद सीधा आपके घर पहुंचेगा लाइसेंस

मध्य प्रदेश में ड्राइविंग लाइसेंस लेने की प्रक्रिया को आसान करने पर काम किया जा रहा है. अगर आप RTO केंद्र से दूर रहते हैं तो आपको बार-बार चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे. टेस्ट पास करने के बाद आपके घर पहुंचाया जाएगा ड्राइविंग लाइसेंस.

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हाइलाइट्स
  • अब नहीं लगाने पड़ेंगे RTO के चक्कर 

  • 15 साल पुराने सरकारी वाहन होंगे स्क्रैप

मध्यप्रदेश में ड्राइविंग लाइसेंस को लेकर परिवहन विभाग ने बड़ा फैसला किया है. परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के निर्देशों के बाद परिवहन विभाग नवाचार करते हुए अब जल्द घर बैठे ड्राइविंग लाइसेंस पहुंचाएगा. 

परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने बताया कि ऑनलाइन ड्राइविंग लाइसेंस बनने के बाद अब अपना ड्राइविंग लाइसेंस खुद जाने की जगह डाक से मंगा सकेंगे. मंगलवार को मंत्रालय में परिवहन विभाग की समीक्षा बैठक में इस पर चर्चा की गई. परिवहन मंत्री गोविन्द सिंह राजपूत ने बताया कि क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय से दूर रहने वाले आवेदक अपना ड्राइविंग लाइसेंस स्पीड पोस्ट से घर बैठे प्राप्त कर सकेंगे. 

अब नहीं लगाने पड़ेंगे RTO के चक्कर 
गोविन्द सिंह का कहना है कि दूरदराज क्षेत्रों में रहने वाले आवेदकों को ड्राइविंग लाइसेंस लेने के लिए आरटीओ कार्यालय के चक्कर लगाना नहीं पड़ेंगे. परिवहन मंत्री ने बताया कि आवेदक को लाइसेंस के लिए अपना आवेदन करते समय दो विकल्प में से एक चुनना होगा. अगर आप खुद आकर लाइसेंस लनी चाहते हैं तो वहीं विकल्प चुने. 

दूसरा विकल्प है स्पीड पोस्ट का. हालांकि, स्पीड पोस्ट का खर्च आवेदक को खुद उठाना होगा. परिवहन विभाग के द्वारा शुरू की जाने वाली नई व्यवस्था से आम जनता को समय की बचत के साथ-साथ परिवहन कार्यालय जाने की समस्या से निजात मिल सकेगी. अभी इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में किसी एक जिले से शुरू किया जाएगा.

15 साल पुराने सरकारी वाहन होंगे स्क्रैप
इसके अलावा, परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत की अध्यक्षता में हुई बैठक में फैसला लिया गया है कि 15 साल पुराने शासकीय वाहन अब 1 अप्रैल तक ही मान्य होंगें और संबंधित विभागों को अपने वाहन मान्यता प्राप्त स्क्रैपिंग एजेन्सी में स्क्रैप कराना होंगे. उन्होंने बताया कि वर्तमान में लगभग चार हजार शासकीय वाहन 15 साल से अधिक पुराने हैं.

(रवीश पाल सिंह की रिपोर्ट)